कारखाना अधिनियम, 1948 ( Factories Act, 1948 )
-:कारखाना अधिनियम, 1948:-
(1948 का अधिनियम संख्यांक 63)
अध्याय 1
प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ-(1) यह अधिनियम कारखाना अधिनियम, 1948 कहा जा सकेगा ।
[(2) इसका विस्तार *** संपूर्ण भारत पर है ।]
(3) यह 1949 के अप्रैल के प्रथम दिन को प्रवृत्त होगा ।
2. निर्वचन-इस अधिनियम में, जब तक कोई बात विषय या संदर्भ में विरुद्ध न हो,-
(क) “वयस्थ" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अपनी आयु का अठारहवां वर्ष पूरा कर लिया है;
(ख) “कुमार" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अपनी आयु का पन्द्रहवां वर्ष पूरा कर लिया है किन्तु अपना अठारहवां वर्ष पूरा नहीं किया है;
[(खख) “कलेण्डर वर्ष" से किसी वर्ष में जनवरी के प्रथम दिन से आरम्भ होने वाली बारह मास की कालावधि अभिप्रेत है;]
(ग) “बालक" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अपनी आयु का पन्द्रहवां वर्ष पूरा नहीं किया है;
[(गक) इस अधिनियम के किसी उपबंध के संबंध में, “सक्षम व्यक्ति" से वह व्यक्ति या संस्था अभिप्रेत है जिसे मुख्य निरीक्षक ने इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किसी कारखाने में करने के लिए अपेक्षित परीक्षण, परीक्षाएं, और निरीक्षण करने के प्रयोजनों के लिए, ऐसे परीक्षणों, परीक्षाओं और निरीक्षणों के किए जाने की बाबत निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए, उस रूप में मान्यता दी गई है, अर्थात् :-
(i) व्यक्ति की अर्हताएं तथा अनुभव और उसे उपलब्ध सुविधाएं; या
(ii) ऐसी संस्था में नियोजित व्यक्तियों की अर्हताएं तथा अनुभव और उसमें उपलब्ध सुविधाएं,
और किसी कारखाने के संबंध में एक से अधिक व्यक्ति या संस्था को सक्षम व्यक्ति के रूप में मान्यता दी जा सकती है;
(गख) “परिसंकटमय प्रक्रिया" से, पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी ऐसे उद्योग के संबंध में, कोई ऐसी प्रक्रिया या क्रियाकलाप अभिप्रेत है जहां, जब तक विशेष सावधानी नहीं बरती जाती, वहां उसमें प्रयुक्त कच्ची सामग्री या उसके मध्यवर्ती या परिसाधित उत्पाद, उपोत्पाद, उनके अपशिष्ट या बहिःस्रावव-
(i) से उस उद्योग में लगे हुए या उससे संबंधित व्यक्तियों के स्वास्थ्य का तात्त्विक ह्रास होगा, या
(ii) के परिणामस्वरूप साधारण पर्यावरण का प्रदूषण होगा :
परन्तु राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, पहली अनुसूची का उक्त अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी उद्योग में परिवर्धन, लोप या परिवर्तन के रूप में संशोधन कर सकेंगी;]
(घ) “अल्पवय व्यक्ति" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो या तो बालक है या कुमार है;
(ङ) “दिन" से अर्धरात्रि से आरम्भ होने वाली चौबीस घन्टे की कालावधि अभिप्रेत है;
(च) “सप्ताह" से शनिवार की रात्रि को या ऐसी अन्य रात्रि को, जो कारखानों के मुख्य निरीक्षक द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिए लिखकर अनुमोदित की जाए, मध्यरात्रि से आरम्भ होने वाली सात दिन की कालावधि अभिप्रेत है;
(छ) “शक्ति" से वैद्युत ऊर्जा या ऊर्जा का कोई अन्य रूप अभिप्रेत है, जिसका संचार यंत्र द्वारा किया जाता है और जिसका उत्पादन मानव या पशु द्वारा नहीं किया जाता है;
(ज) “मूलगति उत्पादक" से कोई इंजन, मोटर या अन्य साधित्र अभिप्रेत है जो शक्ति उत्पादन या अन्यथा प्रदान करता है;
(झ) “संचारण मशीनरी" से अभिप्रेत है कोई शैफ्ट, चक्र, ड्रम, घिरनी, घिरनी-तंत्र, युग्मन, क्लच, चालन-पट्टी या अन्य साधित्र या युक्ति जिससे मूलगति उत्पादक की गति किसी मशीनरी या साधित्र को संचारित होती है या उसके द्वारा प्राप्त की जाती है;
(ञ) “मशीनरी" से अभिप्रेत है मूल गति उत्पादक संचारण मशीनरी और अन्य सब साधित्र जिनसे शक्ति उत्पादित, रूपान्तरित या उपयोजित की जाती है;
(ट) “विनिर्माण प्रक्रिया" से अभिप्रेत है-
(i) किसी वस्तु या पदार्थ के प्रयोग, विक्रय, परिवहन, परिदान, या व्ययन की दृष्टि से उसका निर्माण, परिवर्तन, मरम्मत, अलंकरण, परिष्करण, पैकिंग स्नेहन, धुलाई, सफाई, विघटन, उन्मूलन या अन्यथा अभिक्रियान्वयन या अनुकूलन करने के लिए कोई प्रक्रिया, या
[(ii) तेल, जल, मल या कोई अन्य पदार्थ उद्वहित करने के लिए कोई प्रक्रिया; याट
(iii) शक्ति का उत्पादन, रूपान्तरण या संचारण करने के लिए कोई प्रक्रिया; या
[(iv) मुद्रण के लिए टाइप कम्पोज करने, लैटर-प्रैस, अश्म-मुद्रण, प्रकाशोत्कीर्ण या अन्य वैसी ही प्रक्रिया द्वारा मुद्रण या जिल्द-बन्दी करने के लिए कोई प्रक्रिया,ट [या]
(v) पोतों या जलयानों को सन्निर्मित करने, पुनः सन्निर्मित करने, मरम्मत करने, पुनः फिट करने, परिष्कृत करने या विघटित करने के लिए कोई प्रक्रिया; 3[या]
3[(vi) शीतागार में किसी वस्तु के परिरक्षण या भंडारकरण के लिए कोई प्रक्रिया;]
(ठ) “कर्मकार" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो किसी विनिर्माण प्रक्रिया में, या मशीनरी अथवा विनिर्माण प्रक्रिया के लिए प्रयुक्त परिसर के किसी भाग की सफाई में या विनिर्माण प्रक्रिया अथवा विनिर्माण प्रक्रियाधीन विषयवस्तु के प्रासंगिक या उससे सम्बन्धित किसी अन्य प्रकार के काम में [मुख्य नियोजक की जानकारी में या उसके बिना चाहे सीधे या किसी अभिकरण (जिसके अन्तर्गत ठेकेदार भी है) द्वारा या उसकी मार्फत और चाहे पारिश्रमिक पर या उसके बिना नियोजित हो,] 3[किन्तु संघ के सशस्त्र बल का कोई सदस्य इसके अन्तर्गत नहीं है;]
(ड) “कारखाना" से अपनी प्रसीमाओं सहित कोई ऐसा परिसर अभिप्रेत है जिसमें-
(i) दस या अधिक कर्मकार काम कर रहे हैं या पूर्ववर्ती मास के किसी दिन काम कर रहे थे और जिसके किसी भाग में विनिर्माण प्रक्रिया शक्ति की सहायता से की जा रही है, या आमतौर से इस तरह की जाती है, या
(ii) बीस या अधिक कर्मकार काम कर रहे हैं या पूर्ववर्ती बारह मास के किसी दिन काम कर रहे थे, और जिसके किसी भाग में विनिर्माण प्रक्रिया शक्ति की सहायता के बिना की जा रही है, या आमतौर से ऐसे की जाती है, किन्तु कोई खान जो [खान अधिनियम, 1952 (1952 का 35)] के प्रवर्तन के अध्यधीन है, या [संघ के सशस्त्र बल की चलती-फिरती यूनिट, रेलवे रनिंग शेड या होटल, उपाहारगृह या भोजनालय] इसके अन्तर्गत नहीं हैं;
[स्पष्टीकरणट [1]-इस खण्ड के प्रयोजनों के लिए कर्मकारों की संख्या की संगणना करने के लिए दिन की [विभिन्न समूहों और टोलियों] के सभी कर्मकारों को गिना जाएगा ।]
[स्पष्टीकरण 2-इस खंड के प्रयोजनों के लिए, केवल इस तथ्य का कि किसी परिसर या उसके भाग में कोई इलैक्ट्रानिक डाटा संसाधन यूनिट या कोई संगणक यूनिट संस्थापित की गई है, यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह कारखाना हो गया यदि ऐसे परिसर या उसके भाग में कोई विनिर्माण प्रक्रिया नहीं की जा रही है ।
(ढ) कारखाने के “अधिष्ठाता" से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे कारखाने के कामकाज पर अन्तिम नियंत्रण प्राप्त है ***
4[परन्तु-
(i) किसी फर्म या अन्य व्यष्टि-संगम की दशा में, उसका कोई एक व्यष्टिक भागीदार या सदस्य अधिष्ठाता समझा जाएगा :
(ii) किसी कम्पनी की दशा में, निदेशकों में से कोई एक अधिष्ठाता समझा जाएगा;
(iii) केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कारखाने की दशा में, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा कारखाने के कामकाज के प्रबंध के लिए नियुक्त किए गए व्यक्ति या व्यक्तियों को अधिष्ठाता समझा जाएगा :]
1[ [परन्तु यह और किट ऐसे किसी पोत की दशा में जिसकी मरम्मत या जिस पर अनुरक्षण-कार्य ऐसे सूखे डॉक में किया जा रहा है जो भाड़े पर उपलभ्य है-
(1) डॉक का स्वामी निम्नलिखित धाराओं द्वारा या उनके अधीन उपबन्धित किसी विषय के प्रयोजनों के लिए अधिष्ठाता समझा जाएगा,-]
(क) धारा 6, धारा 7, 4[धारा 7क, धारा 7खट धारा 11 और धारा 12 ;
(ख) धारा 17, जहां तक वह डॉक के चारों ओर पर्याप्त और यथोचित प्रकाश की व्यवस्था करने और उसके अनुरक्षण से संबंधित है;
(ग) धारा 18, धारा 19, धारा 42, धारा 46, धारा 47 या धारा 49, जहां तक वे ऐसी मरम्मत और अनुरक्षण की बाबत नियोजित कर्मकारों से सम्बन्धित हैं;
(2) पोत का स्वामी या उसका अभिकर्ता अथवा पोत का मास्टर या अन्य भारसाधक अधिकारी अथवा कोई व्यक्ति, जो मरम्मत या अनुरक्षण कार्य करने के लिए, ऐसे स्वामी, अभिकर्ता या मास्टर या अन्य भारसाधक अधिकारी से संविदा करता है धारा 13, धारा 14, धारा 16 या धारा 17 (जैसा इस परन्तुक में अन्यथा उपबन्धित है उसके सिवाय) या अध्याय 4 (धारा 27 को छोड़कर) या धारा 43, धारा 44 या धारा 45, अध्याय 6, अध्याय 7, अध्याय 8 या अध्याय 9 या धारा 108, धारा 109 या धारा 110 द्वारा या उसके अधीन उपबन्धित किसी विषय के प्रयोजनों के लिए,-
(क) उसके द्वारा सीधे या किसी अभिकरण द्वारा या उसकी मार्फत नियोजित कर्मकार; और
(ख) ऐसे स्वामी, अभिकर्ता, मास्टर या अन्य भारसाधक अधिकारी या व्यक्ति द्वारा ऐसी मरम्मत या ऐसा अनुरक्षण-कार्य करने के प्रयोजन के लिए प्रयुक्त मशीन संयंत्र या परिसर,
के सम्बन्ध में अधिष्ठाता समझा जाएगा ;]
। । । । । । ।
(त) “विहित" से राज्य सरकार द्वारा इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
। । । । । । ।
(द) जहां एक ही किस्म का काम दिन की विभिन्न कालावधियों के दौरान काम करने वाले कर्मकारों के दो या अधिक संवर्गों द्वारा किया जाता है वहां ऐसे संवर्गों में से हर एक संवर्ग [“समुह" या “टोली"] कहलाता है और ऐसी कालावधियों में से हर एक कालावधि “पारी" कहलाती है ।
3. दिन के समय के निर्देश-इस अधिनियम में दिन के समय के निर्देश भारतीय मानक समय के प्रतिनिर्देश हैं, जो ग्रीनविच माध्य-समय से साढ़े पांच घंटे आगे है :
परन्तु किसी ऐसे क्षेत्र के लिए, जिसमें मामूली तौर पर भारतीय मानक समय का अनुपालन नहीं किया जाता राज्य सरकार नियम बना सकेगी, जिनमें-
(क) ऐसा क्षेत्र विनिर्दिष्ट होगा;
(ख) वह स्थानीय माध्य-समय परिभाषित होगा जिसका वहां मामूली तौर से अनुपालन किया जाता है; और
(ग) उस क्षेत्र में स्थित सब या किन्हीं कारखानों में ऐसे समय का अनुपालन करने के लिए अनुज्ञा होगी ।
[4. विभिन्न विभागों की पृथक्-पृथक् कारखाने या दो या अधिक कारखानों को एक कारखाना घोषित करने की शक्ति- [राज्य सरकार स्वयं या अधिष्ठाता द्वारा उस निमित्त आवेदन करने पर,] लिखित आदेश द्वारा [और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो वह ठीक समझे] निदेश दे सकेगी कि इस अधिनियम के सब या किसी प्रयोजन के लिए अधिष्ठाता के कारखाने के विभिन्न विभागों या शाखाओं को जो आवेदन में विनिर्दिष्ट हों, पृथक्-पृथक् कारखाने माना जाएगा या अधिष्ठाता के दो या अधिक कारखानों को जो आवेदन में विनिर्दिष्ट हों, एक कारखाना माना जाएगा :]
4[परंतु राज्य सरकार द्वारा इस धारा के अधीन स्वप्रेरणा से कोई आदेश तब तक नहीं किया जाएगा जब तक अधिष्ठाता को सुनवाई का अवसर नहीं दे दिया जाता है ।]
5. लोक आपात के दौरान छूट देने की शक्ति-लोक आपात की किसी दशा में, राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को ऐसी कालावधि और ऐसी शर्तों के अध्यधीन जैसी वह ठीक समझे इस अधिनियम के उपबन्धों में से [धारा 67 के सिवाय,ट सब या किसी से छूट दे सकेगी :
परन्तु ऐसी कोई भी अधिसूचना एक समय पर तीन मास से अधिक की कालावधि के लिए नहीं की जाएगी ।
[स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए लोक आपात" से ऐसा गम्भीर आपात अभिप्रेत है जिससे कि युद्ध या बाह्य आक्रमण या आभ्यांतरिक अशांति से भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग की सुरक्षा संकट में है ।]
6. कारखानों का अनुमोदन, अनुज्ञापन और रजिस्ट्रीकरण-(1) राज्य सरकार-
[(क) मुख्य निरीक्षक या राज्य सरकार को किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के रेखांक इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रस्तुत करने की अपेक्षा करने वाले;]
[(कक)] उस स्थल के लिए, जिस पर कारखाना बनाया जाना है और किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखाने के सन्निर्माण या विस्तार के लिए, राज्य सरकार या मुख्य निरीक्षक की लिखित रूप में पूर्व अनुज्ञा अभिप्राप्त करने की अपेक्षा करने वाले;
(ख) ऐसी अनुज्ञा के लिए आवेदन पर विचार करने के प्रयोजन के लिए रेखांक और विनिर्दिष्टियां प्रस्तुत करने की अपेक्षा करने वाले;
(ग) ऐसे रेखांकों और विनिर्दिष्टियों के रूप और यह कि वे किसके द्वारा प्रमाणित किए जाएंगे विहित करने वाले;
(घ) कारखानों या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के रजिस्ट्रीकरण और अनुज्ञापन की अपेक्षा करने वाले और ऐसे रजिस्ट्रीकरण और अनुज्ञापन के लिए तथा अनुज्ञप्तियों के नवीकरण के लिए, संदेय फीसें विहित करने वाले;
(ङ) यह अपेक्षा करने वाले की जब तक धारा 7 में विनिर्दिष्ट सूचना न दे दी जाए तब तक कोई अनुज्ञप्ति अनुदत्त या नवीकृत नहीं की जाएगी,
नियम बना सकेगी ।
(2) यदि उपधारा (1) के खण्ड [(कक)] में निर्दिष्ट अनुज्ञा के लिए आवेदन, उस उपधारा के खण्ड (ख) के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा अपेक्षित रेखांकों और विनिर्दिष्टियों के सहित, राज्य सरकार या मुख्य निरीक्षक को रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा भेजने पर, उसे भेजने की तारीख से तीन मास के अन्दर आवेदक को कोई आदेश संसूचित नहीं किया गया है तो यह समझा जाएगा कि उक्त आवेदन में जिस अनुज्ञा के लिए आवेदन किया गया है वह अनुदत्त कर दी गई है ।
(3) जहां राज्य सरकार या मुख्य निरीक्षक किसी कारखाने के स्थल, सन्निर्माण या विस्तार के लिए अथवा किसी कारखाने के रजिस्ट्रीकरण और अनुज्ञापन के लिए अनुज्ञा अनुदत्त करने से इन्कार करता है वहां आवेदक ऐसे इन्कार की तारीख से तीस दिन के अन्दर अपील, उस दशा में जिसमें वह विनिश्चय जिसकी अपील की जाती है राज्य सरकार का था, केन्द्रीय सरकार को किसी अन्य दशा में राज्य सरकार को कर सकेगा ।
स्पष्टीकरण- [यदि कोई संयंत्र या मशीनरी प्रतिस्थापित करने से अथवा ऐसी सीमाओं के भीतर, जो विहित की जाएं, कोई अतिरिक्त संयंत्र या मशीनरी लगाने से संयंत्र या मशीनरी के चारों ओर सुरक्षित रूप से काम करने के लिए अपेक्षित न्यूनतम खुला स्थान कम नहीं होता है अथवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भाप, गर्मी या धूल या धूम के निष्कासन या निर्गमन से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता हैट तो केवल ऐसे प्रतिस्थापन अथवा अतिरिक्त संयंत्र या मशीनरी लगाने के कारण यह नहीं समझा जाएगा कि इस धारा के अर्थ में कारखाने का विस्तार हुआ है ।
7. अधिष्ठाता द्वारा सूचना-(1) अधिष्ठाता, किसी परिसर का कारखाने के रूप में अधिष्ठान या प्रयोग आरम्भ करने से कम-से-कम पन्द्रह दिन पूर्व, मुख्य निरीक्षक को एक लिखित सूचना भेजेगा जिसमें निम्नलिखित बातें अन्तर्विष्ट होंगी-
(क) कारखाने का नाम और अवस्थिति;
(ख) अधिष्ठाता का नाम और पता;
[(खख) परिसर और भवन के (जिसके अन्तर्गत उसकी प्रसीमाएं भी है) धारा 93 में निर्दिष्ट स्वामी का नाम और पता;]
(ग) वह पता जिस पर कारखाने से सम्बद्ध संसूचनाएं भेजी जा सकेंगी;
(घ) उस विनिर्माण प्रक्रिया का स्वरूप जो-
(i) इस अधिनियम के प्रारम्भ होने की तारीख को विद्यमान कारखानों की दशा में पिछले बारह मास के दौरान कारखाने में चलाई गई हो; और
(ii) सब अन्य कारखानों की दशा में अगले बारह मासों के दौरान कारखाने में चलाई जाने वाली हो;
[(ङ) कारखाने में स्थापित की जाने वाली कुल निर्धारित अश्व शक्ति जिसमें आपातोपयोगी किसी पृथक् संयंत्र की निर्धारित अश्व शक्ति सम्मिलित नहीं की जाएगी;]
(च) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए कारखाने के प्रबन्धक का नाम;
(छ) उतने कर्मकारों की संख्या जितनों के कारखानों में नियोजित किए जाने की सम्भाव्यता हो;
(ज) इस अधिनियम के प्रारम्भ होने की तारीख को विद्यमान कारखाने की दशा में पिछले बारह मासों के दौरान प्रतिदिन नियोजित कर्मकारों की औसत संख्या;
(झ) ऐसी अन्य विशिष्टियां जो विहित की जाएं ।
(2) ऐसे सब स्थापनों के सम्बन्ध में जो प्रथम बार इस अधिनियम की परिधि में आते हैं, अधिष्ठाता इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से [तीस दिन के भीतर] मुख्य निरीक्षक को एक लिखित सूचना भेजेगा, जिसमें उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट विशिष्टियां होंगी ।
(3) ऐसे विनिर्माण प्रक्रिया में, जो मामूली तौर पर वर्ष में एक सौ अस्सी काम के दिनों से कम के लिए चलाई जाती हैं, लगे हुए कारखाने द्वारा काम पुनः आरम्भ करने से पूर्व अधिष्ठाता काम के प्रारम्भ होने की तारीख से 5[कम से कम तीस दिनट] पूर्व मुख्य निरीक्षक को एक लिखित सूचना भेजेगा जिसमें उपधारा (1) में विशिष्टियां होंगी ।
(4) जब कभी नया प्रबन्धक नियुक्त किया जाए तब अधिष्ठाता उस तारीख से जिसको ऐसा व्यक्ति भार ग्रहण करे, सात दिन के अन्दर [निरीक्षक को लिखित सूचना और मुख्य निरीक्षक को उसकी एक प्रतिलिपि] भेजेगा ।
(5) किसी ऐसी कालावधि के दौरान जिसमें कोई व्यक्ति कारखाने का प्रबन्धक पदाभिहित नहीं किया गया है या जिसके दौरान पदाभिहित व्यक्ति कारखाने का प्रबंध नहीं करता है, कोई व्यक्ति जो प्रबंधक के रूप में काम करता हुआ पाया जाए या यदि कोई ऐसा व्यक्ति न पाया जाए तो अधिष्ठाता स्वयं, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए कारखाने का प्रबन्धक समझा जाएगा ।
अध्याय 2
निरीक्षक कर्मचारिवृन्द
[7क. अधिष्ठाता के साधारण कर्तव्य-(1) प्रत्येक अधिष्ठाता जहां तक युक्तियुक्त रूप से साध्य है, कारखाने के सभी कर्मकारों का कारखाने में उनके काम के समय, स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करेगा ।
(2) उपधारा (1) के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना उन विषयों के जिन तक कर्तव्य का विस्तार होगा, अन्तर्गत निम्नलिखित होगा-
(क) कारखाने में ऐसे संयंत्र और कार्य-प्रणालियों की व्यवस्था और उनका अनुरक्षण जो सुरक्षित और स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित है;
(ख) कारखाने में वस्तुओं और पदार्थों के प्रयोग, उनकी उठाई-धराई, उनके भंडारकरण और परिवहन के संबंध में सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए जोखिम की अविद्यमानता सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थाएं;
(ग) ऐसी जानकारी, अनुदेश, प्रशिक्षण और पर्यवेक्षण की व्यवस्था जो सभी कर्मकारों के, काम के समय, स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है;
(घ) कारखाने में काम के सभी स्थानों को ऐसी दशा में बनाए रखना जो सुरक्षित और स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित है तथा ऐसे स्थान पर पहुंचने और वहां से निकलने के ऐसे साधनों की व्यवस्था और अनुरक्षण जो सुरक्षित और ऐसी जोखिमों से रहित है;
(ङ) कर्मकारों के लिए कारखाने में ऐसे कार्यकरण परिवेश की व्यवस्था, अनुरक्षण या अनुश्रवण जो सुरक्षित, स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित, और काम के समय उनके कल्याण की सुविधाओं और व्यवस्थाओं की बाबत पर्याप्त हैं ।
(3) उन मामलों के सिवाय जो विहित किए जाएं, प्रत्येक अधिष्ठाता कर्मकारों के काम के समय स्वास्थ्य और सुरक्षा की बाबत अपनी साधारण नीति का तथा उस नीति को क्रियान्वित करने के लिए उस समय प्रवृत्त संगठन और व्यवस्थाओं का एक लिखित विवरण तैयार करेगा और उनका जितनी भी बार समुचित हो, पुनरीक्षण करेगा, और ऐसे विवरण और उसके किसी पुनरीक्षण को सभी कर्मकारों की जानकारी में ऐसी रीति से लाएगा जो विहित की जाए ।
7ख. कारखानों में प्रयोग के लिए वस्तुओं और पदार्थों की बाबत विनिर्माताओं, अदि के साधारण कर्तव्य-(1) प्रत्येक व्यक्ति, जो किसी कारखाने में प्रयोग के लिए किसी वस्तु का डिजाइन, विनिर्माण, आयात या प्रदाय करता है,-
(क) जहां तक युक्तियुक्त रूप से साध्य हैं, यह सुनिश्चित करेगा कि उस वस्तु को इस प्रकार से डिजाइन और सन्निर्मित किया जाता है कि जब उसका उचित रूप से प्रयोग किया जाए, तब, वह सुरक्षित और कर्मकारों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित हो;
(ख) ऐसे परीक्षण और ऐसी परीक्षा करेगा या करने की व्यवस्था करेगा जो खंड (क) के उपबंधों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक समझी जाएं;
(ग) ऐसे उपाय करेगा जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हों कि,-
(i) किसी कारखाने में वस्तु के प्रयोग के संबंध में;
(ii) उस प्रयोग के बारे में जिसके लिए वस्तु को डिजाइन किया गया है और उसका परीक्षण किया गया है; और
(iii) उन दशाओं के बारे में जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हों कि जब उस वस्तु का प्रयोग किया जाए तब वह सुरक्षित और कर्मकारों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित होगी,
पर्याप्त जानकारी उपलब्ध होगी :
परन्तु जहां वह वस्तु भारत के बाहर डिजाइन या विनिर्मित की गई है वहां आयातकर्ता के लिए यह देखना बाध्यकर होगा कि, -
(क) यदि ऐसी वस्तु भारत में विनिर्मित की जाती है तो वस्तु उन्हीं मानकों के अनुरूप है, या
(ख) यदि ऐसी वस्तु के विनिर्माण के लिए बाहर के देश में अंगीकृत मानक भारत में अंगीकृत मानकों से ऊपर हैं तो वस्तु ऐसे मानकों के अनुरूप है ।
(2) प्रत्येक व्यक्ति, जो किसी कारखाने में प्रयोग के लिए किसी वस्तु को डिजाइन या विनिर्मित करने का जिम्मा लेता है, यह पता लगाने की दृष्टि से और, जहां तक युक्तियुक्त रूप से बाध्य हो, कर्मकारों के स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए किन्हीं जोखिमों को, जो ऐसी डिजाइन या वस्तु से उत्पन्न हो सकती है, दूर हटाने या कम करने के लिए आवश्यक अनुसंधान कर सकेगा या कराने की व्यवस्था कर सकेगा ।
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी व्यक्ति से ऐसा परीक्षण, परीक्षा या अनुसंधान पुनः करने की अपेक्षा करती है जो उनके द्वारा या उसकी प्रेरणा से नहीं अपितु अन्यथा किया गया है किन्तु ऐसा तब जब उक्त उपधाराओं के प्रयोजनों के लिए उसके लिए उनके परिणामों पर निर्भर करना उचित है ।
(4) उपधारा (1) और उपधारा (2) द्वारा किसी व्यक्ति पर अधिरोपित किसी कर्तव्य का विस्तार केवल उसके द्वारा किए जा रहे कारबार के अनुक्रम में और उसके नियंत्रण के अधीन विषयों के बारे में की गई बातों तक होगा ।
(5) जहां कोई व्यक्ति किसी वस्तु का, जहां तक युक्तियुक्त रूप से बाध्य है, यह सुनिश्चित करके कि वह वस्तु उचित रूप से प्रयोग की जाने पर सुरक्षित और कर्मकारों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित होगी, डिजाइन, विनिर्माण, आयात या प्रदाय, ऐसी वस्तु के उपभोक्ता द्वारा लिखित रूप में इस वचनबंध के आधार पर कि वह ऐसे वचनबंध में विनिर्दिष्ट उपाय करेगा, करता है, वहां ऐसे वचनबंध का यह प्रभाव होगा कि वह उस वस्तु का डिजाइन, विनिर्माण, आयात या प्रदाय करने वाले व्यक्ति को उपधारा (1) के खंड (क) द्वारा अधिरोपित कर्तव्य से उस विस्तार तक जो वचनबंध के निबंधनों को ध्यान में रखते हुए उचित है, अवमुक्त करता है ।
(6) इस धारा के प्रोयजनों के लिए, किसी वस्तु को उचित रूप से प्रयोग किया गया नहीं समझा जाएगा यदि उसके प्रयोग से संबंधित किसी जानकारी या सलाह को, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा, जिसने उसे डिजाइन विनिर्मित, आयात या प्रदाय किया है, उपलब्ध कराई गई है, ध्यान में रखे बिना उसका प्रयोग किया जाता है ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए, वस्तु" के अन्तर्गत संयंत्र और मशीनरी है ।]
8. निरीक्षक-(1) राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे व्यक्तियों को, जिनके पास विहित अर्हताएं हों, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए निरीक्षक नियुक्त कर सकेगी और उन्हें ऐसी स्थानीय सीमाएं सौंप सकेगी जैसी वह ठीक समझे ।
(2) राज्य सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा किसी व्यक्ति को मुख्य निरीक्षण नियुक्त कर सकेगी, जो इस अधिनियम के अधीन मुख्य निरीक्षक को प्रदत्त शक्तियों के अतिरिक्त राज्य भर में निरीक्षक की शक्तियों का भी प्रयोग करेगा ।
[(2क) राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, उतने अपर मुख्य निरीक्षक, संयुक्त मुख्य निरीक्षक, उप मुख्य निरीक्षक और उतने अन्य अधिकारी नियुक्त कर सकेगी जितने वह मुख्य निरीक्षक की सहायता करने और मुख्य निरीक्षक की ऐसी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए ठीक समझे, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं ।
(2ख) उपधारा (2क) के अधीन नियुक्त प्रत्येक अपर मुख्य निरीक्षक, संयुक्त मुख्य निरीक्षक, उप मुख्य निरीक्षक और प्रत्येक अन्य अधिकारी, ऐसी अधिसूचना में, जिससे उसकी नियुक्ति की जाती है, विनिर्दिष्ट मुख्य निरीक्षक की शक्तियों के साथ-साथ निरीक्षक की शक्तियों का भी प्रयोग राज्य भर में करेगा ।]
(3) कोई व्यक्ति जो किसी कारखाने में या उसमें चलाई जाने वाली किसी प्रक्रिया या कारबार में या उससे संबंधित किसी पेटेंट या मशीनरी में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः हितबद्ध है या हो जाता है वह उपधारा (1), उपधारा (2) 1[, उपधारा (2क)] या उपधारा (5) के अधीन नियुक्त नहीं किया जाएगा अथवा वैसे नियुक्त हो चुकने पर पद पर बना नहीं रहेगा ।
(4) प्रत्येक जिला मजिस्ट्रेट अपने जिले का निरीक्षक होगा ।
(5) राज्य सरकार, यथापूर्वोक्त अधिसूचना द्वारा, ऐसे लोक अधिकारियों को जैसे वह ठीक समझे, इस अधिनियम के सब प्रयोजनों या उनमें से किसी के लिए ऐसी स्थानीय सीमाओं के अन्दर, जैसी वह उन्हें क्रमशः सौंपे, अपर निरीक्षक भी नियुक्त कर सकेगी ।
(6) ऐसे किसी क्षेत्र में जहां एक से अधिक निरीक्षक हैं राज्य सरकार, यथापूर्वोक्त अधिसूचना द्वारा, वे शक्तियां जिन्हें ऐसे निरीक्षक क्रमशः प्रयुक्त करेंगे और वह निरीक्षक जिसको विहित सूचनाएं भेजी जानी हैं, घोषित कर सकेगी ।
(7) [इस धारा के अधीन नियुक्त प्रत्येक मुख्य निरीक्षक, अपर मुख्य निरीक्षक, संयुक्त मुख्य निरीक्षक, उप मुख्य निरीक्षक, निरीक्षक और प्रत्येक अन्य अधिकारी] भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) के अर्थ में लोक सेवक समझा जाएगा, और पदीय रूप से ऐसे प्राधिकारी के अधीनस्थ होगा जिसे राज्य सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ।
9. निरीक्षकों की शक्तियां-इस निमित्त बनाए गए किन्हीं नियमों के अध्यधीन, निरीक्षक, उन स्थानीय सीमाओं के अन्दर जिनके लिए वह नियुक्त किया गया है-
(क) ऐसे सहायकों के साथ,जो सरकार की या किसी स्थानीय या अन्य लोक प्राधिकारी की सेवा में के व्यक्ति हैं [या किसी विशेषज्ञ के साथ] जिन्हें वह ठीक समझे, किसी ऐसे स्थान पर प्रवेश कर सकेगा जो कारखाने के रूप में प्रयुक्त किया जाता है या जिसके ऐसे प्रयुक्त किए जाने का विश्वास करने के लिए उसके पास कारण हैं;
[(ख) परिसर, संयंत्र, मशीनरी, वस्तु या पदार्थ की परीक्षा कर सकेगा;
(ग) ऐसी किसी दुर्घटना या खतरनाक घटना की जांच कर सकेगा चाहे उसके परिणामस्वरूप कोई शारीरिक क्षति या निःशक्तता हुई हो, या नहीं, और किसी व्यक्ति का स्थल पर या अन्यथा जैसा वह ऐसी जांच के लिए आवश्यक समझे, कथन ले सकेगा];
(घ) कारखाने से संबंधित किसी विहित रजिस्टर या किसी अन्य दस्तावेज को पेश करने की अपेक्षा कर सकेगा;
(ङ) किसी रजिस्टर, अभिलेख या अन्य दस्तावेज या उसके किसी भाग का, जिसे वह इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध की बाबत जिसके बारे में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि वह अपराध किया गया है, आवश्यक समझे, अभिग्रहण कर सकेगा या उसकी प्रतियां ले सकेगा :
(च) अधिष्ठाता को यह निदेश दे सकेगा कि किसी परिसर या उसके किसी भाग या उमसें पड़ी हुई किसी वस्तु को (चाहे साधारणतया या किन्हीं विशिष्ट बातों में) तब तक के लिए जब तक खंड (ख) के अधीन किसी परीक्षा के प्रयोजनों के लिए आवश्यक है, यथावत रहने दिया जाए;
(छ) अपने साथ कोई आवश्यक उपकरण या उपस्कर ले जा कर, नाप और फोटोचित्र ले सकेगा और ऐसे अभिलेख तैयार कर सकेगा जो वह खंड (ख) के अधीन किसी परीक्षा के प्रयोजन के लिए आवश्यक समझे;
(ज) किसी परिसर में पाई गई किसी ऐसी वस्तु या पदार्थ की देशों में, जो ऐसी वस्तु या पदार्थ है जिसकी बाबत उसे यह प्रतीत होता है कि उसने कर्मकारों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को खतरा पैदा किया है या पैदा कर सकता है, निदेश दे सकेगा कि उसे खोल डाला जाए या उस पर कोई ऐसी प्रक्रिया या परख की जाए (किन्तु इस प्रकार से कि उसे कोई नुकसान न हो या वह नष्ट न हो, सिवाय तब जब इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, उन परिस्थितियों में, ऐसा करना आवश्यक हो), और किसी ऐसी वस्तु या पदार्थ या उसके भाग को अपने कब्जे में ले सकेगा, और उसे तब तक निरोध में रख सकेगा जब तक ऐसी परीक्षा के लिए आवश्यक हो;
(झ) ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा जो विहित की जाएं ।]
10. प्रमाणकर्ता सर्जन-(1) राज्य सरकार, अर्हित चिकित्सा-व्यवसायियों को ऐसी स्थानीय सीमाओं में या ऐसे कारखाने या ऐसे वर्ग या प्रकार के कारखानों के लिए जैसे वह उन्हें क्रमशः सौंपे, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रमाणकर्ता सर्जन नियुक्त कर सकेगी ।
(2) प्रमाणकर्ता सर्जन, राज्य सरकार के अनुमोदन से, किसी अर्हित चिकित्सा-व्यवसायी को इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों में से किसी का प्रयोग, ऐसी कालावधि में जैसी प्रमाणकर्ता सर्जन विनिर्दिष्ट करे और ऐसी शर्तों के अध्यधीन जैसी राज्य सरकार अधिरोपित करना ठीक समझे, करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगा, और इस अधिनियम में प्रमाणकर्ता सर्जन के प्रति निर्देशों के अन्तर्गत किसी अर्हित चिकित्सा-व्यवसायी के प्रति निर्देश भी समझे जाएंगे जब वह ऐसे प्राधिकृत हो ।
(3) कोई व्यक्ति जो किसी कारखाने का अधिष्ठाता है या हो जाता है अथवा उसमें या उसमें चलाई जाने वाली किसी प्रक्रिया या कारबार में या उससे संबंधित किसी पेटेंट या मशीनरी में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः हितबद्ध है या हो जाता है अथवा कारखाने में अन्यथा नियोजित है वह प्रमाणकर्ता सर्जन के रूप में नियुक्त या उसकी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकृत नहीं किया जाएगा अथवा वैसे नियुक्त या प्राधिकृत हो चुकने पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग करना जारी नहीं रखेगाः
[परन्तु राज्य सरकार लिखित आदेश द्वारा और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाएं, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग को किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों की बाबत इस धारा के उपबंधों से छूट दे सकेगी ।]
(4) प्रमाणकर्ता सर्जन ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा जो निम्नलिखित के सम्बन्ध में विहित किए जाएं-
(क) इस अधिनियम के अधीन अल्पवय व्यक्तियों की परीक्षा और प्रमाणीकरण;
(ख) कारखानों में ऐसी संकटपूर्ण उपजीविकाओं या प्रक्रियाओं में, जैसी विहित की जाएं लगे हुए व्यक्तियों की परीक्षा;
(ग) ऐसे चिकित्सीय पर्यवेक्षण का, जैसा किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के लिए विहित किया जाए, प्रयोग जहां-
(i) रुग्णता के ऐसे मामले हुए हैं जिनकी बाबत यह विश्वास करना युक्तियुक्त है कि वे वहां चलाई जाने वाली विनिर्माण प्रक्रिया के स्वरूप या वहां विद्यमान अन्य काम की दशाओं के कारण हुआ है,
(ii) चलाई जाने वाली विनिर्माण प्रक्रिया में या प्रयुक्त पदार्थों में किसी परिवर्तन के कारण अथवा किसी नई विनिर्माण प्रक्रिया के या विनिर्माण प्रक्रिया में प्रयोग के लिए किसी नए पदार्थ के अपनाए जाने के कारण, उस विनिर्माण प्रक्रिया में नियोजित कर्मकारों के स्वास्थ्य की क्षति संभाव्य है,
(iii) अल्पवय व्यक्ति किसी ऐसे काम में नियोजित हैं या किए जाने वाले हैं जिससे उनके स्वास्थ्य को क्षति पहुंचना संभाव्य है ।
स्पष्टीकरण-इस धारा में “अर्हित चिकित्सा-व्यवसायी" से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके पास भारतीय चिकित्सा उपाधि अधिनियम, 1916 (1916 का 7) की अनुसूची में या भारतीय चिकित्सा परिषद् अधिनियम, 1933 (1933 का 27) की अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा प्रदत्त अर्हता हो ।
अध्याय 3
स्वास्थ्य
11. सफाई-(1) हर कारखाना साफ और किसी नाली, शौचालय या किसी अन्य न्यूसेंस से पैदा होने वाली दुर्गंध से मुक्त रखा जाएगा और विशिष्टतया-
(क) काम करने के कमरों के फर्शों और बैचों से तथा सीढ़ियों और रास्तों से कूड़े और कचरे के ढेर को प्रतिदिन झाडू लगाकर या किसी अन्य कारगर तरीके से हटाया जाएगा और उपयुक्त रीति से व्ययनित किया जाएगा;
(ख) काम करने के प्रत्येक कमरे के फर्श को धोकर, जहां आवश्यक हो विसंक्रामक का प्रयोग करके अथवा किसी अन्य कारगर तरीके से प्रत्येक सप्ताह में कम से कम एक बार सफाई की जाएगी;
(ग) जहां किसी फर्श के किसी विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान इतना गीला हो जाने की सम्भाव्यता है कि उसमें से जल निकाला जा सकता है वहां जल-निकास के प्रभावपूर्ण साधनों की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें बनाए रखा जाएगा;
(घ) कमरों की सब भीतरी दीवारें और विभाजक, सब छतें या ऊपरी हिस्से तथा रास्तों या सीढ़ियों की सब दीवारें पार्श्व और ऊपरी हिस्से-
(i) जहां उनमें रंग या रोगन किया हुआ है वहां पांच वर्ष की प्रत्येक कालावधि में कम से कम एक बार उनमें पुनः [धुलने योग्य जल-रंग से भिन्न रंग] या पुनः रोगन किया जाएगा;
[(iक) जहां उनमें धुलने योग्य जल-रंग से रंग किया हुआ है वहां तीन वर्ष की प्रत्येक कालावधि में कम से कम एक बार उनमें ऐसे रंग से पुनः रंग किया जाएगा और छह मास की प्रत्येक कालावधि में कम से कम एक बार सफाई की जाएगी;]
(ii) जहां उनमें रंग या रोगन किया हुआ है या जहां उनकी चिकनी अप्रवेश्य सतहें है वहां चौदह मास की प्रत्येक कालावधि में कम से कम एक बार, ऐसी रीति से जैसी विहित की जाए, उनकी सफाई की जाएगी;
(iii) किसी अन्य दशा में, उनमें सफेदी या रंग किया जाएगा और वह सफेदी और रंग चौदह मास की प्रत्येक कालावधि में कम से कम एक बार किया जाएगा;
3[(घघ) सभी दरवाजों, खिड़की या चौखटों और लकड़ी या धातु के अन्य ढांचों और शटर पर रंग या रोगन किया रहेगा और रंग या रोगन पांच वर्ष की प्रत्येक कालावधि में कम से कम एक बार किया जाएगा;]
(ङ) वे तारीखें जिनको खण्ड (घ) में अपेक्षित प्रक्रियाएं की जाएंगी विहित रजिस्टर में दर्ज की जाएंगी ।
(2) यदि किसी [कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों या किसी कारखाने के या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के किसी भाग में] की जाने वाली संक्रियाओं को देखते हुए अधिष्ठाता के लिए उपधारा (1) के सब या किसी उपबंध या अनुपालन करना संभव नहीं है, तो राज्य सरकार आदेश द्वारा ऐसे कारखाने या ऐसे वर्ग या प्रकार के कारखानों 3[या भाग] को उस उपधारा के किसी उपबन्ध से छूट दे सकेगी और कारखाने को साफ अवस्था में रखने के लिए अन्य तरीके विनिर्दिष्ट कर सकेगी।
12. कचरे और बहिःस्रावव का व्ययन- [(1) प्रत्येक कारखाने में विनिर्माण प्रक्रिया के चलाए जाने से निकलने वाले कचरे और बहिःस्रावव की अभिक्रिया के लिए, जिससे कि वे हानिकारक न रह जाएं, और उनके व्ययन के लिए कारगर इन्तजाम किए जाएंगे ।]
(2) राज्य सरकार उपधारा (1) के अधीन किए जाने वाले इंतजाम विहित करने वाले या यह अपेक्षा करने वाले नियम बना सकेगी कि उपधारा (1) के अनुसार किए गए इंतजाम ऐसे प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित होंगे जो विहित किया जाए ।
13. संवातन और तापमान-(1) प्रत्येक काम करने के कमरे में निम्नलिखित को सुनिश्चित करने और बनाए रखने के लिए प्रत्येक कारखाने में प्रभावपूर्ण और यथोचित व्यवस्था की जाएगी-
(क) स्वच्छ वायु के परिसंचारण के लिए पर्याप्त संवातन; और
(ख) ऐसा तापमान जिससे कर्मकारों की वहां युक्तियुक्त सुखद दशा सुनिश्चित हो जाए और स्वास्थ्य को क्षति का निवारण हो जाए,
और विशिष्टतया-
(i) दीवारें और छतें ऐसी सामग्री की होंगी और इस प्रकार बनाई हुई होंगी कि ऐसा तापमान बढ़ेगा नहीं किन्तु यथासाध्य निम्न रहेगा,
(ii) जहां कारखाने में किया जाने वाला काम इस प्रकार का है कि उसमें अत्यधिक तापमान अन्तर्वलित है या अन्तर्वलित होना संभाव्य है वहां कर्मकारों को उससे बचाने के लिए उस प्रक्रिया को, जो ऐसे तापमान उत्पन्न करती है, काम करने के कमरे से पृथक् करके, उष्ण भागों का रोधन करके या अन्य कारगार तरीकों का प्रयोग करके यथासाध्य उपाय किए जाएंगे ।
(2) राज्य सरकार किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों या उसके भागों के लिए पर्याप्त संवातन और युक्तियुक्त तापमान का मान विहित कर सकेगी और निदेश दे सकेगी कि [मापने के उचित उपकरणों को ऐसे स्थानों और ऐसी स्थिति में रखा जाएगा जो विनिर्दिष्ट की जाए और ऐसे अभिलेखों को बनाए रखा जाएगा जो विहित किए जाएं ।]
[(3) यदि मुख्य निरीक्षक को यह प्रतीत होता है कि किसी कारखाने से अत्यधिक उच्च तापमान को उपयुक्त उपायों को अपनाकर घटाया जा सकता है तो वह, उपधारा (2) के अधीन बनाए गए नियमों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अधिष्ठाता पर एक लिखित आदेश की तामील कर सकेगा जिसमें वे उपाय विनिर्दिष्ट किए जाएंगे जो उसकी राय में अपनाए जाने चाहिएं और किसी विनिर्दिष्ट तारीख से पूर्व उनको किए जाने की अपेक्षा कर सकेगा ।]
14. धूल और धूम-(1) प्रत्येक कारखाने में जिसमें, वहां पर चलाई जाने वाली विनिर्माण प्रक्रिया के कारण कोई धूल या धूम या अन्य अपद्रव्य, जो इस प्रकार का और इतना हो जिसका वहां पर नियोजित कर्मकारों के लिए क्षतिकारक या संतापकारी होना संभाव्य हो, अथवा पर्याप्त मात्रा में कोई धूल निकलती हो, किसी काम करने के कमरे में उसके अन्तःश्वसन और संचयन को रोकने के लिए प्रभावपूर्ण उपाय किए जाएंगे और यदि इस प्रयोजन के लिए कोई निष्कासक साधित्र आवश्यक हो तो उसे धूल, धूम या अन्य उपद्रव्य के यथाशक्य निकटतम मूल स्थल पर प्रयुक्त किया जाएगा और ऐसे स्थल को यथासम्भव परिवेष्टिक कर दिया जाएगा ।
(2) किसी कारखाने में कोई स्थायी अंतर्दहन इंजन तब तक नहीं चलाया जाएगा जब तक उसका निष्कास खुली हवा में न ले जाया जाए और कोई अन्य अंतर्दहन इंजन किसी कमरे में तब तक नहीं चलाया जाएगा जब तक उसमें से निकालने वाले धूम के संचयन को, जिसका कि उस कमरे में नियोजित कर्मकारों के लिए क्षतिकारक होना संभाव्य है रोकने के लिए प्रभावपूर्ण उपाय नहीं कर दिए जाते ।
15. कृत्रिम नमीकरण-(1) उन सब कारखानों के सम्बन्ध में जिनमें वायु की नमी कृत्रिम रूप से बढ़ाई जाती है, राज्य सरकार-
(क) नमीकरण का मान विहित करने वाले;
(ख) वायु की नमी को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के तरीकों को विनियमित करने वाले;
(ग) वायु की नमी अवधारित करने के लिए विहित परीक्षणों का ठीक तौर से किया जाना और अभिलिखित किया जाना निर्दिष्ट करने वाले;
(घ) काम करने के कमरों में पर्याप्त संवातन सुनिश्चित करने और वायु को ठंडा करने के लिए अपनाए जाने वाले तरीके विहित करने वाले,
नियम बना सकेगी ।
(2) ऐसे किसी कारखाने में जिसमें वायु की नमी को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता है, उस प्रयोजन के लिए प्रयुक्त जल सार्वजनिक प्रदाय से लिया जाएगा अथवा पीने के जल के अन्य स्रोत से लिया जाएगा अथवा ऐसे प्रयुक्त किए जाने से पहले शोधित किया जाएगा ।
(3) यदि निरीक्षक को यह प्रतीत होता है कि नमी को बढ़ाने के लिए किसी कारखाने में प्रयुक्त जल जिसका उपधारा (2) के अधीन प्रभावपूर्ण रूप से शोधित किया जाना अपेक्षित है, प्रभावपूर्ण रूप से शोधित नहीं किया गया है, तो वह कारखाने के प्रबन्धक पर एक लिखित आदेश की तामील कर सकेगा जिसमें वे उपाय विनिर्दिष्ट होंगे जो उसकी राय में अपनाए जाने चाहिएं और यह अपेक्षा होगी कि वे विनिर्दिष्ट तारीख से पूर्व किए जाएं ।
16. अतिभीड़-(1) किसी कारखाने में किसी कमरे में इतनी अतिभीड़ नहीं होगी कि वह वहां नियोजित कर्मकारों के स्वास्थ्य के लिए क्षतिकर हो ।
(2) उपधारा (1) की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख को विद्यमान कारखाने के प्रत्येक काम करने के कमरे में कम से कम [9.9 घन मीटर] और इस अधिनियम के प्रारम्भ के पश्चात् बने कारखाने के प्रत्येक काम करने के कमरे में कम से कम [14.2 घन मीटर] जगह वहां नियोजित हर कर्मकार के लिए होगी, और इस उपधारा के प्रयोजन के लिए किसी ऐसी जगह को हिसाब में नहीं लिया जाएगा जो कमरे के फर्श के तल से [4.2 घन मीटर] अधिक ऊपर है ।
(3) यदि मुख्य निरीक्षक लिखित आदेश द्वारा ऐसी अपेक्षा करे तो हर कारखाने के प्रत्येक काम करने के कमरे में एक सूचना लगाई जाएगी जिसमें कर्मकारों की अधिकतम संख्या विनिर्दिष्ट होगी जो कि इस धारा के उपबंधों के अनुपालन में उस कमरे में नियोजित किए जा सकेंगे ।
(4) मुख्य निरीक्षक लिखित आदेश द्वारा ऐसी शर्तों के अधीन यदि कोई हों जैसी वह अधिरोपित करना ठीक समझे, किसी काम करने के कमरे को इस धारा के उपबंधों से छूट दे सकेगा यदि उसका समाधान हो जाता है कि उस कमरे के सम्बन्ध में उसका अनुपालन वहां नियोजित कर्मकारों के स्वास्थ्य के हित में अनावश्यक है ।
17. रोशनी-(1) कारखाने के हर एक भाग में जहां कर्मकार काम करते हैं या जहां से गुजरते हैं, प्राकृतिक, कृत्रिम अथवा दोनों प्रकार की पर्याप्त और यथोचित रोशनी की व्यवस्था की जाएगी और बनाई रखी जाएगी ।
(2) हर कारखाने में काम करने के कमरों में रोशनी करने के लिए प्रयुक्त सब शीशे वाली खिड़कियों और रोशनदानों को बाहरी और भीतरी दोनों ओर से साफ, और जहां तक धारा 13 की उपधारा (3) के अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों के उपबन्धों का अनुपालन करते हुए सम्भव हो, बाधा से मुक्त रखा जाएगा ।
(3) हर कारखाने में निम्नलिखित को रोकने के लिए यावत्साध्य प्रभावपूर्ण व्यवस्था की जाएगी-
(क) रोशनी के स्रोत से सीधे अथवा चिक या पालिश किए हुए तल से परिवर्तन द्वारा चौंध;
(ख) इतने विस्तार तक छायाओं का बनना कि उससे किसी कर्मकार की आंखों पर जोर पड़े या उसे दुर्घटना का खतरा हो जाए ।
(4) राज्य सरकार कारखाने के लिए या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के लिए या किसी विनिर्माण प्रक्रिया के लिए पर्याप्त और यथोचित रोशनी विहित कर सकेगी ।
18. पीने का जल-(1) हर कारखाने में ऐसे यथोचित स्थलों पर जो वहां नियोजित सब कर्मकारों के लिए सुविधाजनक रूप से स्थित हों स्वच्छ पीने के जल के पर्याप्त प्रदाय की व्यवस्था करने और उसे बनाए रखने के लिए प्रभावपूर्ण इन्तजाम किए जाएंगे ।
(2) ऐसे सब स्थलों पर उस भाषा में जिसे कारखाने में नियोजित कर्मकारों की बहुसंख्या समझती है सुपाठ्य रूप से पीने का जल" लिखा होगा और कोई भी ऐसा स्थल, [किसी धोने के स्थान, मूत्रालय, शौचालय, थूकदान, मैला पानी या बहिःस्राव को ले जाने वाली खुली नाली या संदूषण के किसी अन्य स्रोत के छह मीटर के अंदर] स्थित नहीं होगा जब तक कि उससे कम दूरी मुख्य निरीक्षक द्वारा लिखकर अनुमोदित नहीं की जाती ।
(3) हर कारखाने में जहां दो सौ पचास से अधिक कर्मकार मामूली तौर पर नियोजित किए जाते हैं गर्मी के मौसम में पीने के जल को प्रभावपूर्ण साधनों से ठंडा करने और उसके वितरण के लिए व्यवस्था की जाएगी ।
(4) सब कारखानों या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के बारे में राज्य सरकार उपधारा (1), (2) और (3) के उपबन्धों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तथा कारखानों में पीने के जल के प्रदाय और वितरण की विहित प्राधिकारियों द्वारा परीक्षा के लिए नियम बना सकेगी ।
19. शौचालय और मूत्रालय-(1) हर कारखाने में-
(क) विहित प्रकार के पर्याप्त शौचालय और मूत्रालय स्थान की व्यवस्था की जाएगी जो सुविधाजनक रूप से स्थित होंगे और जिन तक कर्मकारों की, सब समयों पर जब वे कारखाने में काम पर हों, पहुंच होगी;
(ख) पुरुष और स्त्री कर्मकारों के लिए पृथक्-पृथक् बन्द स्थानों की व्यवस्था की जाएगी;
(ग) ऐसे स्थानों में पर्याप्त रोशनी और संवातन होगा तथा किसी भी शौचालय या मूत्रालय के लिए, जब तक कि मुख्य निरीक्षक द्वारा लिखकर विशिष्टतः छूट न दी गई हो, किसी काम करने के कमरे से पहुंच, बीच में खुली जगह से या संवातनयुक्त रास्ते से होने से अन्यथा नहीं होगी;
(घ) ऐसे सब स्थान हर समय साफ और स्वच्छ स्थिति में रखे जाएंगे;
(ङ) मेहतर नियोजित किए जाएंगे जिनका प्राथमिक कर्तव्य शौचालयों, मूत्रालयों और धुलाई स्थानों को साफ रखना होगा ।
(2) हर कारखाने में जिसमें दो सौ पचास से अधिक कर्मकार मामूली तौर पर नियोजित किए जाते हैं-
(क) सब शौचालय और मूत्रालय इस प्रकार के होंगे जो विहित स्वच्छतायुक्त हैं;
(ख) शौचालयों और मूत्रालयों तथा स्वच्छता खण्डों के फर्श और [नब्बे सेंटीमीटर] की ऊंचाई तक भीतरी दीवारें कांचित टाइलों की बनी होंगी अथवा इस प्रकार परिसाधित होंगी कि चिकनी पालिश की हुई अप्रवेश्य सतह हो;
(ग) उपधारा (1) के खण्ड (घ) और (ङ) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना शौचालयों और मूत्रालयों के ऐसे बनाए गए या परिसाधित फर्शों, दीवारों के भागों तथा मलपात्रों को हर सात दिन में कम से कम एक बार यथोचित अपमार्जकों या रोगाणुनाशियों से अथवा दोनों से पूर्णतया धोया और साफ किया जाएगा ।
(3) राज्य सरकार किसी कारखाने में मामूली तौर से नियोजित पुरुष और स्त्री कर्मकारों की संख्या के अनुपात में वहां के लिए शौचालयों और मूत्रालयों की संख्या विहित कर सकेगी, और कारखानों में सफाई की बाबत ऐसी अतिरिक्त बातों के लिए, जिनके अन्तर्गत इस सम्बन्ध में कर्मकारों की बाध्यताएं भी हैं, जैसी वह वहां नियोजित कर्मकारों के स्वास्थ्य के हित में आवश्यक समझती है, उपबन्ध कर सकेगी ।
20. थूकदान-(1) हर कारखाने में सुविधाजनक स्थानों पर पर्याप्त संख्या में थूकदानों की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें साफ और स्वास्थ्यकर दशा में रखा जाएगा ।
(2) राज्य सरकार किसी कारखाने में रखे जाने के लिए थूक-दानों के प्रकार और उनकी संख्या तथा उनका स्थान विहित करने वाले नियम बना सकेगी और उन्हें साफ और स्वास्थ्यकर दशा में रखने की बाबत ऐसी ही अतिरिक्त बातों के लिए उपबन्ध कर सकेगी ।
(3) कोई भी व्यक्ति उस प्रयोजन के लिए रखे गए थूकदानों में थूकने के सिवाय कारखाने के परिसर के अन्दर नहीं थूकेगा तथा ऐसा उपबन्ध और उसके अतिक्रमण के लिए शास्ति अन्तर्विष्ट करने वाली एक सूचना परिसर में यथोचित स्थानों पर विशिष्टतः प्रदर्शित होगी ।
(4) जो कोई उपधारा (1) का उल्लंघन करते हुए थूकेगा वह पांच रुपए से अनधिक जुर्माने से दण्डनीय होगा ।
अध्याय 4
सुरक्षा
21. मशीनरी पर बाड़ लगाना-(1) हर कारखाने में निम्नलिखित पर, अर्थात् :-
(i) मूलगति उत्पादक के प्रत्येक गतिमान भाग और मूलगति उत्पादक के संसक्त प्रत्येक गति-पालक-चक्र पर चाहे मूलगति उत्पादक या गति-पालक-चक्र इंजनघर में हो या न हो;
(ii) प्रत्येक जल चक्र और जल टर्बाइन की आवाही कुल्या और अंत कुल्या पर;
(iii) धारक छड़ के किसी भाग पर जो खराद में के अग्रधारक से आगे निकल जाता; और
(iv) निम्नलिखित पर उस दशा में के सिवाय जिसमें ऐसी स्थिति में या इस प्रकार के बने हैं कि कारखाने में नियोजित हर व्यक्ति के लिए उसी प्रकार से निरापद हैं जैसे वे उन पर सुरक्षित रूप से बाड़ लगाए जाने पर होते, अर्थात् :-
(क) किसी विद्युतजनित्र, मोटर या घर्णी परिवर्तित्र के प्रत्येक भाग,
(ख) संचारण मशीनरी के प्रत्येक भाग, और
(ग) किसी अन्य मशीनरी के प्रत्येक संकटपूर्ण भाग,
सुदृढ़ सुरक्षणों द्वारा सुरक्षित रूप से बाड़ लगाई जाएगी जो मशीनरी के बाड़ लगाए गए भाग के गति या प्रयोग में होने के समय [निरन्तर अनुरक्षित रखे जाएंगे और अपनी जगह स्थिर रहेंगे] :
[परन्तु यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि मशीनरी का कोई भाग ऐसी स्थिति में है या इस प्रकार का बना है कि वह पूर्वोक्त रूप में निरापद है ऐसे किसी अवसर को ध्यान में नहीं रखा जाएगा, जब-
(i) पूर्वोक्त मशीनरी के गति में होते हुए उसके किसी भाग की परीक्षा करना या ऐसी परीक्षा के फलस्वरूप मशीनरी के गति में होते हुए स्नेहन या अन्य समायोजन संक्रिया क्रियान्वित करना आवश्यक है और वह परीक्षा या संक्रिया ऐसी है जिसका मशीनरी के उस भाग के गति में होते हुए क्रियान्वित करना आवश्यक है, या
(ii) ऐसी प्रक्रिया में, जो विहित की जाए (यह ऐसी निरन्तर प्रकृति की प्रक्रिया हो जिसके चलाए जाने में मशीनरी के उस भाग के बन्द किए जाने से पर्याप्त रूप से बाधा पहुंचेगी या बाधा पहुंच सकती है) प्रयुक्त संचारण मशीनरी के किसी भाग की दशा में ऐसी मशीनरी के गति में होने के समय मशीनरी के ऐसे भाग की परीक्षा करना या ऐसी परीक्षा के फलस्वरूप मशीनरी के गति में होने के समय पट्टों का चढ़ाया जाना या उनका अन्तरित किया जाना या स्नेहन या अन्य समायोजन संक्रिया आवश्यक है,
और ऐसी परीक्षा या संक्रिया धारा 22 की उपधारा (1) के उपबन्धों के अनुसार की जाती है या क्रियान्वित की जाती है ।]
(2) राज्य सरकार ऐसी अतिरिक्त पूर्वावधानियां जैसी वह किसी विशिष्ट मशीनरी या उसके भाग के बारे में आवश्यक समझे, नियमों द्वारा विहित कर सकेगी या कर्मकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसी विहित की जाएं, किसी विशिष्ट मशीनरी या उसके भाग को इस धारा के उपबन्धों से छूट दे सकेगी ।
22. मशीनरी के गति में होने पर उस पर या उसके निकट काम-(1) [जहां किसी कारखाने में धारा 21 में निर्दिष्ट मशीनरी के किसी भाग का, उस मशीनरी के गति में होते हुए परीक्षा करना आवश्यक हो जाता है या ऐसी परीक्षा के फलस्वरूप, यह आवश्यक हो जाता है कि मशीनरी के गति में होने के समय-
(क) धारा 21 की उपधारा (1) के परन्तुक के खण्ड (1) में स्नेहन या अन्य समायोजन संक्रिया क्रियान्वित की जाए; या
(ख) पूर्वोक्त परन्तु क के खण्ड (त्त्) में निर्दिष्ट दशा में पट्टों को चढ़ाया जाए या उनको अंतरित किया जाए या स्नेहन या अन्य समायोजन संक्रिया क्रियान्वित की जाए,
वहां ऐसी परीक्षा या संक्रिया चुस्त कपड़े पहने (जो अधिष्ठाता द्वारा दिए जाएंगे) विशेष रूप से प्रशिक्षित उस वयस्थ पुरुष कर्मकार द्वारा ही की जाएगी जिसका नाम इस निमित्त विहित रजिस्टर में अभिलिखित है और जिसे उसकी नियुक्ति का प्रमाणपत्र दे दिया गया है और जब वह ऐसे काम में लगा हुआ हो-
(क) ऐसा कर्मकार गतिमान घिरनी पर पट्टे से सम्बन्धित कोई काम तभी करेगा जब-
(i) पट्टा चौड़ाई में 15 सें० मी० से अधिक न हो;
(ii) घिरनी सामान्यतः चलाने के प्रयोजन के लिए हो, न कि केवल फ्लाई व्हील या संतुलित व्हील (जिसमें पट्टे की इजाजत नहीं है) हो;
(iii) पट्टे का जोड़ पट्टे से मिला हुआ या सपाट लगाया हुआ हो;
(iv) पट्टा जिसके अन्तर्गत जोड़ और घिरनी रिम भी है, अच्छी मरम्मत की दशा में हो;
(v) घिरनी और किसी लगे हुए संयंत्र या किसी संरचना के बीच उचित दूरी हो;
(vi) सुरक्षित पायदान और जहां आवश्यक हो वहां सुरक्षित हत्थे चालक के लिए दिए गए हों; और
(vii) पूर्वोक्त परीक्षा या संक्रिया क्रियान्वित करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली कोई सीढ़ी सुरक्षित रूप से लगाई गई हो या बांधी गई हो या दूसरे व्यक्ति द्वारा मजबूती से पकड़ी गई हो;]
(ख) मशीनरी पर बाड लाने से सम्बद्ध इस अधिनियम के किसी अन्य उपबन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, किसी परिक्रामी शेफ्ट पर के प्रत्येक जड़े हुए पेच, काबला और कीली पर, प्रत्येक तर्कु, चक्र या पिनियन पर और सभी स्पर, वर्म तथा गति में के अन्य दतुंर या घर्षण गियरों पर, जिससे ऐसे कर्मकार के अन्यथा सम्पर्क में आने की संभाव्यता हो ऐसे सम्पर्क का निवारण करने के प्रयोजन के लिए सुरक्षित रूप से बाड़ लगाई जाएगी ।
[(2) किसी स्त्री या अल्पवय व्यक्ति को किसी मूलगति उत्पादक के या संचारण मशीनरी के किसी भाग की, जब मूलगति उत्पादक या संचारण मशीनरी गति में हो, सफाई, स्नेहन या समायोजन करने की अथवा यदि किसी मशीन के किसी भाग की सफाई, स्नेहन या समायोजन उस स्त्री या अल्पवय व्यक्ति को उस मशीन के या किसी पार्श्वस्थ मशीनरी के किसी गतिमान भाग से क्षति की आशंका में डाल देगा तो उस मशीन के किसी भाग की सफाई, स्नेहन या समायोजन करने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।]
(3) राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, किसी विनिर्दिष्ट कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखाने में मशीनरी के विनिर्दिष्ट भागों की, जब वे गति में हों, किसी व्यक्ति द्वारा सफाई, स्नेहन या समायोजन प्रतिषिद्ध कर सकेगी ।
23. खतरनाक मशीनों पर अल्पवय व्यक्तियों का नियोजन-(1) [किसी अल्पवय व्यक्ति से किसी मशीनरी पर, जिसको यह धारा लागू होती है, काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे अनुज्ञा नहीं दी जाएगी] जब तक कि उसको उस मशीन से पैदा होने वाले खतरों तथा अनुपालन की जाने वाली पूर्वावधानियों के बारे में पूर्णतः अवगत न करा दिया गया हो तथा-
(क) उसे मशीन पर काम का पूर्णतः प्रशिक्षण न मिल गया हो, या
(ख) वह ऐसे व्यक्ति के पूर्ण पर्यवेक्षण के अधीन न हो जिसको उस मशीन की पूर्ण जानकारी और अनुभव है ।
(2) उपधारा (1) ऐसी मशीनरों को लागू होगी जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं और जो ऐसी मशीनें होंगी जो उसकी राय में ऐसी खतरनाक प्रकार की हैं कि उन पर अल्पवय व्यक्तियों को तब तक काम नहीं करना चाहिए जब तक कि पूर्वगामी अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं कर दी जाती ।
24. बिजली काटने के लिए आद्यत-गियर और युक्तियां-(1) प्रत्येक कारखाने में-
(क) उपयुक्त आद्यत-गियर या अन्य कारगर यांत्रिक साधित्र की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें बनाए रखा जाएगा तथा उन्हें चालन पट्टों को सख्त और ढीली घिरनियों तक और उनसे चलाने के लिए प्रयुक्त किया जाएगा जो कि संचारण मशीनरी के भाग हैं, तथा ऐसे गियर और साधित्र इस प्रकार के बने होंगे, इस प्रकार स्थित होंगे और ऐसे बनाए रखे जाएंगे जिससे कि पट्टे का सख्त घिरनी को वापस जाना निवारित हो जाए;
(ख) चालन पट्टों को जब कि उन्हें प्रयुक्त नहीं किया जाएगा शैफ्ट पर, जो गति में हैं, रहने या चढ़ने नहीं दिया जाएगा ।
(2) हर एक कारखाने में आपात के समय चालू मशीनरी से बिजली काटने के लिए उपयुक्त युक्तियों की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें प्रत्येक काम करने के कमरे में रखा जाएगा :
परन्तु इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व चालू कारखानों की दशा में इस उपधारा के उपबन्ध काम करने के ऐसे कमरों को ही लागू होंगे जिनमें शक्ति के रूप में बिजली का प्रयोग किया जाता है ।
[(3) जहां कारखाने में बिजली काटने के लिए ऐसी युक्ति का उपबन्ध किया गया है जो असावधानी से बन्द होने से चालू होने की स्थिति में बदल सकती है वहां सुरक्षित जगह में युक्ति में ताला लगाने की व्यवस्था करने के लिए प्रबंध किए जाएंगे जिससे कि संचारण मशीनरी या ऐसी अन्य मशीनों को, जिससे युक्ति जड़ी हुई है, अनायास चालू होने को रोक जा सके ।]
25. स्वक्रिय मशीनें-किसी कारखाने में स्वक्रिय मशीन के आर-पार गामी भाग और उस पर ले जाई जाने वाली किसी सामग्री को उस दशा में जिसमें वह स्थान जिस पर वह घूमता है ऐसा स्थान है जिसमें किसी व्यक्ति के चाहे अपने नियोजन के दौरान या अन्यथा गुजरने की संभाव्यता हो, किसी स्थिर संचरना से जो मशीन का भाग नहीं है [पैंतालीस सेंटीमीटर] की दूरी के अन्दर बाहरी या भीतरी आर-पार गमन पथ पर चलने नहीं दिया जाएगा :
परन्तु मुख्य निरीक्षक इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व प्रतिष्ठापित किसी मशीन के, जो इस धारा की अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं करती है, प्रयोग को जारी रखने की अनुज्ञा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसी शर्तों पर दे सकेगा जैसी अधिरोपित करना वह ठीक समझे ।
26. नई मशीनरी का आवेष्टन-(1) बिजली से चलने वाली और इस अधिनियम के प्रारम्भ के पश्चात् किसी कारखाने में प्रतिष्ठापित सभी मशीनरी में-
(क) किसी परिक्रामी शैफ्ट पर का प्रत्येक जड़ा हुआ पेच, काबला या कीली प्रत्येक तुर्क, चक्र या पिनियन इस प्रकार धंसाया, आवेष्टित या अन्यथा प्रभावपूर्ण रूप से संरक्षित किया जाएगा जिससे संकट का निवारण हो जाए;
(ख) सब स्पर, वर्म तथा अन्य दंतुर या घर्षण गियर जिसके लिए उस समय जब वह गति में हो बार-बार समायोजन अपेक्षित नहीं होता, पूर्णतः आवेष्टित किया जाएगा जब तक कि वह इस प्रकार स्थित न हो जिससे वह उतना ही सुरक्षित हो जितना वह पूर्णतः आवेष्टित होने पर होता ।
(2) जो कोई बिजली से चालित किसी मशीनरी को जो [उपधारा (1) के या उपधारा (3) के अधीन बने किन्हीं नियमोंट के उपबन्धों की पूर्ति नहीं करती किसी कारखाने में प्रयोग के लिए बेचेगा या किराए पर देगा अथवा बेचने या किराए पर देने वाले के अभिकर्ता के रूप में बिकवाएगा या किराए पर दिलाएगा अथवा बेचने या किराए पर देने के लिए उपाप्त करेगा वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा ।
[(3) राज्य सरकार किसी विशिष्ट मशीन या वर्ग या प्रकार की मशीनों के किसी अन्य खतरनाक भाग के सम्बन्ध में उपबंधित किया जाने वाला अतिरिक्त सुरक्षण विनिर्दिष्ट करने वाले नियम बना सकेगी ।]
27. रुई-धुनकियों के पास स्त्रियों और बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध-रूई दबाने के कारखाने के किसी ऐसे भाग में जिसमें रूई धुनकी चल रही हो, किसी स्त्री या बालक को नियोजित नहीं किया जाएगा :
परन्तु यदि रूई-धुनकी का भराई-सिरा ऐसे कमरे में हो जो निकासी सिरे से ऐसे विभाजक द्वारा पृथक् किया गया है जिसका विस्तार छत तक हो या जिसकी ऊंचाई इतनी हो जितनी निरीक्षक किसी विशिष्ट मामले में लिखकर विनिर्दिष्ट करे तो स्त्रियों और बालकों को विभाजक के उस ओर नियोजित किया जा सकेगा जहां भराई-सिरा स्थित हो ।
28. उत्तोलक और उत्थापक-(1) प्रत्येक कारखाने में-
(क) हर उत्तोलक और उत्थापक-
(i) समुचित यांत्रिक सन्निर्माण, ठोस सामग्री और पर्याप्त सामर्थ्य का होगा,
(ii) उचित रूप से अनुरक्षित होगा और प्रत्येक छह मास की कालावधि में कम से कम एक बार सक्षम व्यक्ति द्वारा पूर्णरूप से परीक्षित किया जाएगा और प्रत्येक ऐसी परीक्षा की विहित विशिष्टियां एक रजिस्टर में रखी जाएंगी;
(ख) प्रत्येक उत्तोलक मार्ग और उत्थापक मार्ग ऐसे बाड़े से संरक्षित होगा जिस पर फाटक होंगे तथा उत्तोलक या उत्थापक और प्रत्येक ऐसा बाड़ा इस प्रकार का बना होगा कि कोई व्यक्ति या चीज उस उत्तोलजक या उत्थापक के किसी मार्ग तथा किसी स्थिर संरचना या गतिमान भाग के बीच न फंसने पाए;
(ग) अधिकतम सुवहनीय भाग प्रत्येक उत्तोलक या उत्थापक पर स्पष्ट रूप से अंकित होगी और ऐसे भार से अधिक भार उस पर नहीं ले जाया जाएगा;
(घ) व्यक्तियों को ले जाने के लिए प्रयुक्त प्रत्येक उत्तोलक या उत्थापक के पिंजर के हर ओर एक फाटक होगा जिससे उतरने के लिए मार्ग मिले;
(ङ) खण्ड (ख) या खण्ड (घ) में निर्दिष्ट प्रत्येक फाटक अंतःपाशी या ऐसे अन्य कारगार साधन से युक्त होगा जिससे यह सुनिश्चित हो जाए कि फाटक तब तक नहीं खुलेगा जब तक पिंजर उतरने के स्थान पर न हो और पिंजर तक तब चालित नहीं किया जा सकेगा जब तक फाटक बन्द न हो जाए ।
(2) व्यक्तियों को ले जाने के लिए प्रयुक्त और इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात् किसी कारखाने में प्रतिष्ठापित या पुनः सन्निर्मित उत्तोलकों और उत्थापकों के बारे में निम्नलिखित अतिरिक्त अपेक्षाएं लागू होंगी, अर्थात्-
(क) जहां पिंजर रस्सी या जंजीर से समर्थित हो वहां कम से कम दो रस्सियां या जंजीरें होंगी जो पिंजर और संतुलन वजन के साथ पृथक् रूप से जुड़ी होंगी और अपने संलग्नकों सहित प्रत्येक रस्सी या जंजीर, पिंजर के सम्पूर्ण वजन को उसके अधिकतम भार के सहित ले जाने के लिए समर्थ होगी;
(ख) ऐसे कारगर साधनों की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें अनुरक्षित रखा जाएगा जो रस्सियों, जंजीरों या संलग्नकों के टूट जाने की दशा में पिंजर को उसके अधिकतम भार सहित आलम्ब दे सकें;
(ग) पिंजर को सीमा से आगे निकल जाने से रोकने के लिए कारगर स्वचालित युक्ति की व्यवस्था की जाएगी और उसे बनाए रखा जाएगा ।
(3) मुख्य निरीक्षक, इस अधिनियम के प्रारंभ होने से पूर्व किसी कारखाने में प्रतिष्ठापित ऐसे उत्तोलक या उत्थापक का, जो उपधारा (1) के उपबन्धों की पूर्णतः पूर्ति नहीं करता, प्रयोग करते रहने की अनुज्ञा, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसी शर्तों पर दे सकेगा जैसी अधिरोपित करना वह ठीक समझे ।
(4) यदि किसी वर्ग या प्रकार के उत्तोलक या उत्थापक के बारे में राज्य सरकार की यह राय है कि उपधारा (1) और उपधारा (2) की किसी अपेक्षा को प्रवृत्त करना अयुक्तियुक्त होगा तो वह आदेश द्वारा निदेश दे सकेगी कि ऐसी अपेक्षा ऐसे वर्ग या प्रकार के प्रत्येक उत्तोलक या उत्थापक को लागू नहीं होगी ।
[स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए, किसी उत्थापक यंत्र या साधित्र को तब तक उत्तोलक या उत्थापक नहीं समझा जाएगा जब तक उसमें कोई ऐसा मंच या पिंजर न हो जिसकी दिशा या गतिशीलता गाइड या गाइडों द्वारा निर्बंधित हो ।]
[29. उत्थापक यंत्र, जंजीरें, रस्सियां और उत्थापक टैकल-(1) किसी भी कारखाने में, व्यक्तियों, मालों या सामग्रियों को ऊपर या नीचे ले जाने के प्रयोजन के लिए (उत्तोलक और उत्थापक से भिन्न) प्रत्येक उत्थापक यंत्र और प्रत्येक जंजीर, रस्सी और उत्थापक टैकल के संबंध में निम्नलिखित उपबंधों का पालन किया जाएगा-
(क) प्रत्येक उत्थापक यंत्र के सब भाग, जिनके अन्तर्गत चालू गियर भी हैं, चाहे वे स्थिर हों या गतिमान, तथा प्रत्येक जंजीर, रस्सी या उत्थापक टैकल-
(i) समुचित सन्निर्माण, ठोस सामग्री और पर्याप्त सामर्थ्य के होंगे तथा उनमें कोई खराबी नहीं होगी,
(ii) उचित रूप में अनुरक्षित होंगे, और
(iii) प्रत्येक बारह मास की कालावधि में कम से कम एक बार या ऐसे अंतरालों में जैसे मुख्य निरीक्षक लिखकर विनिर्दिष्ट करे, सक्षम व्यक्ति द्वारा पूर्ण रूप से, परीक्षित किए जाएंगे, और प्रत्येक ऐसी परीक्षा की विहित विशिष्टियां, एक रजिस्टर में रखी जाएंगी;
(ख) परख करने के प्रयोजन से अन्यथा कभी भी किसी उत्थापक यंत्र और जंजीर, रस्सी या उत्थापक टैकल पर उस सुवहनीय भार से अधिक भार नहीं लादा जाएगा जो पहचान चिह्न सहित उस पर स्पष्टतः अंकित होगा, और विहित रजिस्टर में सम्यक् रूप से दर्ज होगा, और जहां यह साध्य न हो वहां उपयोग में लाए जा रहे हर प्रकार और आकार के उत्थापक यंत्र या जंजीर, रस्सी या उत्थापक टैकल के सुवहनीय भारों के दर्शित करने वाली सारणी परिसर के प्रमुख स्थानों पर सम्प्रदर्शित होगी;
(ग) जब कोई व्यक्ति किसी चल-क्रेन के चक्रमार्ग पर या उसके पास किसी ऐसे स्थान पर नियोजित है या काम कर रहा है जहां उसके क्रेन से टकराने के सम्भाव्यता हो तब यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएंगे कि क्रेन उस स्थान के [छह मीटर] के अन्दर न आए ।
(2) राज्य सरकार कारखानों में प्रयुक्त किए जाने वाले किसी उत्थापक यंत्र या किसी जंजीर, रस्सी या उत्थापक टैकल के संबंध में-
(क) इस धारा में उपवर्णित अपेक्षाओं के साथ-साथ अनुवर्तित की जाने वाली अतिरिक्त अपेक्षाएं विहित करने वाले;
(ख) इस धारा की सब अपेक्षाओं या उनमें से किसी के अनुवर्तन से, जहां उसकी राय में ऐसा अनुवर्तन अनावश्यक या असाधनीय हो, छूट के लिए उपबन्ध करने वाले,
नियम बना सकेगी ।
(3) इस धारा के प्रयोजनों के लिए उत्थापक यंत्र या जंजीर, रस्सी या उत्थापक टैकल उस दशा में पूर्ण रूप से परीक्षित किए गए समझे जाएंगे, जिसमें उनकी चाक्षुष, यदि आवश्यक हो तो अन्य साधनों से और गियर के भागों को खोलकर भी, परीक्षा इतनी सावधानी के साथ जितनी परिस्थितियों में हो सके, इस विश्वसनीय निष्कर्ष पर पहुंचने की दृष्टि से की जा चुकी है कि परीक्षित भाग निरापद हैं ।
स्पष्टीकरण-इस धारा में-
(क) “उत्थापक यंत्र" से क्रेन, क्रैब, विंच, टीगल, घिरनी-आलम्ब, जिन चक्र, परिवाहक या धावन पथ अभिप्रेत हैं;
[(ख) “उत्थापक टैकल" से अभिप्रेत है जंजीर के स्लिंग, रस्सी के स्लिंग, हुक, शैक्ल, स्विवेल, युग्मन, साकेट, क्लैम्प, ट्रे या समतुल्य साधित्र, चाहे स्थिर हो या चल, जिसका प्रयोग व्यक्तियों या भार को उत्थापक यंत्रों का प्रयोग करके ऊपर ले जाने या नीचे ले आने के लिए किया जाता है ।]]
30. परिक्रामी मशीनरी- [प्रत्येक कारखाने में], जिसमें घिसाई प्रक्रिया चलती है, प्रयुक्त किए जा रहे प्रत्येक यंत्र से स्थायी रूप से चिपकाई हुई या उसके पास रखी हुई एक सूचना होगी जिसमें प्रत्येक स्थान या अपघर्षी-चक्र की अधिकतम निरापद कर्मचालन परिधीय चाल, उस शैफ्ट या तर्कु की गति जिस पर चक्र चढ़ाया हुआ हो, और ऐसी निरापद कर्मचालन परिधीय चाल प्राप्त करने के लिए आवश्यक ऐसे शैफ्ट या तर्कु पर घिरनी का व्यास उपदर्शित होगा ।
(2) गति उससे अधिक नहीं होगी जो उपधारा (1) के अधीन सूचनाओं में उपदर्शित है ।
(3) प्रत्येक कारखाने में यह सुनिश्चित करने के लिए, कारगार उपाय किए जाएंगे कि प्रत्येक परिक्रामी पात्र, पिंजर पेटिका, गतिपालक चक्र, घिरनी, डिस्क या वैसे ही शक्ति चालित साधित्र की गति निरापद कर्मचालन परिधीय चाल से अधिक न हो ।
31. दाब संयंत्र- [(1) यदि किसी कारखाने में कोई संयंत्र या मशीनरी या उसका कोई भाग वायुमंडलीय दाब से अधिक दाव पर प्रचालित किया जाता है तो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएंगे कि ऐसे संयंत्र या मशीनरी या भाग का निरापद कार्यचालन दाब अधिक न हो ।]
(2) राज्य सरकार, उपधारा (1) में निर्दिष्ट जैसे किसी संयंत्र या मशीनरी की परीक्षा या परख के लिए उपबन्ध करने वाले और उससे संबंधित ऐसे अन्य सुरक्षा-उपाय जो उसकी राय में किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के लिए आवश्यक हों, विहित करने वाले नियम बना सकेगी ।
[(3) राज्य सरकार उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट किसी संयंत्र या मशीनरी के किसी भाग को इस धारा के उपबन्धों से छूट नियमों द्वारा, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए दे सकेगी, जो उनमें विनिर्दिष्ट की जाएं ।]
32. फर्श, सीढ़ियां और पहुंच के साधन-हर कारखाने में-
(क) सब फर्श, सोपान, सीढ़ियां, मार्ग और गैंगवे सुदृढ़ता से सन्निर्मित और [और बाधाओं तथा ऐसे पदार्थों से, जिनके कारण व्यक्तियों के फिसल जाने की सम्भावना हो, निर्बाध रखे जाएंगेट और जहां सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो वहां सोपानों, सीढ़ियों, मार्गों और गैंगवे के साथ मजबूत रेलिंग लगे होंगे;
(ख) जहां तक युक्तियुक्ततः साध्य हो ऐसे प्रत्येक स्थान के लिए, जहां पर किसी व्यक्ति से किसी समय काम करने की अपेक्षा हो, पहुंच के निरापद साधनों की व्यवस्था होगी और उन्हें अनुरक्षित रखा जाएगा ;
[(ग) जब किसी व्यक्ति को किसी ऐसी ऊंचाई पर काम करना है जहां से उसके गिर जाने की संभावना है तब, जहां तक युक्तियुक्त रूप से साध्य है, इस प्रकार काम कर रहे व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाड़ लगा कर या अन्यथा व्यवस्था की जाएगी ।]
33. गर्त, चौबच्चे, फर्शों में विवर आदि-(1) प्रत्येक कारखाने में, प्रत्येक स्थिर पात्र चौबच्चा, टंकी, गर्त या भूमि अथवा फर्श में विवर जो अपनी गहराई स्थिति, सन्निर्माण या अन्तर्वस्तु के कारण खतरे का स्रोत है, या हो सकता है, या तो पक्के तौर पर ढका जाएगा या उस पर पक्की बाड़ लगा दी जाएगी ।
(2) राज्य सरकार लिखकर आदेश द्वारा, ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसी विहित की जाएं, किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को किसी पात्र, चौबच्चे, टंकी, गर्त या विवर के बारे में इस धारा के उपबन्धों का अनुपालन करने से छूट दे सकेगी ।
34. अत्यधिक वजन-(1) किसी कारखाने में कोई व्यक्ति इतने भारी बोझ को उठाने, ले जाने या खिसकाने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा जिससे कि उसे क्षति पहुंचने की संभावना हो ।
(2) राज्य सरकार ऐसे अधिकतम वजनों को विहित करने वाले नियम बना सकेगी जो कारखानों में या किसी वर्ग या प्रकार के कारखाने में या किसी विनिर्दिष्ट प्रक्रिया के चलाने में नियोजित वयस्थ पुरुषों, वयस्थ स्त्रियों, कुमारों और बालकों के द्वारा उठाए, ले जाए या खिसकाए जा सकेंगे ।
35. आंखों का बचाव-किसी कारखाने में चलाई जाने वाली किसी ऐसी विनिर्माण प्रक्रिया के बारे में, जैसी विहित की जाए और जो प्रक्रिया ऐसी हो जिसमें-
(क) प्रक्रिया के अनुक्रम में छिटकने वाले कणों या खण्डों से आंखों को क्षति की जोखिम, या
(ख) अत्यधिक रोशनी पड़ने के कारण आखों को जोखिम,
अन्तर्वलित है, राज्य सरकार नियमों द्वारा अपेक्षा कर सकेगी कि क्रिया में या ठीक पास नियोजित व्यक्तियों के बचाव के लिए यथोचित पर्दों या गागलों की व्यवस्था की जाएगी ।
[36. खतरनाक धूम, गैसों, आदि के प्रति पूर्वावधानियां-(1) किसी व्यक्ति से किसी कारखाने में किसी ऐसे कोष्ठ, टंकी, कुंड, गर्त, पाइप फ्ल्यू या अन्य परिरुद्ध स्थान में, जिसमें किसी गैस, धूल, वाष्प या धूम के इतनी अधिक मात्रा में विद्यमान होने की संभावना है जिससे व्यक्ति के अभिभूत हो जाने का खतरा है, तब तक प्रवेश करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे अनुज्ञा नहीं दी जाएगी जब तक उसमें उपयुक्त आकार के मैनहोल या बाहर जाने के अन्य प्रभावी साधनों की व्यवस्था न हो ।
(2) किसी व्यक्ति से उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी परिरुद्ध स्थान के भीतर प्रवेश करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे अनुज्ञा नहीं दी जाएगी जब तक किसी ऐसी गैस, धूम, वाष्प या धूल को, जो विद्यमान हो, अनुज्ञेय सीमाओं के भीतर उसके स्तर को लाने के लिए हटाने और ऐसी गैस, धूम, वाष्प या धूल के प्रवेश को रोकने के लिए सभी साध्य उपाय नहीं कर लिए गए हों और जब तक-
(क) किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा स्वयं किए गए परीक्षण पर आधारित, ऐसा लिखित प्रमाणपत्र न दे दिया गया हो कि वह स्थान खतरनाक गैस, धूम, वाष्प या धूल से उचित रूप से मुक्त है; या
(ख) ऐसा व्यक्ति यथोचित स्वसन साधित्र और ऐसे रस्से से दृढ़तापूर्वक संलग्न पेटी न पहले हुए हो जिसका खुला सिरा परिरुद्ध स्थान के बाहर खड़े किसी व्यक्ति द्वारा पकड़ा हुआ हो ।]
[36क. वहनीय विद्युत प्रकाश के प्रयोग की बाबत पूर्वावधानियां-किसी कारखाने में,-
(क) किसी ऐसे कोष्ठ, तालाब, कुंड, गर्त, नलिका, धूमवाहिका या अन्य परिरुद्ध स्थान के भीतर चौबीस वोल्ट से अधिक वोल्टता वाले वहनीय विद्युत प्रकाश या विद्युत [साधित्र को उपयोग करने की अनुज्ञा तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि पर्याप्त सुरक्षा युक्तियों की व्यवस्था नहीं कर दी जाती है]; और
(ख) यदि ऐसे किसी कोष्ठ, तालाब, कुंड, गर्त, नलिका, धूमवाहिका या अन्य परिरुद्ध स्थान के भीतर किसी ज्वलनशील गैस, धूम या धूल के विद्यमान होने की सम्भाव्यता है तो वहां ज्वालासह सन्निर्माण वाले लैम्प या प्रकाश से भिन्न किसी लैम्प या प्रकाश का उपयोग करने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।]
37. विस्फोटक या ज्वलनशील धूल, गैस आदि-(1) जहां किसी कारखाने में, किसी विनिर्माण प्रक्रिया से इस प्रकार की और इतनी धूल, गैस, धूम या वाष्प पैदा होती है कि उसके ज्वलन से विस्फुटित होने की सम्भाव्यता हो, वहां ऐसे किसी विस्फोट को रोकने के लिए सब साध्य उपाय निम्नलिखित रूप से किए जाएंगे-
(क) प्रक्रिया में प्रयुक्त संयंत्र या मशीनरी का प्रभावी आवेष्टन;
(ख) ऐसी धूल, गैस, धूम या वाष्प के संचय को हटाना या निवारित करना;
(ग) ज्वलन के सब संभव स्रोतों का अपवर्जन या प्रभावी आवेष्टन ।
(2) जहां किसी कारखाने में उपधारा (1) में निर्दिष्ट जैसी प्रक्रिया में प्रयुक्त संयंत्र या मशीनरी ऐसे सन्निर्मित नहीं है कि वह ऐसे दबाव को सहन कर सके जैसा कि यथापूर्वोक्त विस्फोट से पैदा हो सकता है वहां उस संयंत्र या मशीनरी में चौक, व्यारोध, निकास या अन्य प्रभावी साधित्रों की व्यवस्था करके विस्फोट के फैलाव और प्रभाव को रोकने के लिए सब साध्य उपाय किए जाएंगे ।
(3) जहां किसी कारखाने के संयंत्र या मशीनरी के किसी भाग में कोई विस्फोटक या ज्वलनशील गैस या वाष्प ऐसे दाब के अधीन है जो वायुमंडलीय दाब से अधिक है, वहां उस भाग को निम्न उपबन्धों के अनुसार खोलने के सिवाय नहीं खोला जाएगा, अर्थात् :-
(क) उस भाग से जुड़े पाइप के किसी जोड़ के कसाव को या उस भाग में के किसी विवर के ढक्कन के कसाव को ढीला करने से पूर्व उस भाग या ऐसे किसी पाइप में गैस या वाष्प के प्रवाह को स्टाप वाल्व या अन्य साधनों से प्रभाव पूर्णतया रोक दिया जाएगा;
(ख) यथापूर्वोक्त किसी कसाव को हटाने से पूर्व उस भाग या पाइप में गैस या वाष्प के दाब को वायुमंडलीय दाब तक घटा देने के लिए सब साध्य उपाय किए जाएंगे;
(ग) जहां यथापूर्वोक्त किसी कसाव को ढीला किया गया या हटाया गया है, वहां कसाव के कस दिए जाने या, यथास्थिति, पक्के तौर से प्रतिस्थापित कर दिए जाने तक उस भाग या पाइप में किसी विस्फोटक या ज्वलनशील गैस या वाष्प के प्रवेश को रोकने के लिए कारगर उपाय किए जाएंगे :
परन्तु इस उपधारा के उपबन्ध खुली हवा में स्थापित संयंत्र या मशीनरी को लागू नहीं होंगे ।
(4) किसी संयंत्र, टंकी या पात्र में जिसमें कोई विस्फोटक या ज्वलनशील पदार्थ है या रह चुका है, किसी कारखाने में वैल्ड करने, पीतल का टांका लगाने, टांका लगाने या काटने की कोई प्रक्रिया जिसमें ऊष्मा का प्रयोग अन्तर्वलित है, तब तक न की जाएगी जब तक कि ऐसे पदार्थ को और उससे उद्भूत होने वाले किन्हीं धूमों को हटाने के लिए या ऐसे पदार्थ और धूमों को अविस्फोटक और अज्वलनशील बनाने के लिए यथायोग्य उपाय पहले न कर दिए गए हों और किसी ऐसे पदार्थ को ऐसे संयंत्र, टंकी या पात्र में ऐसी प्रक्रिया के पश्चात् तब तक प्रविष्ट न होने दिया जाएगा जब तक कि धातु इतनी पर्याप्त ठंडी न हो गई हो कि उससे पदार्थ के प्रज्वलन की कोई जोखिम न रह जाए ।
(5) राज्य सरकार नियमों द्वारा, ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जो विहित की जाएं, किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को इस धारा के उपबन्धों में से सब या किसी के अनुपालन से छूट दे सकेगी ।
[38. आग लगने की दशा में पूर्वावधानियां-(1) प्रत्येक कारखाने में, भीतर और बाहर दोनों जगह, आग के लगने और उसके फैलने से रोकने के लिए सभी साध्य उपाय किए जाएंगे और-
(क) आग लगने की दशा में सभी व्यक्तियों के लिए बच निकलने के सुरक्षित साधन, और
(ख) आग को बुझाने के लिए आवश्यक उपस्कर और सुविधाओं,
की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें बनाए रखा जाएगा ।
(2) यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएंगे कि प्रत्येक कारखाने में सभी कर्मकार आग लगने की दशा में बच निकलने के साधनों से परिचित हों और ऐसी दशाओं में अपनाई जाने वाली चर्या से पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित हों ।
(3) राज्य सरकार किसी कारखाने या किसी वर्ग या वर्णन के कारखानों की बाबत, उपधारा (1) और उपधारा (2) के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों की अपेक्षा करने के लिए नियम बना सकेगी ।
(4) उपधारा (1) के खण्ड (क) या उपधारा (2) में किसी बात के होते हुए भी, यदि मुख्य निरीक्षक की किसी कारखाने में किए जा रहे कार्य की प्रकृति, उस कारखाने की संरचना, जीवन या सुरक्षा के प्रति विशेष जोखिम, या किन्हीं अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह राय है कि कारखाने में उपबंधित उपाय, चाहे वे विहित रूप में हैं या नहीं, उपधारा (1) के खण्ड (क) या उपधारा (2) के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त हैं, तो वह लिखित रूप में आदेश द्वारा यह अपेक्षा कर सकेगा कि ऐसे अतिरिक्त उपाय, जिन्हें वह युक्तियुक्त और आवश्यक समझे, कारखाने में ऐसी तारीख के पूर्व, जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, उपबंधित किए जाएं ।]
39. खराब भागों के ब्यौरे या स्थिरता की परख अपेक्षित करने की शक्ति-यदि निरीक्षक को प्रतीत होता है कि किसी कारखाने में कोई भवन का भाग अथवा मार्गों, मशीनरी या संयंत्र का कोई भाग ऐसी दशा में है कि वह मानव जीवन या सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है तो वह उस कारखाने के [अधिष्ठाता या प्रबंधक या दोनों] पर एक लिखित आदेश की तामील कर सकेगा जिसमें उससे यह अपेक्षा की जाएगी कि वह विनिर्दिष्ट तारीख से पहले-
(क) ऐसे रेखाचित्र, विनिर्दिष्टियां और अन्य विशिष्टियां दे जैसे यह अवधारण करने के लिए आवश्यक हों कि क्या ऐसा भवन, मार्ग, मशीनरी या संयंत्र निरापद रूप में उपयोग में लाया जा सकता है, या
(ख) ऐसी परख ऐसी रीति में करे, जैसे आदेश में विनिर्दिष्ट हो और उसके परिणाम से निरीक्षक को सूचित करे ।
40. भवनों और मशीनरी की सुरक्षा-(1) यदि निरीक्षक को प्रतीत होता है कि किसी कारखाने में कोई भवन या भवन का भाग अथवा मार्गों, मशीनरी या संयंत्र या कोई भाग ऐसी दशा में है कि वह मानव जीवन या सुरक्षा के लिए खतरनाक है तो वह उस कारखाने के 2[अधिष्ठाता या प्रबंधक या दोनों] पर एक लिखित आदेश की तामील कर सकेगा जिसमें वे उपाय जो उसकी राय में अपनाए जाने चाहिएं, विनिर्दिष्ट होंगे और यह अपेक्षा होगी कि उन्हें विनिर्दिष्ट तारीख से पहले क्रियान्वित किया जाए ।
(2) यदि निरीक्षक को प्रतीत होता है कि किसी कारखाने में किसी भवन या भवन के भाग अथवा मार्गों, मशीनरी या संयंत्र के किसी भाग का उपयोग करने में मानवजीवन या सुरक्षा के लिए आसन्न खतरा अन्तर्वलित है, तो वह उस कारखाने के 2[अधिष्ठाता या प्रबंधक या दोनोंट पर एक लिखित आदेश की तामील कर सकेगा जिसमें उसका प्रयोग तब तक के लिए प्रतिषिद्ध होगा जब तक उसकी उचित मरम्मत नहीं कर दी जाती या उसे परिवर्तित नहीं कर दिया जाता ।
[40क. भवनों का अनुरक्षण-यदि निरीक्षक को यह प्रतीत होता है कि किसी कारखाने में कोई भवन या भवन का भाग ऐसी बेमरम्मती की दशा में है जिससे कर्मकारों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए हानिकारक स्थिति उत्पन्न होने की सम्भाव्यता है तो वह उस कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक पर या दोनों पर एक लिखित आदेश की तामील कर सकेगा जिसमें वे अध्युपाय विनिर्दिष्ट होंगे जो उसकी राय में किए जाने चाहिएं, और यह अपेक्षा की जाएगी कि वे आदेश में विनिर्दिष्ट तारीख से पूर्व किए जाएं ।
40ख. सुरक्षा अधिकारी-(1) प्रत्येक कारखाने में,-
(i) जिसमें एक हजार या उससे अधिक कर्मकार मामूली तौर पर नियोजित हैं, या
(ii) जिसमें राज्य सरकार की राय में कोई विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया की जाती है जो ऐसी प्रक्रिया या संक्रिया है जिसमें कारखाने में नियोजित व्यक्तियों को शारीरिक क्षति, विष या बीमारी की जोखिम या स्वास्थ्य के लिए कोई अन्य खतरा है,
अधिष्ठाता, यदि उससे शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा राज्य सरकार द्वारा ऐसी अपेक्षा की गई है तो, उतनी संख्या में सुरक्षा अधिकारियों को नियोजित करेगा जितनी कि उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए ।
(2) सुरक्षा अधिकारियों के कर्तव्य, अर्हताएं और सेवा की शर्तें ऐसी होंगी जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं ।]
41. इस अध्याय की अनुपूर्ति के लिए नियम बनाने की शक्ति-राज्य सरकार, कारखाने में या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों में से व्यक्तियों की जो वहां नियोजित हों सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसी अतिरिक्त [युक्तियों और अध्युपायों] की व्यवस्था, जैसी वह आवश्यक समझे, अपेक्षित करने वाले नियम बना सकेगी ।
[अध्याय 4क
परिसंकटमय प्रक्रियाओं से संबंधित उपबन्ध
41क. स्थल मूल्यांकन समितियों का गठन-(1) राज्य सरकार, किसी ऐसे कारखाने के, जिसमें कोई परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, प्रारंभिक स्थान के लिए अनुज्ञा देने या किसी ऐसे कारखाने के विस्तार के लिए आवेदनों पर विचार करने के लिए उसे सलाह देने के प्रयोजनों के लिए एक स्थल मूल्यांकन समिति नियुक्त कर सकेगी, जिसमें निम्नलिखित होंगे :-
(क) राज्य का मुख्य निरीक्षक जो उसका अध्यक्ष होगा;
(ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 3 के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त जल प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण के लिए केन्द्रीय बोर्ड का एक प्रतिनिधि;
(ग) वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (1981 का 14) की धारा 3 में निर्दिष्ट वायु प्रदूषण के निवारण और नियंत्रण के लिए केन्द्रीय बोर्ड का एक प्रतिनिधि;
(घ) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) की धारा 4 के अधीन नियुक्त राज्य बोर्ड का एक प्रतिनिधि;
(ङ) वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (1981 का 14) की धारा 5 में निर्दिष्ट वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण के लिए राज्य बोर्ड का एक प्रतिनिधि;
(च) राज्य के पर्यावरण विभाग का एक प्रतिनिधि;
(छ) भारत सरकार के मौसम विज्ञान विभाग का एक प्रतिनिधि;
(ज) उपजीविका से संबंधित स्थास्थ्य के क्षेत्र का एक विशेषज्ञ; और
(झ) राज्य सरकार के शहरी योजना विभाग का एक प्रतिनिधि,
और पांच से अनधिक ऐसे अन्य सदस्य होंगे जो राज्य सरकार द्वारा सहयोजित किए जा सकेंगे, अर्थात् :-
(i) एक ऐसा वैज्ञानिक होगा जिसके पास उस परिसंकटमय प्रक्रिया का जो कारखाने में अंतर्वलित होगी, विशेषज्ञीय ज्ञान है,
(ii) उस स्थानीय प्राधिकारी का एक प्रतिनिधि होगा जिसकी अधिकारिता के भीतर कारखाना स्थापित किया जाना है, और
(iii) तीन से अनधिक ऐसे अन्य व्यक्ति होंगे जिन्हें राज्य सरकार योग्य समझे ।
(2) स्थल मूल्यांकन समिति, किसी ऐसे कारखाने की, जिसमें परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, स्थापना के लिए आवेदन की जांच करेगी और विहित प्ररूप में ऐसे आवेदनों की प्राप्ति से नब्बे दिन की अवधि के भीतर राज्य सरकार को अपनी सिफारिश करेगी ।
(3) जहां कोई प्रक्रिया केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व या उसके द्वारा नियंत्रित किसी कारखाने से या केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व या उसके द्वारा नियंत्रित किसी निगम या किसी कम्पनी से संबंधित है, वहां राज्य सरकार स्थल मूल्यांकन समिति में केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट प्रतिनिधि को उस समिति के एक सदस्य के रूप में सहयोजित करेगी ।
(4) स्थल मूल्यांकन समिति की यह शक्ति होगी कि वह किसी ऐसे कारखाने की, जिसमें कोई परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, स्थापना या विस्तार के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति से किसी भी जानकारी की मांग करेगी ।
(5) जहां राज्य सरकार ने ऐसे कारखाने की, जिसमें कोई परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, स्थापना या विस्तार के लिए आवेदन को अनुमोदित कर दिया है, वहां आवेदक के लिए, यह आवश्यक नहीं होगा कि वह जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (1974 का 6) और वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (1981 का 14) के अधीन स्थापित केन्द्रीय बोर्ड या राज्य बोर्ड से पुनः अनुमोदन प्राप्त करे ।
41ख. अधिष्ठाता द्वारा जानकारी का अनिवार्य प्रकटीकरण-(1) ऐसे प्रत्येक कारखाने का, जिसमें कोई परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, अधिष्ठाता, स्वास्थ्य संबंधी परिसंकट सहित खतरों से संबंधित सभी जानकारी और विनिर्माण, परिवहन, भंडारकरण और अन्य प्रक्रियाओं में ही सामग्रियों या पदार्थों को खुला छोड़ने या उनकी उठाई-धराई से उद्भूत ऐसे परिसंकटों पर काबू पाने के उपाय विहित रीति से कारखाने में नियोजित कर्मकारों, मुख्य निरीक्षक, उस स्थानीय प्राधिकारी, जिसकी अधिकारिता के भीतर कारखाना स्थित है और आस-पास के जनसाधारण को प्रकट करेगा ।
(2) अधिष्ठाता, उस कारखाने का, जिसमें कोई परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, रजिस्ट्रीकरण करने के समय उसमें नियोजित कर्मकारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की बाबत एक विस्तृत नीति अधिकथित करेगा और ऐसी नीति के बारे में मुख्य निरीक्षक तथा स्थानीय प्राधिकारी को संसूचित करेगा और उसके पश्चात्, ऐसे अन्तरालों पर जो विहित किए जाएं, उक्त रीति में किए गए किसी परिवर्तन के बारे में मुख्य निरीक्षक और स्थानीय प्राधिकारी को सूचित करेगा ।
(3) उपधारा (1) के अधीन दी गई जानकारी में अपशिष्टों की मात्रा, विनिर्देश और अन्य लक्षण तथा उनके व्ययन की रीति के बारे में ठीक-ठीक जानकारी सम्मिलित होगी ।
(4) प्रत्येक अधिष्ठाता, मुख्य निरीक्षक के अनुमोदन से, स्थल संबंधी आपात योजना तैयार करेगा और अपने कारखाने के लिए विस्तृत संकट नियंत्रण उपाय करेगा तथा किसी दुर्घटना होने की दशा में किए जाने के लिए अपेक्षित सुरक्षा उपायों को उसमें नियोजित कर्मकारों और कारखाने के आस-पास रहने वाले जनसाधरण की जानकारी में लाएगा ।
(5) कारखाने का प्रत्येक अधिष्ठाता,-
(क) यदि ऐसा कारखाना, कारखाना (संशोधन) अधिनियम, 1987 के प्रारम्भ पर, परिसंकटमय प्रक्रिया में लगा हुआ है तो ऐसे प्रारम्भ से तीस दिन की अवधि के भीतर; और
(ख) यदि ऐसा कारखाना ऐसे प्रारम्भ के पश्चात् किसी समय परिसंकटमय प्रक्रिया में लगना चाहता है तो ऐसी प्रक्रिया के प्रारम्भ से पूर्व तीस दिन की अवधि के भीतर,
मुख्य निरीक्षक को प्रक्रिया की प्रकृति और ब्यौरों के बारे में ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, सूचित करेगा ।
(6) जहां कारखाने का कोई अधिष्ठाता उपधारा (5) के उपबंधों का उल्लंघन करता है वहां ऐसे कारखाने को धारा 6 के अधीन दी गई अनुज्ञप्ति, ऐसी किसी शास्ति के होते हुए भी, जो कारखाने के अधिष्ठाता पर इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन अधिरोपित की जा सकती है, रद्द किए जाने के दायित्व के अधीन होगी ।
(7) किसी ऐसे कारखाने का, जिसमें परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, अधिष्ठाता, मुख्य निरीक्षक के पूर्व अनुमोदन से, कारखाना परिसर के भीतर परिसंकटमय पदार्थों की उठाई-धराई, प्रयोग, परिवहन, भंडारकरण, तथा कारखाना परिसर के बाहर ऐसे पदार्थों के व्ययन के लिए उपाय अधिकथित करेगा और उनका कर्मकारों तथा आस-पास रहने वाले जनसाधरण के बीच, विहित रीति से, प्रचार करेगा ।
41ग. अधिष्ठाता का परिसंकटमय प्रक्रियाओं के संबंध में विनिर्दिष्ट उत्तरदायित्व-किसी ऐसे कारखाने का, जिसमें कोई परिसंकटमय प्रक्रिया अन्तर्वलित है, अधिष्ठाता-
(क) कारखाने में ऐसे कर्मकारों के, यथास्थिति, शुद्ध और अद्यतन स्वास्थ्य संबंधी अभिलेख या चिकित्सा संबंधी अभिलेख रखेगा जो किसी रासायनिक, विषैले या किन्हीं ऐसे अन्य हानिप्रद पदार्थों के प्रति उच्छन्न हैं जो विनिर्मित किए जाते हैं, भंडार में रखे जाते हैं, उठाए-धरे या परिवहन किए जाते हैं और ऐसे अभिलेख, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाएं, कर्मकारों की पहुंच में होंगे;
(ख) ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करेगा जिनके पास परिसंकटमय पदार्थों की उठाई-धराई-संबंधी अर्हताएं और अनुभव हैं तथा जो कारखाने के भीतर ऐसे पदार्थों के उठाने-धरने का पर्यवेक्षण करने और काम के स्थान पर कर्मकारों का विहित रीति से संरक्षण करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में सक्षम हैं :
परन्तु जहां इस प्रकार नियुक्त किसी व्यक्ति की अर्हताओं और अनुभव के बारे में कोई प्रश्न उठता है वहां मुख्य निरीक्षक का विनिश्चय अन्तिम होगा;
(ग) प्रत्येक कर्मकार की चिकित्सीय परीक्षा की-
(क) ऐसे कर्मकार को कोई ऐसा काम सौंपने के पहले जिसमें किसी परिसंकटमय पदार्थ की उठाई-धराई या काम अन्तर्वलित है,
(ख) ऐसा काम करते रहने के दौरान और ऐसे काम के समाप्त होने के पश्चात्, ऐसे अंतरालों पर, जो बारह मास से अधिक न हो, ऐसी रीति से जो विहित की जाए,
व्यवस्था करेगा ।
41घ. केन्द्रीय सरकार की जांच समिति नियुक्त करने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, किसी परिसंकटमय प्रक्रिया में लगे कारखाने में असाधारण स्थिति होने की दशा में एक जांच समिति नियुक्त कर सकेगी, जो कारखाने में नियोजित कर्मकारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए विहित किन्हीं उपायों या स्तरमानों के अपनाए जाने में किसी चूक या उपेक्षा के कारणों का या ऐसी चूक या उपेक्षा के कारण प्रभावित या प्रभावित होने वाले जनसाधरण का पता लगाने की दृष्टि से कारखाने में अनुपालित स्वास्थ्य और सुरक्षा के स्तरमानों की तथा भविष्य में ऐसे कारखाने में या अन्यत्र ऐसी असाधारण स्थितियों को रोकने और पुनः न होने के लिए जांच करेगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त समिति में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे तथा समिति के विचारणीय विषय और उसके सदस्यों की पदावधि वह होगी जो केन्द्रीय सरकार, स्थिति की अपेक्षाओं के अनुसार, अवधारित करे ।
(3) समिति की सिफारिशें सलाह के रूप में होंगी ।
41ङ. आपात स्तरमान-(1) जहां केंद्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि सुरक्षा के स्तरमान किसी परिसंकटमय प्रक्रिया या परिसंकटमय प्रक्रियाओं के वर्ग की बाबत विहित नहीं किए गए हैं, अथवा जहां इस प्रकार विहित स्तरमान अपर्याप्त हैं, वहां वह कारखाना सलाहकार सेवा और श्रम संस्थाओं के महानिदेशक या परिसंकटमय प्रक्रियाओं में सुरक्षा के स्तरमानों से संबंधित विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त किसी संस्था को ऐसी परिसंकटमय प्रक्रियाओं की बाबत उपयुक्त स्तरमानों के प्रवर्तन के लिए आपात स्तरमान अधिकथित करने के लिए निदेश दे सकेगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अधिकथित आपात स्तरमान, जब तक कि वे इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों में सम्मिलित नहीं होते हैं तब तक प्रवर्तनीय होंगे और वैसे ही प्रभावी होंगे मानो वे इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों में सम्मिलित कर लिए गए हैं ।
41च. रासायनिक और विषैले पदार्थों को खुला छोड़ने की अनुज्ञेय सीमाएं-(1) किसी कारखाने में विनिर्माण प्रक्रियाओं (चाहे वे परिसंकटमय हों या अन्यथा) में रासायनिक और विषैले पदार्थों को खुला छोड़ने की अधिकतम अनुज्ञेय सीमाएं उस मान तक होंगी जो दूसरी अनुसूची में उपदर्शित हैं ।
(2) केन्द्रीय सरकार, किसी भी समय, विशेषज्ञता प्राप्त संस्थाओं या इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से प्राप्त किन्हीं वैज्ञानिक सबूतों को प्रभावी करने के प्रयोजन के लिए उक्त अनुसूची में, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा उपयुक्त परिवर्तन कर सकेगी ।
41छ. सुरक्षा प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना-(1) अधिष्ठाता, ऐसे प्रत्येक कारखाने में, जहां कोई परिसंकटमय प्रक्रिया की जाती है, या जहां परिसंकटमय पदार्थों का प्रयोग या उनकी उठाई-धराई की जाती है, काम में उचित सुरक्षा और स्वास्थ्य बनाए रखने में तथा उस निमित्त किए गए उपायों का कालिकतः पुनर्विलोकन करने के लिए कर्मकारों और प्रबंध के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एक सुरक्षा समिति का गठन भी करेगा जिसमें कर्मकारों और प्रबंध के प्रतिनिधियों की संख्या बराबर होगी :
परन्तु राज्य सरकार, लिखित रूप में आदेश द्वारा और उसके लिए जो कारण हैं उन्हें लेखबद्ध करके, किसी कारखाने या कारखानों के वर्ग के अधिष्ठाता को ऐसी समिति का गठन करने से छूट दे सकेगी ।
(2) सुरक्षा समिति की संरचना, उसके सदस्यों की पदावधि और उनके अधिकार तथा कर्तव्य वे होंगे जो विहित किए जाएं ।
41ज. कर्मकारों का आसन्न खतरे के बारे में चेतावनी देने का अधिकार-(1) जहां किसी परिसंकटमय प्रक्रिया में लगे किसी कारखाने में नियोजित कर्मकारों को युक्तियुक्त आशंका हो कि किसी दुर्घटना के कारण उनके जीवन या स्वास्थ्य को संभाव्यतः आसन्न खतरा है, वहां वे उसे अधिष्ठाता, अभिकर्ता, प्रबंधक या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति की, जो कारखाने या संबंधित प्रक्रिया का भारसाधक है, जानकारी में सीधे या सुरक्षा समिति के अपने प्रतिनिधियों की मार्फत ला सकेंगे और साथ ही उसे निरीक्षक की जानकारी में भी ला सकेंगे ।
(2) ऐसे अधिष्ठाता, अभिकर्ता, प्रबंधक या कारखाने या प्रक्रिया के भारसाधक व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह तुरंत उपचारी कार्रवाई करे, यदि उसका ऐसे आसन्न खतरे की विद्यमानता के बारे में समाधान हो जाता है और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तत्काल निकटतम निरीक्षक को भेजें ।
(3) यदि उपधारा (2) में निर्दिष्ट अधिष्ठाता, अभिकर्ता, प्रबंधक या भारसाधक व्यक्ति का कर्मकारों द्वारा आशंकित रूप में किसी आसन्न खतरे की विद्यमानता के बारे में समाधान नहीं होता है तो भी वह इस मामले को निकटतम निरीक्षक को तत्काल निर्देशित करेगा जिसका ऐसे आसन्न खतरे की विद्यमानता के बारे में विनिश्चय अंतिम होगा ।]
अध्याय 5
कल्याण
42. धुलाई की सुविधाएं-(1) प्रत्येक कारखाने में-
(क) वहां के कर्मकारों के उपयोग के लिए धुलाई की पर्याप्त और उपयुक्त सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी और बनाए रखी जाएगी;
(ख) पुरुष और स्त्री कर्मकारों के उपयोग के लिए पृथक् और पर्दायुक्त सुविधाएं उपलभ्य की जाएंगी;
(ग) ऐसी सुविधाओं के लिए पहुंच, आसान होंगी और वे साफ रखी जाएंगी ।
(2) राज्य सरकार किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के लिए या किसी विनिर्माण प्रक्रिया के लिए धुलाई की सुविधाओं के समुचित और उपयुक्त मान विहित कर सकेगी ।
43. वस्त्रों को रखने और सुखाने के लिए सुविधाएं-राज्य सरकार किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के बारे में काम के घंटों के दौरान न पहने जाने वाले वस्त्रों को रखने और गीले कपड़ों को सुखाने के लिए समुचित स्थानों की व्यवस्था अपेक्षित करने वाले नियम बना सकेगी ।
44. बैठने की सुविधाएं-(1) हर कारखाने में खड़े होकर काम करने के लिए बाध्य सब कर्मकारों के बैठने के लिए उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी और बनाए रखी जाएगी जिससे वे अपने काम के दौरान उपलभ्य विश्राम अवसरों का लाभ उठा सकें ।
(2) यदि मुख्य निरीक्षक की राय में किसी कारखाने में किसी विशिष्ट विनिर्माण प्रक्रिया में लगे या किसी विशिष्ट कमरे में काम करने वाले कर्मकार बैठकर अपना काम दक्षता से कर सकते हैं तो वह कारखाने के अधिष्ठाता से लिखित आदेश द्वारा अपेक्षा कर सकेगा कि वह ऐसे काम में लगे या काम करने वाले सब कर्मकारों के लिए बैठने की ऐसी व्यवस्था, जैसी साध्य हो, विनिर्दिष्ट तारीख से पहले करे ।
(3) राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, घोषित कर सकेगी कि उपधारा (1) के उपबन्ध किसी विनिर्दिष्ट कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को या किसी विनिर्दिष्ट विनिर्माण प्रक्रिया को लागू नहीं होंगे ।
45. प्राथमिक उपचार साधित्र-(1) प्रत्येक कारखाने में विहित अन्तर्वस्तुओं से युक्त प्राथमिक उपचार-बक्से या कबर्ड उपलभ्य होंगे और रखे रहेंगे जिससे वे सारे काम के घंटों के दौरान आसानी से प्राप्य हों और इस प्रकार उपलभ्य और रखे हुए बक्सों या कबर्डों की संख्या कारखाने में [किसी एक समय पर] मामूली तौर से नियोजित हर डेढ़ सौ कर्मकारों के लिए एक से कम नहीं होगी ।
[(2) प्राथमिक उपचार-बक्से या कबर्ड में विहित अन्तर्वस्तुओं के सिवाय कुछ नहीं रखा जाएगा ।]
(3) प्रत्येक प्राथमिक उपचार बक्स या कबर्ड को एक अलग उत्तरदायी व्यक्ति के भारसाधन में रखा जाएगा, [जिसके पास राज्य सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त प्राथमिक उपचार चिकित्सा का प्रमाणपत्र हो] और जो कारखाने के काम के घण्टों के दौरान सदा आसानी से उपलभ्य हो] ।
[(4)] हर कारखाने में, जिसमें पांच सौ से अधिक कर्मकार [मामूली तौर पर नियोजित] हैं विहित आकार का एक एम्बुलैंस कमरा होगा और अनुरक्षित रखा जाएगा जिसमें विहित साज-समान होगा और जो ऐसे चिकित्सीय और परिचर्या कर्मचारिवृन्द के भारसाधन में होगा जैसे विहित किए जाएं, [और वे सुविधाएं कारखाने के काम करने के घंटों के दौरान सुगमतापूर्वक उपलभ्य कराई जाएंगी] ।
46. कैन्टीन-(1) राज्य सरकार यह अपेक्षा करने वाले नियम बना सकेगी कि किसी विनिर्दिष्ट कारखाने में, जिसमें ढाई सौ से अधिक कर्मकार मामूली तौर पर नियोजित किए जाते हैं, कर्मकारों के उपयोग के लिए अधिष्ठाता द्वारा कैन्टीन या कैन्टीनों की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें बनाए रखा जाएगा ।
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित के लिए उपबन्ध कर सकेंगे-
(क) वह तारीख जिस तक ऐसी कैन्टीन की व्यवस्था की जाएगी;
(ख) कैन्टीन के सन्निर्माण, उसमें जगह, फर्नीचर और अन्य साज-समान के बारे में मानक;
(ग) खाद्य पदार्थ जो वहां उपलभ्य किए जांएगे और दाम जो उनके लिए प्रभारित किए जा सकेंगे;
(घ) कैन्टीन के लिए प्रबंध समिति का गठन और कैन्टीन के प्रबंध में कर्मकारों का प्रतिनिधित्व;
[(घघ) कैन्टीन के चलाए जाने में व्यय की वे मदें, जो खाद्य पदार्थों का खर्च निर्धारित करने में हिसाब में नहीं ली जाएंगी और जिन्हें नियोजक वहन करेगा ;]
(ङ) खण्ड (ग) के अधीन नियम बनाने की शक्ति का मुख्य निरीक्षक को ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसी विहित की जाएं, प्रत्यायोजन ।
47. आश्रय, विश्राम कक्ष और भोजन कक्ष-(1) हर ऐसे कारखाने में, जिसमें डेढ़ सौ से अधिक कर्मकार मामूली तौर पर नियोजित हों, पर्याप्त और उपयुक्त आश्रय या विश्राम कक्ष और पीने के पानी की व्यवस्था सहित ऐसे उपयुक्त भोजन कक्ष, जहां कर्मकार अपने द्वारा लाया खाना खा सकें, कर्मकारों के उपयोग के लिए उपलभ्य होंगे और अनुरक्षित रखे जाएंगे :
परन्तु यह कि धारा 46 के उपबन्धों के अनुसार चलाई गई कोई कैन्टीन इस उपधारा की अपेक्षाओं के भागरूप मानी जाएगी :
परन्तु यह और कि जहां भोजन कक्ष विद्यमान हो वहां कोई कर्मकार काम के कमरे में कोई खाना नहीं खाएगा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन उपलभ्य किए जाने वाले आश्रयों या विश्राम कक्षों या भोजन कक्षों में पर्याप्त रोशनी और संवातन होगा और वे ठंडे और साफ दशा में रखे जाएंगे ।
(3) राज्य सरकार-
(क) इस धारा के अधीन उपलभ्य किए जाने वाले आश्रयों, विश्राम कक्षों और भोजन कक्षों के सन्निर्माण, उनमें जगह, फर्नीचर और अन्य साज-समान के बारे में मान विहित कर सकेगी;
(ख) शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को इस धारा की अपेक्षाओं से छूट दे सकेगी ।
48. शिशु कक्ष-(1) हर ऐसे कारखाने में जिसमें [तीस से अधिक स्त्री कर्मकार] मामूली तौर पर नियोजित की जाती हैं ऐसी स्त्रियों के छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के उपयोग के लिए उपयुक्त कमरा या कमरे उपलभ्य होंगे और अनुरक्षित रखे जाएंगे ।
(2) ऐसे कमरों में पर्याप्त जगह होगी, पर्याप्त रोशनी और संवातन होगा, वे साफ और स्वच्छतर दशा में रखे जाएंगे और बालकों और शिशुओं की देख-रेख के लिए प्रशिक्षित स्त्रियों के भारसाधन में होंगे ।
(3) राज्य सरकार-
(क) इस धारा के अधीन उपलभ्य किए जाने वाले कमरों के स्थान तथा उनके सन्निर्माण, उनमें जगह, फर्नीचर और अन्य साज-समान के बारे में मान विहित करने वाले;
(ख) उन कारखानों में जिन पर यह धारा लागू होती है स्त्री कर्मकारों के बच्चों की देख-रेख के लिए अतिरिक्त सुविधाएं, जिनके अन्तर्गत उनके कपड़े धोने और बदलने के लिए सुविधाओं की समुचित व्यवस्था भी है, उपलभ्य करने की अपेक्षा करने वाले;
(ग) किसी कारखाने में ऐसे बच्चों के लिए मुफ्त दूध या उपाहार या दोनों की व्यवस्था अपेक्षित करने वाले;
(घ) किसी कारखाने में आवश्यक अन्तरालों पर ऐसे बच्चों की माताओं को उन्हें अपना दूध पिलाने की सुविधा देने की अपेक्षा करने वाले,
नियम बना सकेगी ।
49. कल्याण अधिकारी-(1) हर कारखाने में, जिसमें पांच सौ या उससे अधिक कर्मकार मामूली तौर पर नियोजित किए जाते हैं, अधिष्ठाता कारखाने में इतने कल्याण अधिकारी नियोजित करेगा जितने विहित किए जाएं ।
(2) राज्य सरकार उपधारा (1) के अधीन नियोजित अधिकारियों के कर्तव्य, अर्हताएं और सेवा की शर्तें विहित कर सकेगी ।
50. इस अध्याय की अनुपूर्ति के लिए नियम बनाने की शक्ति-राज्य सरकार-
(क) कर्मकारों के कल्याणार्थ ऐसी आनुकल्पिक व्यवस्थाओं के अनुपालन के अध्यधीन, जैसी विहित की जाएं, किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को इस अध्याय के उपबन्धों में से किसी का अनुपालन करने से छूट देने वाले;
(ख) किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों में कर्मकारों के कल्याणार्थ व्यवस्थाओं के प्रबंध से उस कारखाने में नियोजित कर्मकारों के प्रतिनिधियों को सहयोजित करने की अपेक्षा करने वाले,
नियम बना सकेगी ।
अध्याय 6
वयस्थों के काम के घंटे
51. साप्ताहिक घंटे-कोई वयस्थ कर्मकार किसी कारखाने में किसी सप्ताह में अड़तालीस घंटों से अधिक के लिए काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।
52. साप्ताहिक अवकाश दिन-(1) कोई वयस्थ कर्मकार किसी कारखाने में सप्ताह के प्रथम दिन (जिसे इसमें इसके पश्चात् उक्त दिन के रूप में निर्दिष्ट किया गया है,) काम करने के लिए उस दशा के सिवाय अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा जिसमें कि-
(क) उसे उक्त दिन से ठीक पहले या पश्चात् के तीन दिनों में से एक दिन पूरे दिन के लिए अवकाश दिन मिल चुका है या मिलेगा; और
(ख) कारखाने के प्रबंधक ने उक्त दिन या खण्ड (क) के अधीन उसके लिए प्रतिस्थापित दिन, इनमें से जो भी पहले हो उसके पूर्व-
(i) अपने इस आशय की कि वह कर्मकार से उक्त दिन काम करने की अपेक्षा करता है और उस दिन की, जो कि उसके लिए, प्रतिस्थापित किया जाना है, सूचना निरीक्षक के कार्यालय में परिदत्त कर दी है, और
(ii) उस आशय की सूचना कारखाने में संप्रदर्शित कर दी है :
परन्तु ऐसा प्रतिस्थापन नहीं किया जाएगा जिसके परिणामस्वरूप किसी कर्मकार को एक पूरे दिन के लिए अवकाश के बिना लगातार दस दिन से अधिक के लिए काम करना पड़े ।
(2) उपधारा (1) के अधीन दी गई सूचनाओं का रद्दकरण उक्त दिन या रद्द किए जाने वाले अवकाश दिन, इनमें से जो भी पहले हो, उसके पूर्व के दिन न कि उसके पश्चात् निरीक्षक के कार्यालय में परिदत्त सूचना और कारखाने में संप्रदर्शित सूचना द्वारा किया जा सकेगा ।
(3) जहां उपधारा (1) के उपबन्धों के अनुसार कोई कर्मकार उक्त दिन काम करता है और उस दिन से ठीक पहले तीन दिनों में से एक दिन अवकाश मिल चुका है वहां वह उक्त दिन उसके काम के साप्ताहिक घंटों की गणना करने के प्रयोजन के लिए पूर्ववर्ती सप्ताह में सम्मिलित किया जाएगा ।
53. प्रतिकरात्मक अवकाश दिन-(1) जहां इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन ऐसा आदेश पारित करने या नियम बनाए जाने के परिणामस्वरूप, जिससे किसी कारखाने या उसके कर्मकारों को धारा 52 के उपबन्धों से छूट दी गई है, कोई कर्मकार उन साप्ताहिक अवकाश दिनों में से, जिनके लिए उस धारा की उपधारा (1) में उपबन्ध किया गया है, किन्हीं से वंचित हो जाता है, वहां उसे उस मास में जिसमें उसे अवकाश दिन मिलने थे या उस मास के ठीक बाद के दो मास के अन्दर उन अवकाश दिनों के बराबर जो उसे नहीं मिले, प्रतिकरात्मक अवकाश दिन अनुज्ञात किए जाएंगे ।
(2) राज्य सरकार उस रीति को विहित कर सकेगी जिसमें वे अवकाश दिन जिनके लिए उपधारा (1) में उपबन्ध किया गया है, अनुज्ञात किए जाएंगे ।
54. दैनिक घंटे-धारा 51 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए कोई वयस्थ कर्मकार किसी कारखाने में किसी दिन नौ घंटों से अधिक के लिए काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा :
[परन्तु मुख्य निरीक्षक के पूर्व अनुमोदन के अध्यधीन यह है कि पारियों का बदला जाना सुकर बनाने के लिए इस धारा में विनिर्दिष्ट दैनिक अधिकतम बढ़ाया जा सकेगा ।]
55. विश्राम अन्तराल- [(1)] किसी कारखाने में वयस्थ कर्मकारों के प्रतिदिन के [काम की कालावधियां] इस प्रकार नियत की जाएंगी कि कोई कालावधि पांच घंटों से अधिक की नहीं होगी और कोई कर्मकार कम से कम आधे घंटे का विश्राम अन्तराल ले चुकने से पूर्व पांच घंटे से अधिक काम नहीं करेगा ।
[(2) राज्य सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक लिखित आदेश द्वारा और उसमें विनिर्दिष्ट कारणों के लिए किसी कारखाने को उपधारा (1) के उपबन्धों से छूट दे सकेगा किन्तु इस प्रकार कि किसी कर्मकार के अन्तराल के बिना काम के घंटों की संख्या छह से अधिक न हो ।]
56. विस्तृति-कारखाने में किसी वयस्थ कर्मकार के काम की कालावधियां इस प्रकार व्यवस्थित की जाएंगी कि धारा 55 के अधीन उसके विश्राम के लिए अन्तरालों के सहित उनकी किसी दिन साढ़े दस घंटे से अधिक विस्तृति नहीं होगी :
[परन्तु मुख्य निरीक्षक उन कारणों से, जो लिखित रूप में विनिर्दिष्ट किए जाएंगे, विस्तृति को बढ़ाकर बारह घंटे तक की कर सकेगा ।]
57. रात की पारियां-जहां कारखाने में कोई कर्मकार ऐसी पारी में काम करता है जिसका विस्तार मध्य रात्रि से आगे होता है वहां-
(क) धारा 52 और 53 के प्रयोजनों के लिए उसके बारे में पूरे दिन के अवकाश से उसकी पारी की समाप्ति से आरंभ होने वाली लगातार चौबीस घंटों की कालावधि अभिप्रेत होगी;
(ख) आगमी दिन उसके लिए चौबीस घंटों की वह कालावधि समझी जाएगी जो उसकी पारी समाप्त होने से आरंभ होती है और मध्य रात्रि के बाद जितने घंटे उसने काम किया है वे पूर्ववर्ती दिन में गिने जाएंगे ।
58. परस्परव्यापी पारियों का प्रतिषेध-(1) किसी कारखाने में इस प्रकार व्यवस्थित पारियों की प्रणाली से काम नहीं किया जाएगा कि एक ही प्रकार के काम पर एक ही समय पर कर्मकारों की एक से अधिक टोली लगी हो ।
[(2) राज्य सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक लिखित आदेश द्वारा और उसमें विनिर्दिष्ट कारणों के लिए किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को या किसी कारखाने के किसी विभाग या अनुभाग को या उसमें किसी प्रवर्ग या प्रकार के कर्मकारों को उपधारा (1) के उपबन्धों से ऐसी शर्तों पर, जैसी समीचीन समझी जाएं, छूट दे सकेगा ।]
59. अतिकाल के लिए अतिरिक्त मजदूरी-(1) जहां कोई कर्मकार किसी कारखाने में किसी दिन नौ घंटों से अधिक या किसी सप्ताह अड़तालीस घंटों से अधिक के लिए काम करता है वहां वह अतिकाल काम के लिए अपनी मजदूरी की मामूली दर से दुगुनी दर पर मजदूरी पाने का हकदार होगा ।
[(2) उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, “मजदूरी की मामूली दरों" से अभिप्रेत है आधारी मजदूरी और ऐसे भत्ते, जिनके अन्तर्गत कर्मकारों को खद्यान्नों और अन्य वस्तुओं के रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे का नकद समतुल्य भी है, जिनका कि कर्मकार तत्समय हकदार हो, किन्तु बोनस और अतिकाल काम के लिए मजदूरी इसके अन्तर्गत नहीं है ।
(3) जहां किसी कारखाने में किन्हीं कर्मकारों को मात्रानुपाती दर के आधार पर संदाय किया जाता है वहां कालानुपाती दर उस कलैण्डर मास के, जिसके दौरान अतिकाल काम किया गया था, ठीक पूर्ववर्ती मास के दौरान जिन दिनों उन्होंने वही या वैसा ही काम वास्तव में किया था उन दिनों के उनके पूर्णकालिक दैनिक औसत उपार्जनों के बराबर समझी जाएगी और ऐसी कालानुपाती दरें उन कर्मकारों की मजदूरी की मामूली दरें समझी जाएंगी :
परन्तु ऐसे कर्मकार की दशा में, जिसने ठीक पूर्ववर्ती कलैण्डर मास में वही या वैसी ही नौकरी में काम नहीं किया है, कालानुपाती दर उन दिनों के लिए जब कर्मकार ने उस सप्ताह में वास्तव में काम किया था जिसमें अतिकाल काम किया गया था, उसके उपार्जन के दैनिक औसत के समतुल्य समझी जाएगी ।
स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, कर्मकार द्वारा वास्तव में काम किए गए दिनों के उपार्जन की संगणना करने में ऐसे भत्ते, जिनमें खाद्यान्नों और अन्य वस्तुओं के कर्मकारों को रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे की नकद समतुल्य राशि भी है, जिनका कि कर्मकार तत्समय हकदार हो, सम्मिलित कर लिए जाएंगे किन्तु उस अवधि के दौरान, जिसके सम्बन्ध में उपार्जन की संगणना की जा रही है, बोनस या अतिकाल काम के लिए किसी मजदूरी को अपवर्जित कर दिया जाएगा ।]
[(4) कर्मकार को खाद्यान्नों और अन्य वस्तुओं के रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे के नकद समतुल्य की संगणना इतनी बार, जितनी विहित की जाए, मानक कुटुम्ब के लिए अनुज्ञेय खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं के अधिकतम परिमाण के आधार पर की जाएगी ।
स्पष्टीकरण 1-“मानक कुटुम्ब" से अभिप्रेत है कर्मकार, उसकी पत्नी या उसके पति और चौदह वर्ष से कम आयु वाले दो बालकों से मिलकर बना कुटुम्ब जिसमें कुल मिलाकर तीन वयस्थ उपभोग-यूनिट अपेक्षित होंगे ।
स्पष्टीकरण 2-“वयस्थ उपभोग-यूनिट" से चौदह वर्ष की आयु के ऊपर के पुरुष का उपभोग-यूनिट अभिप्रेत है; और चौदह वर्ष से ऊपर की आयु की स्त्री और चौदह वर्ष से कम आयु वाले बालक का उपभोग-यूनिट वयस्थ उपभोग-यूनिट के, क्रमशः .8 और .6 की दर से परिकलित किया जाएगा ।
(5) राज्य सरकार निम्नलिखित विहित करने वाले नियम बना सकेगी-
(क) वह रीति जिसमें खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं के कर्मकार को रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे का नकद समतुल्य संगणित किया जाएगा; और
(ख) वे रजिस्टर, जो इस धारा के उपबन्धों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के प्रयोजन के लिए कारखाने में रखे जाएंगे ।
60. दोहरे नियोजन पर निर्बन्धन-ऐसी परिस्थितियों के सिवाय, जैसी विहित की जाएं, किसी वयस्थ कर्मकार को किसी कारखाने में ऐसे दिन काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात न किया जाएगा जिस दिन वह पहले से ही किसी अन्य कारखाने में काम कर रहा हो ।
61. वयस्थों के लिए काम की कालावधियों की सूचना-(1) वयस्थों के लिए काम की कालावधियों की ऐसी सूचना, जिसमें हर दिन के लिए वे कालावधियां जिनके दौरान वयस्थ कर्मकारों से काम करने की अपेक्षा की जा सकेगी स्पष्टतः दर्शित होंगी, धारा 108 की उपधारा (2) के अनुसार हर कारखाने में संप्रदर्शित की जाएगी और ठीक बना रखी जाएगी ।
(2) उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित सूचना में दर्शित कालावधियां इस धारा के निम्नलिखित उपबंधों के अनुसार पहले ही नियत की जाएंगी और ऐसी होंगी कि उन कालावधियों में काम करने वाले कर्मकार धारा 51, 52, 54, [55, 56 और 58] के उपबन्धों में से किसी उपबन्ध के उल्लंघन में काम नहीं करेंगे ।
(3) जहां किसी कारखाने में सब वयस्थ कर्मकार उन्हीं कालावधियों के दौरान काम करने के लिए अपेक्षित हैं वहां कारखाने का प्रबंधक उन कालावधियों को ऐसे कर्मकारों के लिए सामान्य रूप से नियत करेगा ।
(4) जहां किसी कारखाने में सब वयस्थ कर्मकार उन्हीं कालावधियों के दौरान काम करने के लिए अपेक्षित नहीं हैं, वहां कारखाने का प्रबंधक उनके काम की प्रकृति के अनुसार उन्हें समूहों में वर्गीकृत करेगा और हर समूह में कर्मकारों की संख्या, उपदर्शित होगी ।
(5) हर ऐसे समूह के लिए, जो पारियों की प्रणाली से काम करने के लिए अपेक्षित नहीं हैं, कारखाने का प्रबंधक उन कालावधियों को नियत करेगा जिनके दौरान उस समूह से काम करने की अपेक्षा की जा सकेगी ।
(6) जहां कोई समूह पारियों की प्रणाली से काम करने के लिए अपेक्षित है और टोलियां पारियों की पूर्वावधारित नियतकालिक तब्दीलियों के अध्यधीन नहीं की जानी हैं वहां कारखाने का प्रबंधक वे कालावधियां नियत करेगा जिनके दौरान उस समूह की हर टोली से काम करने की अपेक्षा की जा सकेगी ।
(7) जहां किसी समूह को पारियों की प्रणाली से काम करना है और टोलियां पारियों की पूर्वावधारित नियतकालिक तब्दीलियों के अध्यधीन की जानी हैं वहां कारखाने का प्रबंधक पारियों की ऐसी स्कीम तैयार करेगा जिसमें किसी भी दिन की वे कालावधियां, जिनके दौरान समूह की कोई टोली काम करने के लिए अपेक्षित हो और वह टोली, जो दिन के किसी समय काम कर रही होगी, जानी जा सकेगी ।
(8) राज्य सरकार उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित सूचना के लिए प्ररूप और वह रीति, जिसमें वह बना रखी जाएगी, विहित कर सकेगी ।
(9) इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात् काम आरम्भ करने वाले कारखाने की दशा में, उपधारा (1) में निर्दिष्ट सूचना की द्विप्रतीक प्रति निरीक्षक को उस दिन से पूर्व भेजी जाएगी जिसको कारखाने में काम आरम्भ होना है ।
(10) किसी कारखाने में काम की प्रणाली में ऐसी कोई प्रस्थापित तब्दीली जिससे उपधारा (1) में निर्दिष्ट सूचना में तब्दीली आवश्यक हो जाएगी, तब्दीली करने से पहले निरीक्षक को दो प्रतियों में अधिसूचित की जाएगी और जब तक अन्तिम तब्दीली से एक सप्ताह व्यतीत न हो गया हो ऐसी कोई तब्दीली निरीक्षक की पूर्व मंजूरी के बिना नहीं की जाएगी ।
62. वयस्थ कर्मकारों का रजिस्टर-(1) हर कारखाने का प्रबन्धक वयस्थ कर्मकारों का एक रजिस्टर रखेगा जो काम के घंटों के दौरान सब समयों पर या जब कारखाने में कोई काम हो रहा हो निरीक्षक को उपलभ्य होगा और जिसमें निम्नलिखित दर्शित होंगे-
(क) कारखाने के प्रत्येक वयस्थ कर्मकार का नाम;
(ख) उसके काम की प्रकृति;
(ग) वह समूह, यदि कोई हो, जिसमें वह सम्मिलित किया गया है;
(घ) जहां उसका समूह पारियों में काम करता है वहां वह टोली जिसमें वह रखा गया है;
(ङ) ऐसी अन्य विशिष्टियां जैसी विहित की जाएं :
परन्तु यदि निरीक्षक की यह राय है कि किसी कारखाने की चर्या के भागरूप रखे जाने वाले किसी मस्टर रोल या रजिस्टर में कारखाने के सब या किन्हीं कर्मकारों के बारे में इस धारा के अधीन अपेक्षित विशिष्टियां दी हुई हैं तो वह लिखित आदेश द्वारा निर्दिष्ट कर सकेगा कि उस विस्तार तक वह मस्टर रोल या रजिस्टर उस कारखाने के वयस्थ कर्मकारों के रजिस्टर के स्थान में रखा जाएगा और उस रूप में समझा जाएगा ।
[(1क) जब तक किसी वयस्थ कर्मकार का नाम और अन्य विशिष्टियां वयस्थ कर्मकारों के रजिस्टर में प्रविष्ट न कर दी गई हों तब तक उससे किसी कारखाने में काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे काम करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।]
(2) राज्य सरकार वयस्थ कर्मकारों के रजिस्टर का प्ररूप, वह रीति जिसमें वह रखा जाएगा और वह कालावधि जिस तक वह परिरक्षित रखा जाएगा, विहित कर सकेगी ।
63. काम के घंटों की धारा 61 के अधीन सूचना और धारा 62 के अधीन रजिस्टर के अनुरूप होना-कोई वयस्थ कर्मकार कारखाने में संप्रदर्शित कर्मकारों के लिए काम की कालावधियों की सूचना और कारखाने के वयस्थ कर्मकारों के रजिस्टर में उसके नाम के सामने पहले ही की गई प्रविष्टियों से भिन्न रूप में किसी कारखाने में काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।
64. छूट देने वाले नियम बनाने की शक्ति-(1) राज्य सरकार उन व्यक्तियों को, जो किसी कारखाने में पर्यवेक्षण या प्रबंधक का पद धारण किए हैं या किसी गोपनीय पद पर नियोजित हैं, परिभाषित करने वाले नियम बना सकेगी [या मुख्य निरीक्षक को इस बात के लिए सशक्त करने वाले नियम बना सकेगी कि वह ऐसे नियमों द्वारा परिभाषित व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति को कारखाने में पर्यवेक्षण या प्रबन्धक का पद धारण करने वाले या गोपनीय पद पर नियोजित व्यक्ति के रूप में उस दशा में घोषित कर सकता है जब मुख्य निरीक्षक की राय में वह व्यक्ति ऐसा पद धारण करता है या ऐसे नियोजित है] और धारा 66 की उपधारा (1) के खंड (ख) के और उस उपधारा के परन्तुक के उपबन्धों के सिवाय इस अध्याय के उपबन्ध इस प्रकार परिभाषित 1[या घोषित] किसी व्यक्ति को लागू नहीं होंगे :
1[परन्तु इस प्रकार परिभाषित या घोषित कोई व्यक्ति धारा 59 के अधीन अतिकाल काम की बाबत वहां अतिरिक्त मजदूरी का हकदार होगा जहां ऐसे व्यक्ति की मजदूरी की मामूली दर [समय-समय पर यथा संशोधित मजदूरी संदाय अधिनियम, 1936 (1936 का 4) की धारा 1 की उपधारा (6) में विनिर्दिष्ट मजदूरी सीमा से अधिक नहीं होती है ।]
(2) राज्य सरकार कारखानों में वयस्थ कर्मकारों के संबंध में उस विस्तार तक और ऐसी शर्तों के अध्यधीन जैसी विहित की जाएं निम्नलिखित छूट के लिए उपबन्ध करने वाले नियम बना सकेगी-
(क) अति-आवश्यक मरम्मतों में लगे हुए कर्मकारों को धारा 51, 52, 54, 55 और 56 के उपबंधों से;
(ख) उन कर्मकारों को, जो प्रारंभिक या पूरक प्रकार के ऐसे कामों में लगे हैं, जो कारखाने के साधारण कार्यचालन के लिए अधिकथित सीमाओं के बाहर भी अनिवार्यतः किए जाने हैं, धारा 51, 54, 55 और 56 के उपबन्धों से;
(ग) ऐसे काम में लगे कर्मकारों को, जो अनिवार्यतः ऐसा आन्तरायिक है कि वे अन्तराल, जिनके दौरान वे कर्तव्यारूढ़ होते हुए भी काम नहीं करते, धारा 55 के अधीन या द्वारा अपेक्षित विश्राम के लिए अन्तरालों से मामूली तौर पर अधिक हो जाते हैं, धारा 51, 54, 55 और 56 के उपबन्धों से;
(घ) किसी ऐसे काम में, जो तकनीकी कारणों से *** निरन्तर किया जाना चाहिए, लगे कर्मकारों को धारा 51, 52 54, 55 और 56 के उपबन्धों से;
(ङ) प्राथमिक आवश्यकता की उन चीजों के, जिनका हर दिन निर्माण या प्रदाय होना चाहिए, निर्माण और प्रदाय में लगे कर्मकरों को [धारा 51 और धारा 52] के उपबन्धों से;
(च) ऐसी निर्माण प्रक्रिया में लगे कर्मकारों को, जो नियत मौसमों के सिवाय नहीं चलाई जा सकती है, 4[धारा 51, धारा 52 और धारा 54] के उपबन्धों से;
(छ) ऐसी विनिर्माण प्रक्रिया में, जो प्राकृतिक शक्तियों की अनियमित क्रिया पर निर्भर समयों के सिवाय नहीं चलाई जा सकती, लगे कर्मकारों को धारा 52 और 55 के उपबन्धों से;
(ज) इंजन-कक्षों या बायलर घरों में या शक्ति-संयंत्र या संचारण मशीनरी के काम में लगे कर्मकारों को 1[धारा 51 और धारा 52] के उपबन्धों से;
[(झ) समाचारपत्रों के मुद्रण में लगे हुए कर्मकारों को, जिनका काम मशीनरी के ठप्प हो जाने के कारण रुक जाता है, धारा 51, 54 औ 56 के उपबन्धों से ।
स्पष्टीकरण-इस खंड में “समाचारपत्रों" पदावली का वही अर्थ है, जो उसे प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1867 (1867 का 25) में दिया गया है;
(ञ) रेल के माल डिब्बों 1[या लारियों या ट्रकों] को भरने या खाली करने में लगे हुए कर्मकारों को धारा 51, 52, 54, 55 और 56 के उपबन्धों से;]
1[(ट) राज्य सरकार जिस काम को शासकीय राजपत्र में राष्ट्रीय महत्व का काम अधिसूचित कर देती है उस काम में लगे हुए कर्मकरों को धारा 51, धारा 52, धारा 54, धारा 55 और धारा 56 के उपबन्धों से ।]
(3) उपधारा (2) के अधीन बनाए गए नियम, जो किसी छूट का उपबन्ध करते हैं, धारा 61 के उपबन्धों से ऐसी किसी पारिणामिक छूट के लिए भी, जिसे राज्य सरकार समीचीन समझती है, ऐसी शर्तों के अध्यधीन उपबन्ध कर सकेंगे जैसी वह विहित करे ।
[(4) इस धारा के अधीन नियम बनाने में राज्य सरकार, उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन छूट में के सिवाय, अतिकाल सहित काम की निम्नलिखित परिसीमाओं से आगे नहीं जाएगी :-
(i) किसी दिन काम के घंटों की कुल संख्या दस से अधिक नहीं होंगी;
(ii) विश्राम के लिए अन्तरालों के सहित विस्तृति किसी एक दिन में बारह घंटों से अधिक नहीं होगी :
परन्तु राज्य सरकार, उपधारा (2) के खंड (घ) में निर्दिष्ट कर्मकारों के सब प्रवर्गों या उनमें से किसी के बारे में ऐसे नियम बना सकेगी जिनमें ऐसी परिस्थितियां और ऐसी शर्तें विहित होंगी जिनमें और जिनके अध्यधीन रहते हुए वे निर्बन्धन जो खंड (i) और खंड (ii) द्वारा अधिरोपित हैं इसलिए लागू नहीं होंगे कि कोई पारी-कर्मकार सम्पूर्ण उत्तरवर्ती पारी या उसके किसी भाग में किसी कर्मकार की अनुपस्थिति में, जो काम पर हाजिर होने में असफल रहा हो, काम कर सके;
[(iii) किसी सप्ताह काम के घण्टों की कुल संख्या, जिसके अन्तर्गत अतिकाल भी है, साठ से अधिक नहीं होगी;]
[(iv) अतिकाल के घंटों की कुल संख्या किसी एक तिमाही के लिए पचास से अधिक नहीं होगी ।
स्पष्टीकरण-“तिमाही" से लगातार तीन मास की वह कालावधि अभिप्रेत है जो पहली जनवरी, पहली अप्रैल, पहली जुलाई या पहली अक्तूबर को आंरभ हो ।]
(5) इस धारा के अधीन बनाए गए नियम [पांच वर्ष] से अनधिक के लिए प्रवृत्त रहेंगे ।
65. छूट के आदेश देने की शक्ति-(1) जहां राज्य सरकार का समाधान हो जाता है कि किए जाने वाले काम की प्रकृति या अन्य परिस्थितियों के कारण यह अपेक्षा करना अयुक्तियुक्त होगा कि किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों में किन्हीं वयस्थ कर्मकारों के काम की कालावधियां पहले ही नियत की जाएं वहां वह उसमें के ऐसे कर्मकारों के बारे में धारा 61 के उपबन्धों को इतने विस्तार तक और ऐसी रीति में, जैसी वह उचित समझे, और ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसी वह काम की कालावधियों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए समीचीन समझे, लिखित आदेश द्वारा शिथिल या उपान्तरित कर सकेगी ।
(2) राज्य सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक किसी कारखाने या किसी समूह या वर्ग या प्रकार के कारखानों में के सब या किन्हीं वयस्थ कर्मकारों को धारा 51, 52, 54 और 56 के सब या किन्हीं उपबंधों से ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसी वह समीचीन समझे, लिखित आदेश द्वारा छूट इस आधार पर दे सकेगा कि उस कारखाने या उन कारखानों को काम के किसी असाधारण दबाव का सामना करने के समर्थ बनाने के लिए ऐसी छूट देना आवश्यक है ।
[(3) उपधारा (2) के अधीन दी गई कोई छूट निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन होगी, अर्थात् :-
(i) किसी दिन काम के घंटों की कुल संख्या बारह से अधिक नहीं होगी;
(ii) विश्राम के लिए अन्तरालों सहित विस्तृति किसी एक दिन तेरह घंटों से अधिक नहीं होगी;
(iii) किसी सप्ताह में काम के घंटों की कुल संख्या, जिसके अन्तर्गत अतिकाल भी है, साठ से अधिक नहीं होगी;
(iv) किसी भी कर्मकार को लगातार सात दिन से अधिक अतिकाल काम करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा और एक तिमाही में अतिकाल काम करने के घंटों की कुल संख्या पचहत्तर से अधिक नहीं होगी ।
स्पष्टीकरण-इस उपधारा में तिमाही" का वही अर्थ है जो धारा 64 की उपधारा (4) में है ।]
। । । । । । ।
66. स्त्रियों के नियोजन पर अतिरिक्त निर्बन्धन-(1) कारखानों में स्त्रियों को लागू होने में इस अध्याय के उपबंधों के साथ निम्नलिखित अतिरिक्त निर्बन्धन भी होंगे, अर्थात् :-
(क) किसी स्त्री के बारे में धारा 54 के उपबंधों से कोई छूट नहीं दी जाएगी;
(ख) [किसी कारखाने में किसी स्त्री से 6 बजे प्रातः और 7 बजे सायं के बीच के घंटों के अलावा किसी और समय पर काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे काम करने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी] :
परन्तु राज्य सरकार [किसी कारखाने, या कारखानों के समूह या वर्ग या प्रकार के कारखानोंट के बारे में खण्ड (ख) में अधिकथित सीमाओं में फेरफार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा कर सकेगी किन्तु इस प्रकार कि ऐसी फेरफार 10 बजे सायं और 5 बजे प्रातः के बीच के घंटों में किसी स्त्री के नियोजन को प्राधिकृत न करे ;
[(ग) कोई पारी किसी साप्ताहिक अवकाश दिन या किसी अन्य अवकाश दिन के पश्चात् बदलने के सिवाय नहीं बदली जाएगी ।]
(2) राज्य सरकार उपधारा (1) में उपवर्णित निर्बन्धनों से, मत्स्य-संसाधन या मत्स्य-डिब्बाबन्दी के ऐसे कारखानों में, जिसमें किसी कच्ची सामग्री को नुकसान या बिगाड़ से बचाने के लिए स्त्रियों का नियोजन उक्त निर्बन्धनों में विनिर्दिष्ट घंटों से आगे भी आवश्यक हो, काम करने वाली स्त्रियों को इतने विस्तार तक और ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसे वह विहित करे, छूट उपबन्धित करने वाले नियम बना सकेगी ।
(3) उपधारा (2) के अधीन बनाए गए नियम एक समय पर तीन वर्ष से अनधिक के लिए प्रवृत्त होंगे ।
अध्याय 7
अल्पवय व्यक्तियों का नियोजन
67. अल्पवय बालकों के नियोजन का प्रतिषेध-कोई बालक जिसने अपना चौदहवां वर्ष पूरा नहीं किया है किसी कारखाने में काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।
68. अवयस्थ कर्मकारों का टोकन रखना-कोई बालक जिसने अपना चौदहवां वर्ष पूरा कर लिया है या कोई कुमार किसी कारखाने में काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा जब तक कि-
(क) धारा 69 के अधीन उसके संबंध में दिया गया योग्यता प्रमाणपत्र, कारखाने के प्रबंधक की अभिरक्षा में न हो, और
(ख) ऐसा बालक या कुमार काम करते समय अपने पास एक टोकन नहीं रखता जिसमें ऐसे प्रमाणपत्र का निर्देश हो ।
69. योग्यता प्रमाणपत्र-(1) प्रमाणकर्ता सर्जन, किसी अल्पवय व्यक्ति या उसके माता या पिता या संरक्षक के आवेदन पर जिसके साथ कारखाने के प्रबंधक द्वारा हस्ताक्षरित ऐसी दस्तावेज होगी कि यदि ऐसा व्यक्ति कारखाने में काम करने के लिए योग्य प्रमाणित किया गया तो वह उसमें नियोजित किया जाएगा अथवा उस कारखाने के प्रबंधक के आवेदन पर जिसमें कोई अल्पवय व्यक्ति काम करना चाहता है, ऐसे व्यक्ति की परीक्षा करेगा और कारखाने में काम करने के लिए उसकी योग्यता अभिनिश्चित करेगा ।
(2) प्रमाणकर्ता सर्जन परीक्षा के पश्चात् ऐसे अल्पवय व्यक्ति को-
(क) यदि उसका समाधान हो जाता है कि उस अल्पवय व्यक्ति ने अपना चौदहवां वर्ष पूरा कर लिया है, कि उसने विहित शारीरिक मान प्राप्त कर लिए हैं और कि वह ऐसा काम करने के योग्य है तो उसे बालक के रूप में कारखाने में काम करने की योग्यता का प्रमाणपत्र;
(ख) यदि उसका समाधान हो जाता है कि उस अल्पवय व्यक्ति ने अपना पंद्रहवां वर्ष पूरा कर लिया है और वह कारखाने में पूरे दिन का काम करने योग्य है तो उसे वयस्थ के रूप में किसी कारखाने में काम करने की योग्यता का प्रमाणपत्र,
विहित रूप में अनुदत्त या नवीकृत कर सकेगा :
परन्तु जब तक प्रमाणकर्ता सर्जन को उस स्थान की, जहां वह अल्पवय व्यक्ति काम करना चाहता है और उस विनिर्माण प्रक्रिया की जिसमें वह नियोजित किया जाएगा वैयक्तिक रूप से जानकारी न हो वह इस उपधारा के अधीन प्रमाणपत्र का अनुदान या नवीकरण तब तक नहीं करेगा जब तक कि उसने उस स्थान की परीक्षा न कर ली हो ।
(3) उपधारा (2) के अधीन अनुदत्त या नवीकृत योग्यता प्रमाणपत्र-
(क) उसकी तारीख से केवल बारह मास की कालावधि के लिए विधिमान्य होगा;
(ख) अल्पवय व्यक्ति जिस प्रकार के कामों में नियोजित किया जा सकेगा उसकी बाबत शर्तों के अथवा बारह मास की कालावधि की समाप्ति से पूर्व उस अल्पवय व्यक्ति की पुनः परीक्षा की अपेक्षा के अध्यधीन दिया जा सकेगा ।
(4) प्रमाणकर्ता सर्जन उपधारा (2) के अधीन अनुदत्त या नवीकृत किसी प्रमाणपत्र को प्रतिसंहृत करेगा यदि उसकी राय में उसका धारक उसमें कथित हैसियत में किसी कारखाने में काम करने के योग्य नहीं रह गया है ।
(5) जहां प्रमाणकर्ता सर्जन किसी प्रमाणपत्र को या इस प्रकार के प्रमाणपत्र को जिसके लिए प्रार्थना की गई हो अनुदत्त करने या नवीकृत करने से इन्कार करता है या किसी प्रमाणपत्र को प्रतिसंहृत करता है वहां वह ऐसा करने के अपने कारणों को उस दशा में लिख कर कथित करेगा जिसमें उससे उसके लिए प्रार्थना किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है जो प्रमाणपत्र के लिए या उसके नवीकरण के लिए आवेदन कर सकता था ।
(6) जहां इस धारा के अधीन किसी अल्पवय व्यक्ति के संबंध में कोई प्रमाणपत्र ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जैसी उपधारा (3) के खंड (ख) में निर्दिष्ट है, अनुदत्त या नवीकृत किया जाता है वहां वह अल्पवय व्यक्ति किसी कारखाने में काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात उन शर्तों के अनुसार किए जाने के सिवाय नहीं किया जाएगा ।
(7) इस धारा के अधीन प्रमाणपत्र के लिए संदेय कोई फीस अधिष्ठाता द्वारा दी जाएगी और अल्पव्य व्यक्ति, उसके माता या पिता या संरक्षक से वसूलीय नहीं होगी ।
70. कुमार को अनुदत्त योग्यता प्रमाणपत्र का प्रभाव-(1) कोई कुमार, जिसे किसी कारखाने में वयस्थ के रूप में काम करने का योग्यता प्रमाणपत्र धारा 69 की उपधारा (2) के खंड (ख) के अधीन अनुदत्त किया गया है और जो कारखाने में काम पर होते हुए एक टोकन रखता है जिसमें प्रमाणपत्र के प्रति निर्देश हो, अध्याय 6 और 8 के सब प्रयोजनों के लिए वयस्थ समझा जाएगा ।
। । । । । । ।
[(1क) किसी ऐसी महिला कुमार या ऐसे पुरुष कुमार से जिसने सतरह वर्ष की वायु पुरी नहीं की है किन्तु जिसे किसी कारखाने में वयस्क के रूप में काम करने के लिए योग्यता प्रमाणपत्र अनुदत्त किया गया है, किसी कारखाने में 6 बजे पृर्वाहन और 7 बजे अपराह्न के बीच के सिवाय काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे काम करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा :
परन्तु राज्य सरकार, किसी कारखाने या किसी समूह, वर्ग या वर्णन के कारखानों की बाबत राजपत्र में अधिसूचना द्वारा,-
(i) इस उपधारा में अधिकथित सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी किन्तु किसी ऐसे परिवर्तन से 10 बजे रात और 5 बजे सुबह के बीच किसी महिला कुमार का नियोजन प्राधिकृत नहीं होगा;
(ii) जहां राष्ट्रीय हित अन्तर्वलित हो वहां गंभीर आपात की दशा में इस उपधारा के उपबंधों से छूट दे सकेगी ।
(2) कोई कुमार जिसे किसी कारखाने में वयस्थ के रूप में काम करने के लिए योग्यता प्रमाणपत्र पूर्वोक्त खंड (ख) के अधीन अनुदत नहीं किया गया है, इस अधिनियम के सब प्रयोजनों के लिए बालक समझा जाएगा चाहे उसकी आयु कितनी ही हो ।
71. बालकों के लिए काम के घंटे-(1) कोई बालक किसी कारखाने में-
(क) किसी दिन साढ़े चार घंटों से अधिक के लिए;
[(ख) रात के दौरान,
नियोजित या काम करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजन के लिए “रात" से कम से कम लगातार बारह घंटों की ऐसी कालावधि अभिप्रेत होगी जिसके अन्तर्गत दस बजे रात और छह बजे सवेरे के बीच का अन्तराल होगा।
(2) कारखाने में नियोजित सब बालकों के काम करने की कालावधि दो पारियों तक सीमित होगी, जिनकी परस्पर-व्याप्ति अथवा जिनमें से प्रत्येक की पांच घंटों से अधिक की विस्तृति नहीं होगी; और हर बालक टोली में से केवल एक में नियोजित होगा जिसका तीस दिन की कालावधि में एक से अधिक बार परिवर्तन मुख्य निरीक्षक की लिखित अनुज्ञा के बिना नहीं किया जाएगा ।
(3) धारा 52 के उपबन्ध बालक कर्मकारों को भी लागू होंगे और उस धारा के उपबन्धों से कोई छूट किसी बालक के विषय में नहीं दी जा सकेगी ।
(4) किसी बालक को कारखाने में ऐसे दिन काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात नहीं किया जाएगा जिस दिन वह पहले ही किसी अन्य कारखाने में काम करता रहा है ।
[(5) किसी महिला बालक से किसी कारखाने में 8 बजे पूर्वाहन और 7 बजे अपराह्न के बीच के सिवाय काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे काम करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।]
72. बालकों के लिए काम की कालावधियों की सूचना-(1) हर कारखाने में, जिसमें बालक नियोजित हैं, बालकों के लिए काम की कालावधियों की ऐसी सूचना, जिसमें हर दिन के लिए वे कालावधियां जिनके दौरान बालक कर्मकारों से काम करने की अपेक्षा की जा सकेगी या उन्हें अनुज्ञा दी जा सकेगी स्पष्टतः दर्शित होगी, धारा 108 की उपधारा (2) के अनुसार संप्रदर्शित की जाएगी और ठीक बनाए रखी जाएगी ।
(2) उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित सूचना में दर्शित कालावधियां धारा 61 में वयस्थ कर्मकारों के लिए विहित पद्धति के अनुसार पहले ही नियत की जाएंगी और ऐसी होंगी कि उन कालावधियों में काम करने वाले बालक धारा 71 के उपबन्धों में से किसी उपबन्ध के उल्लंघन में काम नहीं करेंगे ।
(3) धारा 61 की उपधारा (8), (9) और (10) के उपबंध इस धारा की उपधारा (1) द्वारा, अपेक्षित सूचना को भी लागू होंगे ।
73. बालक कर्मकारों का रजिस्टर-(1) हर ऐसे कारखाने का प्रबंधक जिसमें बालक नियोजित है बालक कर्मकारों का एक रजिस्टर रखेगा जो काम के घंटों के दौरान सब समयों पर या जब कारखाने में कोई काम हो रहा हो निरीक्षक को उपलभ्य होगा और जिसमें निम्नलिखित दर्शित होंगे-
(क) कारखाने के हर बालक कर्मकार का नाम
(ख) उसके काम की प्रकृति,
(ग) वह समूह, यदि कोई हो, जिसमें वह सम्मिलित किया गया हो,
(घ) जहां उसका समूह परियों में काम करता है वहां वह टोली जिसमें वह रखा गया है, और
(ङ) धारा 69 के अधीन अनुदत्त उसके योग्यता प्रमाणपत्र का संख्यांक ।
[(1क) जब तक कि किसी बालक कर्मकार का नाम या अन्य विशिष्टियां बालक कर्मकारों के रजिस्टर में प्रविष्ट न कर ली गई हो तब तक उससे किसी कारखाने में काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या उसे काम करने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।]
(2) राज्य सरकार, बालक कर्मकारों के रजिस्टर का प्ररूप, वह रीति जिसमें वह रखा जाएगा और वह कालावाधि, जिस तक वह परिरक्षित रखा जाएगा, विहित कर सकेगी ।
74. काम के घंटों की धारा 72 के अधीन सूचना और धारा 73 के अधीन रजिस्टर के अनुरूप होना-कोई बालक कारखाने में संप्रदर्शित बालकों के लिए काम की कालावधियों की सूचना और कारखाने के बालक कर्मकारों के रजिस्टर में उसके नाम के सामने पहले ही की गई प्रविष्टियों से भिन्न रूप में, किसी कारखाने में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा ।
75. स्वास्थ्य परीक्षा की अपेक्षा करने की शक्ति-जहां निरीक्षक की राय है-
(क) कि योग्यता प्रमाणपत्र के बिना कारखाने में काम करने वाला कोई व्यक्ति अल्पवय व्यक्ति है, या
(ख) कि योग्यता प्रमाणपत्र सहित कारखाने में काम करने वाला कोई अल्पवय व्यक्ति उसमें कथित हैसियत में काम करने के योग्य नहीं रहा है,
वहां वह कारखाने के प्रबन्धक पर यह अपेक्षा करने वाली सूचना की तामील कर सकेगा कि, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति या अल्पवय व्यक्ति की परीक्षा किसी प्रमाणकर्ता सर्जन से कराई जाए, और यदि निरीक्षक ऐसा निदिष्ट करे तो ऐसे व्यक्ति या अल्पवय व्यक्ति को किसी कारखाने में नियोजित या काम करने के लिए अनुज्ञात तब तक नहीं किया जाएगा जब तक उसकी इस प्रकार परीक्षा नहीं हो जाती और धारा 69 के अधीन उसे, यथास्थिति, योग्यता प्रमाणपत्र या नया योग्यता प्रमाणपत्र अनुदत्त नहीं कर दिया जाता, या उसकी परीक्षा करने वाले प्रमाणकर्ता सर्जन द्वारा उसका अल्पवय व्यक्ति न होना प्रमाणीकृत नहीं कर दिया जाता ।
76. नियम बनाने की शक्ति-राज्य सरकार-
(क) धारा 69 के अधीन अनुदत्त किए जाने वाले योग्यता प्रमाणपत्रों के प्ररूप विहित करने वाले मूल प्रमाणपत्रों के खो जाने की दशा में दूसरी प्रतियों के अनुदान का उपबन्ध करने वाले और ऐसे प्रमाणपत्रों और उनके नवीकरणों और ऐसी दूसरी प्रतियों के लिए प्रभार्य की जा सकने वाली फीसें नियत करने वाले,
(ख) कारखानों में काम करने वाले बालकों और कुमारों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले शारीरिकमान विहित करने वाले,
(ग) इस अध्याय के अधीन प्रमाणकर्ता सर्जन की प्रक्रिया विनियमित करने वाले;
(घ) ऐसे अन्य कर्तव्यों को विनिर्दिष्ट करने वाले जिन्हें कारखानों में अल्पवय व्यक्तियों के नियोजन के सम्बन्ध में पालन करने के लिए प्रमाणकर्ता सर्जन अपेक्षित किए जा सकेंगे और ऐसे कर्तव्यों के लिए प्रभारित की जा सकने वाले फीसों तथा उन व्यक्तियों को, जिनके द्वारा वे देय होंगी नियत करने वाले,
नियम बना सकेगी ।
77. विधि के कतिपय अन्य उपबन्धों का अर्जित न होना-इस अध्याय के उपबन्ध बालक नियोजन अधिनियम, 1938 (1938 का 26) के उपबन्धों के अतिरिक्त होंगे न कि उनके अल्पीकरण में ।
[अध्याय 8
मजदूरी सहित वार्षिक छुट्टी
78. अध्याय का लागू होना-(1) इस अध्याय के उपबन्ध इस प्रकार प्रवृत्त न होंगे कि उनका किसी ऐसे अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े जिसका कोई कर्मकार किसी अन्य विधि के अधीन या किसी अधिनिर्णय [करार (जिसके अन्तर्गत समझौता भी है)ट या सेवा-संविदा के निबन्धनों के अधीन हकदार है :
[परन्तु यदि ऐसे अधिनिर्णय, करार (जिसके अन्तर्गत समझौता भी है) या सेवा-संविदा मजदूरी सहित ऐसी वार्षिक छूट्टी के लिए उपबन्ध करती है जो इस अध्याय में उपबंधित छुट्टी से दीर्घतर है तो जितनी छूट्टी का कर्मकार हकदार होगा वह ऐसे अधिनिर्णय, करार या सेवा-संविदा के अनुसार होगी किन्तु ऐसे विषयों के संबध में, जिनका ऐसे अधिनिर्णय, करार या सेवा-संविदा में उपबंध नहीं किया गया है या जिनका उसमें कम अनुकूल रूप में उपबंध किया गया है, धारा 79 से लेकर धारा 82 के उपबंध, जहां तक हो सके, लागू होंगे ।]
(2) इस अध्याय के उपबन्ध, सरकार द्वारा प्रशासित [रेल के किसी कारखाने मेंट ऐसे कर्मकारों को लागू नहीं होंगे, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित छुट्टी नियमों से शासित होते हैं ।
79. मजदूरी सहित वार्षिक छुट्टी-(1) हर कर्मकार को जिसने किसी कलैण्डर वर्ष के दौरान कारखाने में 240 या अधिक दिनों की कालावधि तक काम किया है, पश्चात्वर्ती कलैंडर वर्ष के दौरान इतने दिनों के लिए मजदूरी सहित छुट्टी अनुज्ञात की जाएगी जितने निम्नलिखित दर से परिकलित होंगे-
(i) यदि वह वयस्थ है, तो पूर्ववर्ती कलैंडर वर्ष के दौरान उसके द्वारा किए गए काम के हर बीस दिन के लिए एक दिन,
(ii) यदि वह बालक है तो पूर्ववर्ती कलैंडर वर्ष के दौरान उसके द्वाररा किए गए काम के हर पन्द्रह दिन के लिए एक दिन ।
स्पष्टीकरण 1-इस उपधारा के प्रयोजन के लिए-
(क) करार, या संविदा द्वारा अथवा स्थायी आदेशों के अधीन यथा अनुज्ञात कामबन्दी के कोई दिन;
(ख) स्त्री कर्मकार की दशा में, बारह सप्ताह से अनधिक के लिए प्रसूति छूट्टी के कोई दिन; और
(ग) जिस वर्ष छुट्टी का उपभोग किया जाता है, उससे पूर्ववर्ती वर्ष में उपार्जित छुट्टी,
240 या अधिक दिनों की कालावधि की संगणना के प्रयोजन के लिए ऐसे दिन समझे जाएंगे जिनमें कर्मकार ने कारखानों में काम किया है, किन्तु इन दिनों के लिए वह छुट्टी उपार्जित नहीं करेगा ।
स्पष्टीकरण 2-इस उपधारा के अधीन अनुज्ञेय छुट्टी उन सब अवकाश दिनों का, जो चाहे छुट्टी की कालावधि के दौरान या उसके प्रारम्भ या अन्त में हों, अपवर्जन करके होगी ।
(2) वह कर्मकार जिसकी सेवा पहली जनवरी के प्रथम दिन से अन्यथा प्रारम्भ होती है उपधारा (1) के, यथास्थिति, खण्ड (i) या खण्ड (ii) में अधिकथित दर पर मजदूरी सहित छुट्टी का हकदार होगा यदि उसने कलैंडर वर्ष के अवशिष्ट भाग के दिनों की कुल संख्या के दो-तिहाई के लिए काम किया है ।
[(3) यदि कोई कर्मकार कलैंडर वर्ष के दौरान सेवोन्मुक्त या पदच्युत कर दिया जाता है या अपना नियोजन छोड़ देता है या अधिवर्षिता प्राप्त कर देता है या सेवा में रहते हुए उसकी मृत्यु हो जाती है तो वह या, यथास्थिति, उसका वारिस या उसका नामनिर्देशिती उतनी छुट्टियों के बदले में जितनी के लिए वह कर्मकार अपनी सेवोन्मुक्ति, पदच्युति, नियोजन छोड़ दिए जाने, अधिवर्षिता प्राप्त कर लेने पर या मृत्यु से पूर्व हकदार था उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट दरों पर संगणित मजदूरी का हकदार होगा भले ही उसने उपधारा (1) या उपधारा (2) में विनिर्दिष्ट पूरी अवधि के लिए काम न किया हो जिससे वह ऐसी छुट्टी पाने का पात्र हो गया होता और ऐसा संदाय-
(i) जहां कर्मकार सेवोन्मुक्त या पदच्युत कर दिया जाता है या काम छोड़ देता है वहां ऐसी सेवोन्मुक्ति, पदच्युति या काम छोड़ने की तारीख से काम करने के दूसरे दिन की समाप्ति से पूर्व; और
(ii) जहां कर्मकार ने अधिवर्षिता प्राप्त कर ली है या सेवा में रहते हुए उसकी मृत्यु हो जाती है वहां ऐसी अधिवर्षिता प्राप्त करने या मृत्यु की तारीख से दो मास की समाप्ति से पूर्व किया जाएगा ।]
(4) इस धारा के अधीन छुट्टी परिकलित करने में आधे या उससे अधिक दिन की छुट्टी के भाग को पूरे दिन की छुट्टी माना जाएगा और आधे दिन से काम के भाग को छोड़ दिया जाएगा ।
(5) यदि कोई कर्मकार किसी एक कलैंडर वर्ष में, यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन अपने को अनुज्ञात सारी छुट्टी नहीं लेता तो उसके द्वारा न ली गई छुट्टी, उत्तरवर्ती कलैंडर वर्ष में उसे अनुज्ञात होने वाली छुट्टी में जोड़ दी जाएगी :
परन्तु छुट्टी के दिनों की कुल संख्या जो उत्तरवर्ती वर्ष के लिए अग्रनीत की जाएगी किसी वयस्थ की दशा में तीस और किसी बालक की दशा में चालीस से अधिक नहीं होगी :
परन्तु यह और कि कोई कर्मकार, जिसने मजदूरी सहित छुट्टी के लिए आवेदन किया है किन्तु जिसे उपधारा (8) और (9) में अधिकथित किसी स्कीम के अनुसार [या उपधारा (10) के उल्लंघन में] ऐसी छुट्टी नहीं दी गई है, [ऐसी अस्वीकृत छुट्टी] के अग्रनयन का हकदार होगा जिसकी कोई सीमा नहीं होगी] ।
(6) कोई कर्मकार कलैंडर वर्ष के दौरान अपने को अनुज्ञेय सारी या कुछ छुट्टी लेने के लिए किसी कारखाने के प्रबन्धक से उस तारीख से पन्द्रह दिन से अन्यून पूर्व, जिसको कि वह अपनी छुट्टी आरम्भ करना चाहता है, किसी समय लिखित आवेदन कर सकेगा :
परन्तु आवेदन उस तारीख से जिसको कर्मकार अपनी छुट्टी आरंभ करना चाहता है, तीस दिन से अन्यून पूर्व किया जाएगा यदि वह औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) की धारा 2 के उपखंड (ढ) में यथापरिभाषित लोकोपयोगी सेवा में नियोजित है :
परन्तु यह और कि वर्ष के दौरान में तीन बार से अधिक बार छुट्टी न ली जा सकेगी ।
(7) यदि कोई कर्मकार अपने को प्राप्य मजदूरी सहित छुट्टी को रुग्णता की कालावधि के लिए लेना चाहता है तो उसे ऐसी छुट्टी दी जाएगी चाहे उसने छुट्टी के लिए आवेदन उपधारा (6) में विनिर्दिष्ट समय के अन्दर न भी किया हो, और ऐसी किसी दशा में धारा 81 के अधीन यथा अनुज्ञेय मजदूरी, छुट्टी के लिए आवेदन की तारीख से पन्द्रह दिन के अनुपरान्त, या लोकोपयोगी सेवा की दशा में तीस दिन के अनुपरान्त संदत्त की जाएगी ।
(8) यह सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए कि काम निरन्तर होता रहे कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबन्ध औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) की धारा 3 के अधीन गठित कारखाने की कर्मसमिति या किसी अन्य अधिनियम के अधीन गठित किसी सदृश समिति की सहमति से या यदि कारखाने में ऐसी कोई कर्मसमिति या सदृश समिति नहीं है, तो वहां के कर्मकारों के विहित रीति से निर्वाचित प्रतिनिधियों की सहमति से एक लिखित स्कीम, जिसके द्वारा इस धारा के अधीन अनुज्ञेय छुट्टी का अनुदान विनियमित किया जा सकेगा, मुख्य निरीक्षक के पास दाखिल कर सकेगा ।
(9) उपधारा (8) के अधीन दाखिल की गई स्कीम कारखाने में किन्हीं सहजदृश्य और सुविधापूर्ण स्थानों में संप्रदर्शित की जाएगी और उस तारीख से, जिसको वह प्रवृत्त होती है, बारह मास की कालावधि तक प्रवृत्त रहेगी, और तत्पश्चात्, उपान्तरों के सहित या बिना एक समय पर बारह मास की अतिरिक्त कालावधि के लिए उसका नवीकरण प्रबन्धक द्वारा कर्मसमिति या सदृश समिति की सहमति से या, यथास्थिति, उपधारा (8) में यथाविनिर्दिष्ट कर्मकारों के प्रतिनिधियों की सहमति से किया जा सकेगा और नीवकरण की सूचना उसके नवीकृत किए जाने के पूर्व मुख्य निरीक्षक को भेजी जाएगी ।
(10) छुट्टी के लिए कोई आवेदन जो उपधारा (6) के उपबन्धों का उल्लंघन नहीं करता नामंजूर नहीं किया जाएगा, जब तक कि नामजूंरी उपधारा (8) और उपधारा (9) के अधीन तत्समय प्रवृत्त किसी स्कीम के अनुसार न हो ।
(11) यदि, यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन छुट्टी के हकदार कर्मकार का नियोजन, उस द्वारा अपनी सारी छुट्टी जिसका वह हकदार है ले चुकने के पहले अधिष्ठाता द्वारा समाप्त कर दिया जाता है या यदि ऐसी छुट्टी के लिए आवेदन कर चुकने और मंजूर न किए जाने पर वह कर्मकार छुट्टी लेने से पूर्व अपना नियोजन छोड़ देता है, तो कारखाने का अधिष्ठाता न ली गई छुट्टी के लिए उसे धारा 80 के अधीन संदेय रकम संदत्त करेगा और ऐसा संदाय जहां कर्मकार का नियोजन अधिष्ठाता द्वारा समाप्त किया जाता है वहां ऐसी समाप्ति के पश्चात् दूसरे काम के दिन के अवसान से पूर्व और जहां कोई कर्मकार अपना नियोजन छोड़ देता है वहां अगले वेतन दिन को या उसके पूर्व किया जाएगा ।
(12) उन्मोचन या पदच्युति से पहले दिए जाने के लिए अपेक्षित किसी सूचना की कालावधि संगणित करने में कर्मकार की अनुपभुक्त छुट्टी का ध्यान न रखा जाएगा ।
80. छुट्टी कालावधि के दौरान मजदूरी-(1) किसी कर्मकार को [यथास्थिति, धारा 78 या धारा 79] के अधीन अनुज्ञात छुट्टी के लिए [ऐसी दर से मजदूरी का हकदार होगा] जो उसकी छुट्टी के ठीक पहले के मास के दौरान उन दिनों के लिए जिन दिनों [उसने वास्तव में काम किया] उसके कुल पूर्णकालिक उपार्जनों के, जिसमें कोई अतिकाल और बोनस सम्मिलित नहीं होगा किन्तु महंगाई भत्ता और कर्मकार को खाद्यान्नों और अन्य वस्तुओं के रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे का नकद समतुल्य सम्मिलित होगा, दैनिक औसत के बराबर हो :
[परन्तु किसी ऐसे कर्मकार के मामले में, जिसने अपनी छुट्टी के ठीक पहले कलैंडर मास के दौरान किसी दिन काम नहीं किया है, उस दर से संदाय किया जाएगा जो उसकी छुट्टी के पहले के अंतिम कलैंडर मास के दौरान, जिसमें उसने वास्तव में काम किया, उन दिनों के लिए जिन दिनों उसने वास्तव में काम किया, उसके कुल पूर्णकालिक उपार्जनों के, जिसमें कोई अतिकाल और बोनस सम्मिलित नहीं होगा किन्तु महंगाई भत्ता और कर्मकारों को खाद्यानों और अन्य वस्तुओं के रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे का नकद समतुल्य सम्मिलित होगा, दैनिक औसत के बराबर है ।]
(2) कर्मकार को खाद्यान्नों और अन्य वस्तुओं के रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे के नकद समतुल्य की संगणना, इतनी बार जितनी विहित की जाए, मानक कुटुम्ब के लिए अनुज्ञेय खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं के अधिकतम परिमाण के आधार पर की जाएंगी ।
स्पष्टीकण 1-“मानक कुटुम्ब" से अभिप्रेत है कर्मकार, उसकी पत्नी या उसके पति और चौदह वर्ष से कम आयु वाले दो बालकों से मिलकर बना कुटुम्ब जिसमें कुल मिलाकर तीन वयस्थ-उपभोग यूनिट अपेक्षित होगें।
स्पष्टीकरण 2-“वयस्थ-उपभोग-यूनिट" से चौदह वर्ष की आयु से ऊपर के पुरुष का उपभोग-यूनिट-अभिप्रेत है; और चौदह वर्ष से ऊपर की आयु की स्त्री और चौदह वर्ष से कम आयु वाले बालक का उपयोग यूनिट वयस्थ-उपभोग-यूनिट के क्रमशः .8 और .6 की दर से परिकलित किया जाएगा ।
(3) राज्य सरकार निम्नलिखित विहित करने वाले नियम बना सकेगी-
(क) वह रीति जिसमें खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं के कर्मकार को रियायती विक्रय से प्रोद्भूत फायदे का नकद समतुल्य संगणित किया जाएगा, और
(ख) वे रजिस्टर जो इस धारा के उपबन्धों का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए कारखाने में रखे जाएंगे ।
81. कतिपय दशाओं में अग्रिम संदाय किया जाना-किसी कर्मकार को, जिसे यदि वह वयस्थ है तो चार दिन से, और यदि वह बालक है तो पांच दिन से, अन्यून की छुट्टी अनुज्ञात की गई है, उसकी छुट्टी आरम्भ होने से पूर्व, अनुज्ञात छुट्टी की कालावधि के लिए देय मजदूरी संदत्त की जाएगी ।
82. असंदत्त मजदूरी की वसूली का ढंग-नियोजक द्वारा इस अध्याय के अधीन संदत्त की जाने के लिए अपेक्षित किन्तु उस द्वारा संदत्त न की गई कोई राशि मजूदरी संदाय अधिनियम, 1936 (1936 का 4) के उपबन्धों के अधीन विलम्बित मजदूरी के रूप में वसूलीय होगी ।
83. नियम बनाने की शक्ति-राज्य सरकार ऐसे नियम बना सकेगी जिनमें कारखानों के प्रबन्धकों को ऐसी विशिष्टियों वाले, जैसे विहित की जाएं, रजिस्टर रखने के निदेश और उन रजिस्टरों को निरीक्षकों द्वारा परीक्षा के लिए उपलभ्य कराने की अपेक्षा होगी ।
84. कारखानों को छूट देने की शक्ति-जहां राज्य सरकार का समाधान हो जाता है कि किसी कारखाने में कर्मकारों को लागू छुट्टी नियम ऐसे फायदों का उपबन्ध करते हैं जो उसकी राय में उन फायदों से कम अनुकुल नहीं हैं जिनके लिए यह अध्याय उपबन्ध करता है, वहां वह लिखित आदेश द्वारा, उस कारखाने को, ऐसी शर्तों के अध्यधीन जैसी उस आदेश में विनिर्दिष्ट की जाएं इस अध्याय के सब या किन्हीं उपबन्धों से छूट दे सकेगी ।
[स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए इस बात का विनिश्चय करते समय कि वे फायदे जिनका किन्हीं छुट्टी नियमों द्वारा उपबंध किया गया है, उन फायदों से, जिनका इस अध्याय में उपबन्ध किया गया है, कम अनुकूल हैं या नहीं, कुल फायदों को दृष्टि में रखा जाएगा ।]
ध्याय 9
विशेष उपबंध
85. अधिनियम को कतिपय परिसरों पर लागू करने की शक्ति-(1) राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, घोषित कर सकेगी कि इस अधिनियम के सब या कोई उपबन्ध किसी ऐसे स्थान पर, जिसमें कोई विनिर्माण प्रक्रिया शक्ति की सहायता से या उसके बिना चलाई जाती है या मामूली तौर से ऐसे चलाई जाती है, इस बात के होने पर भी लागू होंगे कि-
(i) वहां नियोजित व्यक्तियों की संख्या, यदि वे शक्ति की सहायता से काम रह हैं तो, दस से कम है और यदि वे शक्ति की सहायता के बिना काम कर रहे हैं, तो बीस से कम है; और
(ii) वहां काम करने वाले व्यक्ति उसके स्वामी द्वारा नियोजित नहीं हैं किन्तु ऐसे स्वामी की अनुज्ञा से या उसके साथ करार के अधीन काम कर रहे हैं :
परन्तु यह तब जब कि विनिर्माण प्रक्रिया स्वामी द्वारा केवल अपने कुटुम्ब की सहायता से ही नहीं चलाई जा रही है ।
(2) किसी स्थान के ऐसे घोषित किए जाने के पश्चात् वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए कारखाना समझा जाएगा और स्वामी को अधिष्ठाता और उसमें काम करने वाले व्यक्ति को कर्मकार समझा जाएगा ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए “स्वामी" के अन्तर्गत परिसर का पट्टेदार या बन्धकदार भी होगा जो कब्जा रखता है ।
86. सार्वजनिक संस्थाओं को छूट देने की शक्ति-राज्य सरकार किसी कर्मशाला या कर्मस्थली को, जहां कोई विनिर्माण प्रक्रिया चलाई जाती हो और जो शिक्षा, [प्रशिक्षण अनुसंधान] या सुधार के प्रयोजनों के लिए चलाई जाने वाली किसी सार्वजनिक संस्था से संलग्न हो, इस अधिनियम के सब या किन्हीं उपबन्धों से छूट ऐसी शर्तों के अध्यधीन दे सकेगी जैसी वह आवश्यक समझे :
परन्तु काम के घंटों और अवकाश दिनों से सम्बद्ध उपबन्धों से कोई छूट, तब तक नहीं दी जाएगी जब तक संस्था पर नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति, संस्था में नियोजित या उपस्थित व्यक्तियों के या उन व्यक्तियों के, जो संस्था के वासी हैं, नियोजन के घंटों, भोजन के लिए अन्तरालों और अवकाश दिनों के विनियमन के लिए एक स्कीम राज्य सरकार के समक्ष अनुमोदन के लिए नहीं रखते और राज्य सरकार का समाधान नहीं हो जाता कि स्कीम के उपबन्ध इस अधिनियम के तत्समान उपबन्धों से कम अनुकूल नहीं हैं ।
87. खतरनाक संक्रियाएं-जहां राज्य सरकार की यह राय है कि किसी कारखाने में चलाई जाने वाली कोई [विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] ऐसी है कि वह उसमें नियोजित किन्हीं व्यक्तियों को शारीरिक क्षति, विष, या रोग की गम्भीर जोखिम में डाल देती है वहां वह किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों को जिनमें वह 2[विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] चलाई जा रही हो लागू होने वाले ऐसे नियम बना सकेगी जिनमें-
(क) 2[विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] विनिर्दिष्ट होगी और खतरनाक घोषित होगी;
(ख) उस 2[विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] में स्त्रियों, कुमारों, या बालकों का नियोजन प्रतिषिद्ध या निर्बन्धित होगा;
(ग) उस 2[विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] में नियोजित या नियोजन चाहने वाले व्यक्तियों की कालिक चिकित्सीय परीक्षा के लिए उपबन्ध होगा और ऐसे नियोजन के लिए योग्य प्रमाणित न हुए व्यक्तियों का नियोजन प्रतिषिद्ध होगा [और कारखाने के अधिष्ठाता से ऐसी चिकित्सीय परीक्षा की फीस का संदाय करने के लिए अपेक्षा की जाएगी] ;
(घ) उस 2[विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] में या उन स्थानों के जहां वह चलाई जा रही हो समीप नियोजित सब व्यक्तियों की संरक्षा के लिए उपबन्ध होगा;
(ङ) उस 2[विनिर्माण प्रक्रिया या संक्रिया] के समबन्ध में किन्हीं विनिर्दिष्ट सामग्रियों या प्रक्रियाओं का प्रयोग प्रतिषिद्ध, निर्बन्धित या नियंत्रित होगा;
3[(च) विनिर्माण प्रक्रियाया संक्रिया की खतरनाक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, अतिरिक्त कल्याण सम्बन्धी सुख-सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं का और संरक्षात्मक उपकरण और वस्त्रों के प्रदाय का और उनके मानक विहित किए जाने का उपबन्ध होगा;]
। । । । । । ।
[87क. गंभीर परिसंकट के कारण नियोजन प्रतिषिद्ध करने की शक्ति-(1) जहां निरीक्षक को यह प्रतीत होता है कि किसी कारखाने या उसके भाग में ऐसी परिस्थितियां हैं कि वे उसमें नियोजित व्यक्तियों को या आसपास के जनसाधारण को क्षति या मृत्यु के रूप में गंभीर परिसंकट कारित कर सकती हैं, वहां वह कारखाने के अधिष्ठाता को लिखित रूप में आदेश द्वारा, ऐसी विशिष्टियां कथित कर सकेगा जिनकी बाबत वह समझता है कि वे कारखाने या उसके भाग को ऐसा गंभीर परिसंकट कारित करेंगी और ऐसे अधिष्ठाता को, उतनी संख्या में व्यक्तियों को छोड़कर जो न्यूनतम काम को करने के लिए आवश्यक हों, किसी व्यक्ति को कारखाने या उसके किसी भाग में नियोजित करने से उस समय प्रतिषिद्ध कर सकेगा जब तक कि उस परिसंकट को दूर नहीं कर दिया जाता ।
(2) उपधारा (1) के अधीन निरीक्षक द्वारा जारी किए गए किसी आदेश का तीन दिन की अवधि तक प्रभाव होगा जब तक कि उसे मुख्य निरीक्षक द्वारा किसी पश्चात्वर्ती आदेश द्वारा बढ़ा नहीं दिया जाता ।
(3) उपधारा (1) के अधीन निरीक्षक और उपधारा (2) के अधीन मुख्य निरीक्षक के आदेश से व्यथित किसी व्यक्ति को उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार होगा ।
(4) वह व्यक्ति, जिसका नियोजन उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए आदेश से प्रभावित हुआ है, मजदूरी और अन्य फायदों का हकदार होगा तथा अधिष्ठाता का यह कर्तव्य होगा कि वह उसे जहां भी संभव हो और विहित रीति से आनुकल्पिक नियोजन उपलब्ध कराए ।
(5) उपधारा (4) के उपबंध औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) के अधीन पक्षकारों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होंगे ।]
88. कतिपय दुर्घटनाओं की सूचना- [(1)] जहां किसी कारखाने में कोई ऐसी दुर्घटना हो जाए जिससे मृत्यु हो जाती है या जो कोई ऐसी शारीरिक क्षति करती है जिसके कारण क्षत व्यक्ति उस दुर्घटना के ठीक बाद के अड़तालीस घन्टों या अधिक की कालावधि के लिए काम करने से निवारित हो जाता है या जो ऐसे स्वरूप की है जैसा इस निमित्त विहित किया जाए, वहां कारखाने का प्रबन्धक उसकी सूचना ऐसे प्राधिकारियों को और ऐसे प्ररूप में और इतने समय के अन्दर भेजेगा जो विहित किया जाए ।
[(2) जहां उपधारा (1) के अधीन दी गई सूचना किसी ऐसी दुर्घटना के सम्बन्ध में हो जिसमें मृत्यु हो जाती है वहां वह प्राधिकारी, जिसको सूचना भेजी जाती है, सूचना की प्राप्ति के एक मास के अन्दर घटना की जांच करेगा और यदि ऐसा प्रधिकारी निरीक्षक नहीं है तो वह उक्त अवधि के अन्दर निरीक्षक से जांच कराएगा ।
(3) राज्य सरकार इस धारा के अधीन जांच में प्रक्रिया विनियमित करने के लिए नियम बना सकती है ।]
[88क. कतिपय खतरनाक दुर्घटनाओं की सूचना-जहां कारखाने में ऐसे स्वरूप की जैसी विहित की जाए, कोई खतरनाक दुर्घटना हो जाए, जिससे चाहे शारीरिक क्षति या निःशक्तता हो जाती हो या न हो जाती हो, वहां कारखाने का प्रबन्धक उसकी सूचना ऐसे प्राधिकारियों को और ऐसे प्ररूप में और इतने समय के अन्दर भेजेगा जो विहित किया जाए ।]
89. कतिपय रोगों की सूचना-(1) जहां किसी कारखाने में किसी कर्मकार को, 4[तीसरी अनुसूची] में विनिर्दिष्ट कोई रोग लग जाए वहां कारखाने का प्रबन्धक उसकी सूचना ऐसे प्राधिकारियों को और ऐसे प्ररूप में और इतने समय के अन्दर भेजेगा जो विहित किया जाए ।
(2) यदि कोई चिकित्सा-व्यवसायी किसी ऐसे व्यक्ति की चिकित्सा करता है, जो किसी कारखाने में नियोजित है या रहा है और जो [तीसरी अनुसूची] में विनिर्दिष्ट किसी रोग से पीड़ित है या जिसके बारे में चिकित्सा-व्यवसायी को विश्वास है कि वह ऐसे रोग से पीड़ित है तो चिकित्सा व्यवसायी अविलम्ब एक लिखित रिपोर्ट मुख्य निरीक्षक के कार्यालय को भेजेगा जिसमें-
(क) चिकित्साधीन व्यक्ति का नाम और डाक का पूरा पता दिया होगा,
(ख) वह रोग कथित होगा जिससे चिकित्साधीन व्यक्ति के पीड़ित होने का उसे विश्वास है, और
(ग) उस कारखाने का नाम और पता दिया होगा जिसमें चिकित्साधीन व्यक्ति नियोजित है या अन्तिम बार नियोजित था ।
(3) जहां उपधारा (2) के अधीन रिपोर्ट की, प्रमाणकर्ता सर्जन के प्रमाणपत्र से या अन्यथा, मुख्य निरीक्षक की समाधानप्रद रूप में पुष्टि हो जाती है कि वह व्यक्ति अनुसूची में विनिर्दिष्ट रोग से पीड़ित है वहां वह चिकित्सा-व्यवसायी को ऐसी फीस संदत्त करेगा जैसी विहित की जाए और ऐसी संदत्त फीस उस कारखाने के अधिष्ठाता से, जिसमें उस व्यक्ति को रोग लगा था, भूराजस्व की बकाया के रूप में वसूलीय होगी ।
(4) यदि कोई चिकित्सा-व्यवसायी उपधारा (2) के उपबन्धों का अनुपालन करने में असफल होगा तो वह जुर्माने से, जो [एक हजार रुपए] तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।
[(5) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, तीसरी अनुसूची का परिवर्धन या परिवर्तन कर सकेगी और किसी ऐसे परिर्वधन या परिवर्तन का वही प्रभाव होगा मानो वह इस अधिनियम द्वारा किया गया है ।]
90. दुर्घटना या रोग की दशाओं में जांच निर्दिष्ट करने की शक्ति-(1) यदि राज्य सरकार ऐसा करना समीचीन समझती है तो वह किसी ऐसी दुर्घटना के कारणों की जो किसी कारखाने में हुई हो या किसी ऐसे मामले की, जिसमें [तीसरी अनुसूची] में विनिर्दिष्ट कोई रोग किसी कारखाने में लगा हो या यह संदेह हो कि वहां वह लगा, जांच करने के लिए कोई सक्षम व्यक्ति नियुक्त कर सकेगी और ऐसी जांच में असेसर के रूप में कार्य करने के लिए एक या अधिक ऐसे व्यक्तियों को भी नियुक्त कर सकेगी जिनको विधिक या विशिष्ट जानकारी हो ।
(2) इस धारा के अधीन जांच करने के लिए नियुक्त व्यक्ति को, साक्षियों को हाजिर कराने और दस्तोवेजों और भैतिक पदार्थों को पेश कराने के प्रयोजन के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन सिविल न्यायालय की सब शक्तियां होंगी और जहां तक जांच के प्रयोजनों के लिए आवश्यक हो वह इस अधिनियम के अधीन निरीक्षक की शक्तियों में से किसी का भी प्रयोग कर सकेगा, और जांच करने वाले व्यक्ति द्वारा कोई सूचना देने के लिए अपेक्षित प्रत्येक व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 176 के अर्थ में ऐसा करने के लिए वैध रूप से आबद्ध समझा जाएगा ।
(3) इस धारा के अधीन जांच करने वाला व्यक्ति राज्य सरकार को एक रिपोर्ट देगा जिसमें, यथास्थिति, दुर्घटना या रोग के कारण और कोई तत्सम्बद्ध परिस्थितियां कथित होंगी और कोई ऐसी टीका-टिप्पणियां भी होंगी जो वह या असेसरों में से कोई करना ठीक समझे ।
(4) यदि राज्य सरकार ठीक समझती है तो वह इस धारा के अधीन दी गई किसी रिपोर्ट या उसमें से किन्हीं उद्धरणों को प्रकाशित करा सकेगी ।
(5) इस धारा के अधीन जांचों में प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए राज्य सरकार नियम बना सकेगी ।
91. नमूने लेने की शक्ति-(1) निरीक्षक कारखाने के प्रसामान्य काम के घन्टों के दौरान किसी समय कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक को या ऐसे अन्य व्यक्ति को, जिसका तत्समय कारखाने का भारसाधक होना तात्पर्यित है, इत्तिला देकर किसी ऐसे पदार्थ का एतत्पश्चात् उपबन्धित रीति में पर्याप्त नमूना ले सकेगा जो कारखाने में प्रयुक्त किया जा रहा है या प्रयुक्त किए जाने के लिए आशयित है और जो प्रयोग-
(क) निरीक्षक के विश्वासानुसार इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों में किसी के उल्लंघन में है, या
(ख) निरीक्षक की राय में कारखाने में कर्मकारों को शारीरिक क्षति या उनके स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाने की संभाव्यता रखता है ।
(2) जहां निरीक्षक उपधारा (1) के अधीन नमूना लेता है वहां वह उस व्यक्ति की उपस्थिति में, जिसे उस उपधारा के अधीन इत्तिला दी गई हो जब तक कि ऐसा व्यक्ति जानबूझकर अनुपस्थित नहीं रहता, नमूने को तीन भागों में विभक्त करेगा और उन्हें प्रभावपूर्ण रूप से मुहरबन्द और उचित रूप से चिह्नित करेगा, और ऐसे व्यक्ति को भी उन पर अपनी मुहर लगाने और चिह्नित करने की अनुज्ञा देगा ।
(3) वह व्यक्ति जिसे यथापूर्वोक्त इत्तिला दी गई है इस धारा के अधीन लिए गए नमूने को विभक्त, मुहरबन्द और चिह्नित करने के लिए साधित्रों की व्यवस्था करेगा यदि निरीक्षक वैसी अपेक्षा करे ।
(4) निरीक्षक-
(क) नमूने का एक भाग तत्क्षण उस व्यक्ति को देगा जिसे उपधारा (1) के अधीन इत्तिला दी गई है;
(ख) दूसरे भाग को विश्लेषण करने और उस पर रिपोर्ट देने के लिए तत्क्षण सरकारी विश्लेषक को भेजेगा;
(ग) तीसरे भाग को उस न्यायालय में पेश करने के लिए प्रतिधारित रखेगा जिसके समक्ष पदार्थ के विषय में कार्यवाहियां, यदि कोई हों, संस्थित की गई हैं ।
(5) इस धारा के अधीन विश्लेषण करने और रिपोर्ट देने के लिए सरकारी विश्लेषक को दिए गए किसी पदार्थ के बारे में सरकारी विश्लेषक के हस्ताक्षरों वाली रिपोर्ट होनी तात्पर्यित कोई दस्तावेज उस पदार्थ के बारे में संस्थित किन्हीं कार्यवाहियों में साक्ष्य रूप में प्रयुक्त की जा सकेगी ।
[91क. सुरक्षा और व्यावसायिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-(1) मुख्य निरीक्षक या कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिदेशक या भारत सरकार का स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक या ऐसा अन्य अधिकारी, जो इस निमित्त राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किया जाए या मुख्य निरीक्षक या कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिदेशक या स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक कारखाने के प्रसामान्य काम के घंटों के दौरान या किसी ऐसे अन्य समय पर, जब वह आवश्यक समझे, कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक या ऐस अन्य व्यक्ति को, जिसका तत्समय कारखाने का भारसाधक होना तात्पर्यित है, इत्तिला देकर सुरक्षा और व्यावसायिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण कर सकेगा और ऐसा अधिष्ठाता या प्रबन्धक या अन्य व्यक्ति ऐसे सर्वेक्षण के लिए सभी सुविधाएं प्रदान करेगा जिनके अन्तर्गत संयंत्र और मशीनरी की परीक्षा और परीक्षण के लिए और सर्वेक्षण से सुसंगत नमूने और अन्य आंकड़े के संकलन की सुविधाएं भी हैं ।
(2) उपधारा (1) के अधीन सर्वेक्षणों को सुकर बनाने के प्रयोजन के लिए प्रत्येक कर्मकार यदि सर्वेक्षण करने वाले व्यक्ति ने ऐसी अपेक्षा की है तो अपनी स्वयं ऐसी चिकित्सीय परीक्षा कराएगा जैसी वह आवश्यक समझे और अपने कब्जे में की और ऐसी सभी जानकारी देगा जो उसके पास हो और जो सर्वेक्षण से सुसंगत हो ।
(3) उपधारा (2) के अधीन चिकित्सीय परीक्षा कराने या जानकारी देने के लिए कर्मकार ने जितना समय व्यतीत किया है उसके बारे में यह समझा जाएगा कि वह मजदूरी और अतिकाल काम के लिए अतिरिक्त मजदूरी की संगणना करने के प्रयोजन के लिए ऐसा समय है जिसके दौरान उस कर्मकार ने कारखाने में काम किया था ।]
[स्पष्टीकरण-(1) इस धारा के प्रयोजनों के लिए, उपधारा (1) के अधीन सर्वेक्षण करने वाले व्यक्ति द्वारा राज्य सरकार को पेश की गई रिपोर्ट को, यदि कोई है, इस अधिनियम के अधीन निरीक्षक द्वारा पेश की गई रिपोर्ट समझा जाएगा ।]
अध्याय 10
शास्तियां और प्रक्रिया
92. अपराधों के लिए सामान्य शास्ति-इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबन्धित के सिवाय और धारा 93 के उपबन्धों के अध्यधीन यह है कि यदि किसी कारखाने में या उसके संबंध में, इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए किसी नियम के या तद्धीन दिए गए किसी लिखित आदेश के उपबन्धों में से या किसी का उल्लंखन होगा तो कारखाने का अधिष्ठाता और प्रबन्धक प्रत्येक अपराध का दोषी होगा और कारावास से, जिसकी अवधि [दो वर्ष] तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो [एक लाख रुपए] तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से और यदि उल्लंघन, दोषसिद्धि के पश्चात् जारी रहता है, तो अतिरिक्त जुर्माने से, जो प्रत्येक दिन के लिए, जिसमें उल्लंघन इन प्रकार जारी रहता है, [एक हजार रुपए] तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा :
[परन्तु जहां अध्याय 4 के या उसके अधीन या धारा 87 के अधीन बनाए गए किसी नियम के किसी उपबन्ध के उल्लंघन से कोई ऐसी दुर्घटना हुई है, जिससे मृत्यु या गम्भीर शारीरिक क्षति हुई है वहा जुर्माना, ऐसी दुर्घटना की दशा में जिससे मृत्यु हुई है, [पच्चीस हजार रुपए] से और ऐसी दुर्घटना की दशा में जिससे गम्भीर शारीरिक क्षति हुई है, [पांच हजार रुपए] से कम नहीं होगा ।
स्पष्टीकरण-इस धारा में और धारा 94 में “गम्भीर शारीरिक क्षति" से ऐसी क्षति अभिप्रेत है जिसमें शरीर के किसी अंग के उपयोग की स्थायी हानि या स्थायी क्षति अथवा दृष्टि या श्रवण-शक्ति को स्थायी हानि या क्षति हुई है या होने की पूरी सम्भाव्यता है या कोई अस्थि-भंग हुआ है किन्तु इसके अन्तर्गत किसी हाथ और पैर की अंगुलियों का ऐसा अस्थि या जोड़ का भंग नहीं है (जो किसी एक अस्थि या जोड़ से अधिक का अस्थि-अंग नहीं है)] ।
[93. कतिपय परिस्थितियों में परिसर के स्वामी का दायित्व-(1) जहां किसी परिसर में पृथक्-पृथक् भवन विभिन्न अधिष्ठाताओं को, पृथक् कारखानों के रूप में प्रयोग के लिए पट्टे पर दिए गए हैं वहां पहुंच मार्गों, जल निकासों, जल प्रदाय, रोशनी और सेवाओं की व्यवस्था और अनुरक्षा करने के लिए परिसर का स्वामी उत्तरदायी होगा ।]
(2) राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक को, उपधारा (1) के उपबन्धों को क्रियान्वित करने के सम्बन्ध में परिसर के स्वामी को आदेश देने की शक्ति होगी ।
(3) जहां किसी परिसर में स्वतंत्र या स्वतः पूर्ण मंजिलें या फ्लैट विभिन्न अधिष्ठाताओं को पृथक् कारखानों के रूप में प्रयोग किए जाने के लिए पट्टे पर दिए गए हैं वहां परिसर का स्वामी निम्नलिखित के सम्बन्ध में इस अधिनियम के उपबन्धों के किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए ऐसे दायित्वाधीन होगा मानो वह कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबंधक हो-
(i) शौचालय, मूत्रालय और धुलाई की सुविधाएं जहां तक उन प्रयोजनों के लिए जल के सामान्य प्रदाय का बनाए रखना संबंधित है;
(ii) ऐसी मशीनरी और संयंत्र पर बाड़ लगाना जो स्वामी का हो और अधिष्ठाता की अभिरक्षा या उसके प्रयोग के लिए विनिर्दिष्ट रूप से न्यस्त न किया गया हो;
(iii) मंजिलों या फ्लैटों तक पहुंचने के लिए निरापद साधन और सीढ़ियां और सामान्य मार्गों का बनाए रखना और सफाई;
(iv) आग लगने की दशा में पूर्वावधानियां;
(v) उत्तोलकों और उत्थापकों का अनुरक्षण; और
(vi) परिसर में उपलभ्य किन्हीं अन्य सामान्य सुविधाओं का अनुरक्षण ।
(4) राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक को उपधारा (3) के उपबन्धों के कार्यान्वयन के बारे में परिसर के स्वामी को आदेश देने की शक्ति होगी ।
(5) जहां किसी परिसर में सामान्य शौचालयों, मूत्रालयों और धुलाई की सुविधओं के सहित पृथक् कमरे विभिन्न अधिष्ठाताओं को, पृथक् कारखानों के रूप में प्रयोग के लिए पट्टे पर दिए गए हैं वहां स्वामी के दायित्व के बारे में उपधारा (3) के उपबन्ध लागू होंगे :
परन्तु स्वामी शौचालयों, मूत्रालयों और धुलाई की सुविधाओं की व्यवस्था और अनुरक्षा करने से सम्बद्ध अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए भी उत्तरदायी होगा ।
(6) राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक को उपधारा (5) में निर्दिष्ट परिसर के स्वामी को धारा 46 या धारा 48 के उपबन्धों के कार्यान्वयन के बारे में आदेश देने की शक्ति होगी ।
(7) जहां किसी परिसर में किसी कमरे या शैड के भाग विभिन्न अधिष्ठाताओं को पृथक् कारखानों के रूप में प्रयोग के लिए पट्टे पर दिए जाते हैं, वहां परिसर का स्वामी निम्नलिखित के उपबन्धों के किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए दायित्वाधीन होगा-
(i) धारा 14 और धारा 15 को छोड़कर अध्याय 3 ;
(ii) धारा 22, 23, 27, 34, 35 और 36 को छोड़कर अध्याय 4 :
परन्तु धारा 21, 24 और 32 के उपबन्धों के बारे में स्वामी का दायित्व वहीं तक होगा, जहां तक ऐसे उपबन्ध उसके नियंत्रणाधीन बातों से सम्बद्ध हैं :
परन्तु यह और कि अधिष्ठाता अपनी या अपने द्वारा प्रदत्त मशीनरी और संयंत्र के बारे में अध्याय 4 के उपबन्धों का अनुपालन करने के लिए उत्तरदायी होगा ;
(iii) धारा 42 ।
(8) राज्य सरकार के नियंत्रण के अध्यधीन मुख्य निरीक्षक को उपधारा (1) के उपबन्धों के कार्यान्वयन के बारे में परिसर के स्वामी को आदेश देने की शक्ति होगी ।
(9) उपधारा (5) और (7) के सम्बन्ध में नियोजित कर्मकारों की कुल संख्या इस अधिनियम के उपबंधों में से किसी के प्रयोजन के लिए संगणित करते समय पूरे परिसर को एक ही कारखाना समझा जाएगा ।
94. पूर्वतन दोषसिद्धि के पश्चात् वर्धित शास्ति- [(1)] यदि कोई व्यक्ति, जो धारा 92 के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए सिद्धदोष हो चुका है, उसी उपबन्ध का कोई उल्लंघन अन्वर्तलित करने वाले अपराध का पुनः दोषी होगा तो वह पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर कारावास से जिसकी अवधि [तीन वर्ष] तक की हो सकेगी या जुर्माने से [जो [दस हजार रुपए] से कम नहीं होगा किन्तुट [दो लाख रुपए] तक का हो सकेगा] :
[परन्तु न्यायालय किन्हीं ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से जिनका उल्लेख निर्णय में किया जाएगा, 4[दस हजार रुपए] से कम का जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा :
परन्तु यह और कि जहां अध्याय 4 के या उसके अधीन या धारा 87 के अधीन बनाए गए किसी नियम के किसी उपबन्ध के उल्लंघन से ऐसी दुर्घटना हुई है, जिससे मृत्यु या गम्भीर शारीरिक क्षति हुई है, वहां जुर्माना ऐसी दुर्घटना की दशा में, जिससे मृत्यु हुई है, [पैंतीस हजार रुपए] से कम और ऐसी दुर्घटना की दशा में जिससे गम्भीर शारीरिक क्षति हुई है [दस हजार रुपए] से कम नहीं होगा ।]
[(2) उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, किसी ऐसी दोषसिद्धि का कोई संज्ञान नहीं किया जाएगा जो उस अपराध के किए जाने से दो वर्ष से अधिक पूर्व की गई है जिसके लिए वह व्यक्ति तत्पश्चात् दोषसिद्ध किया जा रहा है ।]
95. निरीक्षक को बाधित करने के लिए शास्ति-जो कोई इस अधिनियम के द्वारा या अधीन निरीक्षक को प्रदत्त किसी शक्ति के प्रयोग में उसे जानबूझकर बाधित करेगा या इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों के अनुसरण में अपनी अभिरक्षा में रखे गए किन्हीं रजिस्टरों या अन्य दस्तावेजों को, निरीक्षक की मांग पर पेश करने में असफल होगा या कारखाने में किसी कर्मकार को निरीक्षक के समक्ष उपस्थित होने या उसके द्वारा परीक्षित किए जाने से छिपाएगा या रोकेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि [छह मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा] अथवा दोनों से दण्डनीय होगा ।
96. धारा 91 के अधीन विश्लेषण के परिणाम को दोषपूर्णतया प्रकट कर देने के लिए शास्ति-जो कोई, वहां तक के सिवाय जहां तक इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए अभियोजन के प्रयोजनों के लिए ऐसा करना आवश्यक हो, धारा 91 के अधीन किए गए किसी विश्लेषण के परिणाम को प्रकाशित या किसी व्यक्ति को प्रकट करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि [छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा] अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा ।
[96क. धारा 41ख, 41ग और 41ज, के उपबंधों के उल्लंघन के लिए शास्ति-(1) जो कोई धारा 41ख, 41ग या 41ज के या उसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबंधों का पालन करने में असफल रहेगा या उनका उल्लंघन करेगा, वह ऐसी असफलता या उल्लंघन की बाबत कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से, जो दो लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा और यदि असफलता या उल्लंघन जारी रहता है तो ऐसे अतिरिक्त जुर्माने से, जो ऐसे प्रत्येक दिन के लिए जिसके दौरान ऐसी प्रथम असफलता या उल्लंघन के लिए दोषसिद्धि के पश्चात् ऐसी असफलता या ऐसा उल्लंघन जारी रहता है, पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।
(2) यदि उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई असफलता या उल्लंघन दोषसिद्धि की तारीख से पश्चात् एक वर्ष की अवधि से परे जारी रहता है तो अपराधी कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा ।]
97. कर्मकारों द्वारा अपराध-(1) धारा 111 के उपबंधों के अध्यधीन यह है कि यदि कारखाने में नियोजित कोई कर्मकार इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों या आदेशों के किसी उपबन्ध का, जो कर्मकारों पर कोई कर्तव्य या दायित्व अधिरोपित करता है, उल्लंघन करेगा तो वह जुर्माने से, जो [पांच सौ रुपए] तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।
(2) जहां कोई कर्मकार उपधारा (1) के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध हो जाता है, वहां कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबन्धक उस उल्लंघन के लिए अपराध का दोषी तब तक नहीं समझा जाएगा जब तक कि यह सिद्ध नहीं होता कि वह उसका निवारण करने के लिए सब युक्तियुक्त उपाय करने में असफल रहा है ।
98. मिथ्या योग्यता प्रमाणपत्र प्रयुक्त करने के लिए शास्ति-जो कोई धारा 70 के अधीन अन्य व्यक्ति को दिए गए किसी योग्यता प्रमाणपत्र को उस धारा के अधीन अपने को अनुदत्त योग्यता प्रमाणपत्र के रूप में जानबूझकर प्रयुक्त करेगा या प्रयुक्त करने का प्रयत्न करेगा अथवा जो ऐसा प्रमाणपत्र उपाप्त कर चुकने के पश्चात् उसे दूसरे व्यक्ति द्वारा जानबूझकर प्रयोग में लाने देगा या प्रयोग में लाने का प्रयत्न करने देगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि [दो मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा] अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा ।
99. बालक या दोहरा नियोजन अनुज्ञात करने के लिए शास्ति-यदि कोई बालक किसी कारखाने में किसी ऐसे दिन काम करेगा जिस दिन वह पहले ही अन्य कारखाने में काम करता रहा है, तो उस बालक की माता या पिता या संरक्षक या वह व्यक्ति, जिसकी अभिरक्षा में या नियंत्रण में वह है या जो उसकी मजदूरी से कोई प्रत्यक्ष फायदा अभिप्राप्त करता है, जुर्माने से जो [एक हजार रुपए] तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा जब तक न्यायालय को यह प्रतीत न हो कि बालक ने ऐसा काम उस माता या पिता, संरक्षक या व्यक्ति की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना किया है ।
100. [कतिपय मामलों में अधिष्ठाता का अवधारण ।]-कारखाना (संशोधन) अधिनियम, 1987 (1987 का 20) की धारा 38 द्वारा (1-12-1987 से) निरसित ।
101. कतिपय दशाओं में अधिष्ठाता या प्रबंधक को दायित्व से छूट-जहां कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक पर इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय कोई अपराध आरोपित है वहां वह अपने द्वारा सम्यक् रूप से किए गए परिवाद पर और अपने ऐसा करने के आशय की अभियोजक को अन्यून तीन पूर्ण दिन की लिखित सूचना देने पर इस बात के लिए हकदार होगा कि वह ऐसे अन्य व्यक्ति को, जिस पर वह वास्तविक अपराधी होने का आरोप लगाता है, न्यायालय के समक्ष आरोप की सुनवाई के लिए नियत समय पर पेश करवाए और यदि अपराध का किया जाना साबित हो जाने के पश्चात्, यथास्थिति, कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबन्धक न्यायालय को समाधानप्रद रूप में साबित कर देता है-
(क) कि इस अधिनियम का निष्पादन प्रवर्तित कराने के लिए उसने सम्यक् तत्परता बरती है; और
(ख) कि उक्त अन्य व्यक्ति ने प्रश्नगत अपराध उसके ज्ञान, सम्मति या मौनानुकूलता के बिना किया है,
तो वह अन्य व्यक्ति अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाएगा और ऐसे दण्डनीय होगा मानो वह कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबन्धक हो और, यथास्थिति, अधिष्ठाता या प्रबंधक ऐसे अपराध के लिए इस अधिनियम के अधीन किसी दायित्व से उन्मोचित कर दिया जाएगा :
परन्तु यथापूर्वोक्त साबित करने के प्रयास में, यथास्थिति, कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक की शपथ पर परीक्षा की जा सकेगी और उसका और ऐसे किसी साक्षी का साक्ष्य, जिसे अपने समर्थन में वह पेश करता है, उस व्यक्ति की ओर से, जिसे वह वास्तविक अपराधी के रूप में आरोपित करता है, और अभियोजक द्वारा प्रतिपरीक्षा के अध्यधीन होगा :
परन्तु यह और कि यदि अधिष्ठाता या प्रबन्धक द्वारा वास्तविक अपराधी के रूप में आरोपित व्यक्ति न्यायालय के समक्ष आरोप की सुनवाई के लिए नियत समय पर नहीं लाया जा सकता तो न्यायालय इतनी कालावधि तक, जो तीन मास से अनधिक होगी, समय-समय पर सुनवाई को स्थगित करेगा और यदि उक्त कालावधि का अन्त होने तक भी वास्तविक अपराधी के रूप में आरोपित व्यक्ति न्यायालय के समक्ष नहीं लाया जा सकता तो न्यायालय अधिष्ठाता या प्रबन्धक के खिलाफ आरोप की सुनवाई के लिए अग्रसर होगा और यदि अपराध साबित हो जाए तो अधिष्ठाता या प्रबन्धक को सिद्धदोष ठहराएगा ।
102. न्यायालय की आदेश देने की शक्ति-(1) जहां कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबन्धक इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय अपराध के लिए सिद्धदोष हो जाता है वहां न्यायालय कोई दण्ड अधिनिर्णीत करने के साथ-साथ लिखित आदेश द्वारा उससे अपेक्षा कर सकेगा कि वह आदेश में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर (जिसे न्यायालय यदि उचित समझे तो, और उस निमित्त आवेदन पर, समय-समय पर बढ़ा सकेगा) उन बातों का उपचार करने के लिए जिनके बारे में अपराध किया गया है ऐसे अध्युपाय करे जो इस प्रकार विनिर्दिष्ट किए जाएं ।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन कोई आदेश किया जाता है वहां, यथास्थिति, कारखाने का अधिष्ठाता या प्रबन्धक, न्यायालय द्वारा अनुज्ञात कालावधि या बढ़ाई गई कालावधि के, यदि कोई हो, दौरान अपराध के जारी रहने के संबंध में इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय नहीं होगा, किन्तु यदि, यथास्थिति, कालावधि या बढ़ाई गई कालावधि के अंत तक न्यायालय के आदेश का पूर्णतः अनुपालन नहीं हुआ है तो, यथास्थिति, अधिष्ठाता या प्रबन्धक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अतिरिक्त अपराध किया है और न्यायालय उसके लिए उसे ऐसी अवधि के लिए कारावास भोगने के लिए, जो छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माना देने के लिए, जो ऐसी समाप्ति के पश्चात् हर ऐसे दिन के लिए, जिसमें आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है, सौ रुपए तक का हो सकेगा या यथापूर्वोक्त कारावास भोगने और जुर्माना देने या दोनों के लिए दण्डादिष्ट कर सकेगा ।
103. नियोजन के विषय में उपधारणा- यदि कोई व्यक्ति भोजन या विश्राम के लिए अन्तरालों के सिवाय किसी ऐसे समय जब काम हो रहा है या मशीनरी चल रही है कारखाने में पाया जाता है तो इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के प्रयोजनों के लिए उसके बारे में, जब तक कि प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह समझा जाएगा कि वह उस समय कारखाने में नियोजित है ।
104. आयु के विषय में सिद्धिभार-(1) जब कोई कार्य या लोप किसी व्यक्ति के किसी विशेष आयु से कम का होने पर इस अधिनियम के अधीन कोई दण्डनीय अपराध होता और ऐसा व्यक्ति न्यायालय की राय में प्रथमदृष्ट्या ऐसी आयु से कम का है तब यह साबित करने का भार अभियुक्त पर होगा कि ऐसा व्यक्ति ऐसी आयु से कम का नहीं है ।
(2) प्रमाणकर्ता सर्जन द्वारा किसी कर्मकार के बारे में यह लिखित घोषणा कि उसने स्वयं उस कर्मकार की परीक्षा की है और यह विश्वास करता है कि वह कर्मकार ऐसी घोषणा में कथित आयु से कम का है, इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के प्रयोजनों के लिए, उस कर्मकार की आयु के साक्ष्य के रूप में ग्राह्य होगी ।
[104क. स्त्र्क्या साध्य हैऱ् की सीमा साबित करने का भार, आदि-इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबन्धों के उल्लंघन के लिए किसी ऐसे अपराध की कार्यवाही में, जो कुछ करने के कर्तव्य या अपेक्षा का पालन करने में असफलता का गठन करता है, यह साबित करना कि वह युक्तियुक्त रूप से साध्य नहीं था या, यथास्थिति, कर्तव्य या अपेक्षा की पूर्ति करने के लिए सभी साध्य उपाय किए गए थे, उस व्यक्ति पर होगा जिसके बारे में यह अभिकथन है कि वह ऐसे कर्तव्य या अपेक्षा का अनुपालन करने में असफल रहा है ।]
105. अपराधों का संज्ञान-(1) कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान किसी निरीक्षक द्वारा या उसकी लिखित पूर्व मंजूरी से किए गए परिवाद पर करने के सिवाय नहीं करेगा ।
(2) प्रेसिडेन्सी मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट के न्यायालय से अवर कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध का विचारण नहीं करेगा ।
106. अभियोजनों के लिए परिसीमा-कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध का संज्ञान तब के सिवाय नहीं करेगा जब कि उसके लिए परिवाद उस तारीख से तीन मास के अन्दर कर दिया जाता है जिसको कि अभिकथित अपराध के किए जाने की जानकारी निरीक्षक को हुई :
परन्तु जहां अपराध किसी निरीक्षक द्वारा किए गए लिखित आदेश की अवज्ञा है वहां उसके लिए परिवाद उस तारीख से छह मास के अन्दर किया जा सकेगा जिसको उस अपराध का किया जाना अभिकथित है ।
[स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए-
(क) किसी चालू रहने वाले अपराध की दशा में परिसीमा काल की संगणना उसी समय से की जाएगी जिस समय से अपराध चालू रहता है ;
(ख) जहां कोई कार्य किए जाने के लिए कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक द्वारा किए गए आवेदन पर समय दिया जाता है या बढ़ाया जाता है वहां परिसीमा काल की संगणना उस तारीख से की जाएगी जिसको इस प्रकार दिया गया या बढ़ाया गया समय समाप्त होता है ।]
[106क. किसी न्यायालय की अपराध के लिए कार्यवाहियां, आदि ग्रहण करने की अधिकारिता-इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी संयंत्र के प्रचालन से संबंधित किसी अपराध के संबंध में किसी न्यायालय को अधिकारिता प्रदत्त किए जाने के प्रयोजनों के लिए, उस स्थान को जहां संयंत्र उस समय स्थित है, वह स्थान समझा जाएगा जहां ऐसा अपराध किया गया है ।]
अध्याय 11
अनुपूरक
107. अपीलें-(1) कारखाने का प्रबन्धक, जिस पर निरीक्षक द्वारा लिखित आदेश की तामील इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन हो चुकी है या कारखाने का अधिष्ठाता, आदेश की तामील के तीस दिन के अन्दर विहित प्राधिकारी को उसके विरुद्ध अपील कर सकेगा और ऐसा प्राधिकारी राज्य सरकार द्वारा उस निमित्त बनाए गए नियमों के अध्यधीन रहते हुए उस आदेश की पुष्टि कर सकेगा, उसे अपान्तरित कर सकेगा या उलट सकेगा ।
(2) राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त बनाए गए नियमों के (जिनमें अपीलों के वे वर्ग विहित हो सकेंगे जिनकी सुनवाई असेसरों की सहायता से नहीं होगी) अध्यधीन रहते हुए अपील प्राधिकारी अपील ऐसे असेसरों की सहायता से सुन सकेगा, या यदि अपील की अर्जी में उससे ऐसी अपेक्षा की गई हो तो वैसे सुनेगा, जिसमें से एक अपील प्राधिकारी द्वारा और दूसरा संबंधित उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे निकाय द्वारा, जैसा विहित किया जाए, नियुक्त किया जाएगा :
परन्तु यदि ऐसे निकाय द्वारा कोई असेसर अपील की सुनवाई के लिए नियम समय से पूर्व नियुक्त नहीं किया जाता या उस प्रकार नियुक्त असेसर ऐसे समय सुनवाई पर हाजिर होने में असफल रहता है तो अपील प्राधिकारी जब तक उसका समाधान नहीं हो जाता कि हाजिर होने में असफलता पर्याप्त कारण से है, ऐसे असेसर की सहायता के बिना या यदि वह उचित समझे तो किसी भी असेसर की सहायता के बिना, अपील सुनने के लिए अग्रसर हो सकेगा ।
(3) ऐसे नियमों के अध्यधीन जैसे राज्य सरकार इस निमित्त बनाए, और भागतः अनुपालन किए जाने या अस्थायी उपायों के अपनाए जाने के संबंध में ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, जैसी अपील प्राधिकारी किसी दशा में अधिरोपित करना ठीक समझे, अपील प्राधिकारी यदि उचित समझे तो उस आदेश को जिसकी अपील की गई हो अपील का विनिश्चय लंबित रहने तक के लिए निलंबित कर सकेगा ।
108. सूचनओं का संप्रदर्शन-(1) किसी कारखाने में इस अधिनियम के द्वारा या अधीन संप्रदर्शित किए जाने के लिए अपेक्षित सूचनाओं के अतिरिक्त एक सूचना हर कारखाने में संप्रदर्शित की जाएगी जिसमें इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों की ऐसी संक्षिप्तियां होंगी जैसी विहित की जाएं, और निरीक्षक तथा प्रमाणकर्ता सर्जन का नाम और पता भी होगा ।
(2) कारखाने में इस अधिनियम के द्वारा या अधीन संप्रदर्शित किए जाने के लिए अपेक्षित सब सूचनाएं अंग्रेजी में और कारखाने में कर्मकारों की बहुसंख्या द्वारा समझी जाने वाली भाषा में होंगी और कारखाने में मुख्य द्वार पर या उसके निकट किसी सहजदृश्य और सुविधाजनक स्थान पर संप्रदर्शित की जाएंगी, और साफ और पढ़े जाने योग्य दशा में रखी जाएंगी ।
(3) मुख्य निरीक्षक किसी कारखाने के प्रबंधक पर तामील किए गए लिखित आदेश द्वारा यह अपेक्षा कर सकेगा कि कारखाने में कर्मकारों के स्वास्थ्य, सुरक्षा या कल्याण से सम्बद्ध कोई अन्य सूचना या पोस्टर संप्रदर्शित किया जाएगा ।
109. सूचनाओं की तामील-राज्य सरकार कारखानों के स्वामियों, अधिष्ठाताओं या प्रबन्धकों पर इस अधिनियम के अधीन आदेशों की तामील की रीति विहित करने वाले नियम बना सकेगी ।
110. विवरणियां-राज्य सरकार कारखानों के स्वामियों, अधिष्ठाताओं या प्रबन्धकों से यह अपेक्षा करने वाले नियम बना सकेगी कि वे यदा-कदा या नियत समयों पर ऐसी विवरणियां दें जैसी राज्य सरकार की राय में इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अपेक्षित हों ।
111. कर्मकारों की बाध्यताएं-(1) कारखाने में कोई भी कर्मकार-
(क) कारखाने के कर्मकारों का स्वास्थ्य, सुरक्षा या कल्याण सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए वहां उपबन्धित किसी साधित्र, सुविधा या अन्य चीज में जानबूझकर हस्तक्षेप या उसका दुरुपयोग नहीं करेगा;
(ख) जानबूझकर और युक्तियुक्त कारण के बिना कोई ऐसी बात नहीं करेगा जिससे स्वयं उसके या अन्यों के खतरे में पड़ने की सम्भाव्यता हो; और
(ग) कारखाने के कर्मकारों का स्वास्थ्य या सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए वहां उपबंधित किसी साधित्र या अन्य चीज का प्रयोग करने में जानबूझकर उपेक्षा नहीं करेगा ।
(2) यदि कारखाने में नियोजित कोई कर्मकार इस धारा या तद्धीन बनाए गए किसी नियम या आदेश के उपबन्धों में से किसी का उल्लंघन करेगा तो वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक सौ रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से दण्डनीय होगा ।
[111क. कर्मकारों के अधिकार-प्रत्येक कर्मकार को निम्नलिखित अधिकार होंगे-
(i) कार्य पर कर्मकार के स्वास्थ्य और उसका सुरक्षा से संबंधित जानकारी अधिष्ठाता से प्राप्त करना,
(ii) जहां भी संभव हो वहां, कारखाने के भीतर प्रशिक्षित होना, या मुख्य निरीक्षक द्वारा सम्यक् रूप से अनुमोदित किसी प्रशिक्षण केन्द्र या संस्थान में जहां कार्य पर कर्मकार के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है, प्रशिक्षित होने के लिए अधिष्ठाता द्वारा अपने नाम को भिजवाना,
(iii) निरीक्षक को प्रत्यक्ष रूप से या उसके प्रतिनिधि के माध्यम से कारखाने में उसके स्वास्थ्य या सुरक्षा के संरक्षण के लिए अपर्याप्त व्यवस्था के मामले में अभ्यावेदन करना ।]
112. नियम बनाने की साधारण शक्ति-राज्य सरकार ऐसे नियम बना सकेगी जो किसी ऐसे विषय के लिए उपबन्ध करें जो इस अधिनियम के उपबन्धों में से किसी के अधीन विहित किया जाना है या किया जाए या जो इस अधिनियम के प्रयोजनों को प्रभावी करने के लिए समीचीन समझा जाए ।
113. केन्द्र की निदेश देने की शक्तियां-केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों का निष्पादन कराने के बारे में राज्य सरकार को निदेश दे सकेगी ।
114. सुविधाओं और सौकर्य के लिए कोई प्रभार न लेना-धारा 46 के उपबन्धों के अध्यधीन यह है कि अधिष्ठाता द्वारा इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन किए जाने वाले किन्हीं इन्तजामों या सुविधाओं या प्रदाय किए जाने वाले किन्हीं उपस्करों या साधित्रों के लिए कोई फीस या प्रभार किसी कर्मकार से नहीं लिया जाएगा ।
115. नियमों का प्रकाशन- [(1)] इस अधिनियम के अधीन बनाए गए सब नियम शासकीय राजपत्र में प्रकाशित किए जाएंगे और पूर्व प्रकाशन की शर्त के अध्यधीन होंगे, और साधारण खण्ड अधिनियम, 1897 (1897 का 10) की धारा 23 के खंड (3) के अधीन विनिर्दिष्ट की जाने वाली तारीख उस तारीख से, जिसको प्रस्थापित नियमों का प्रारूप प्राकशित हुआ, [पैंतालीस दिनट से अन्यून की नहीं होगी ।
[(2) राज्य सरकार द्वारा इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र, राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा ।
116. अधिनियम का सरकारी कारखानों पर लागू होना-जब तक अन्यथा उपबंधित न हो, यह अधिनियम केन्द्रीय या किसी भी राज्य सरकार के कारखानों को लागू होगा ।
117. इस अधिनियम के अधीन कार्य करने वाले व्यक्तियों को संरक्षण-इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी व्यक्ति के विरुद्ध न होगी ।
118. जानकारी प्रकट करने पर निर्बन्धन-(1) कोई निरीक्षक, सेवा में होते हुए या सेवा छोड़ने के पश्चात् किसी ऐसी जानकारी को, जो किसी विनिर्माण या वाणिज्यिक कारबार या किसी कार्यकरण प्रक्रिया के सम्बन्ध में हो और जिसका उसे अपने पदीय कर्तव्यों के अनुक्रम में ज्ञान हुआ हो इस अधिनियम के निष्पादन के सम्बन्ध में या इसके प्रयोजन के लिए प्रकट करने से अन्यथा प्रकट नहीं करेगा ।
(2) उपधारा (2) में की कोई बात जानकारी के ऐसे प्रकटीकरण को लागू न होगी जो ऐसे कारबार या प्रक्रिया के स्वामी की लिखित पूर्व सम्मत्ति से या इस अधिनियम के अनुसरण में किसी विधिक कार्यवाही के (जिसके अन्तर्गत माध्यस्थम् भी है) या चाहे इस अधिनियम के अनुसरण में या अन्यथा की जाने वाली किन्हीं दाण्डिक कार्यवाहियों के प्रयोजनों के लिए या पूर्वोक्त जैसी कार्यवाहियों की किसी रिपोर्ट के प्रयोजनों के लिए किया गया है ।
(3) यदि कोई निरीक्षक उपधारा (1) के उपबन्धों का उल्लंघन करेगा तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा ।
[118क. जानकारी प्रकट करने पर निर्बन्धन-(1) प्रत्येक निरीक्षक इस अधिनियम के किसी उपबंध के भंग की बाबत उसकी जानकारी में लाई गई किसी शिकायत के स्रोत को गुप्त रखेगा ।
(2) कोई निरीक्षक, इस अधिनियम के अधीन निरीक्षण करने के दौरान अधिष्ठाता, प्रबंधक या उसके प्रतिनिधि को यह प्रकट नहीं करेगा कि शिकायत मिलने के अनुसरण में निरीक्षण किया गया है :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात ऐसी किसी मामले को लागू नहीं होगी जहां शिकायत करने वाले व्यक्ति ने अपने नाम प्रकट करने की सहमति दे दी हैं ।]
[119. 1970 के अधिनियम 37 में किसी बात के होते हुए भी अधिनियम का प्रभावी होना-इस अधिनियम के उपबन्ध ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) अधिनियम, 1970 [या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि] में, उनसे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे ।]
120. निरसन और व्यावृत्ति-इस धारा से संलग्न सारणी में गई अधिनियमितियां एतद्द्वारा निरसित की जाती है :
परन्तु उक्त अधिनियमितियों के अधीन की गई कोई बात, जो यदि यह अधिनियम तब प्रवृत्त होता तो इसके अधीन की जा सकती, इस अधिनियम के अधीन की गई समझी जाएगी ।
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