साधारण , धन और वित्त , विधेयक सम्बन्धी प्रावधानो की
साधारण , धन और वित्त , विधेयक सम्बन्धी प्रावधानो की :-
-:रूपरेखा:-
1. प्रस्तावना
2. विधेयक का वर्गीकरण
a) साधारण विधेयक
b) धन विधेयक
c) वित्त विधेयक
d) संविधान संशोधन विधेयक
3. साधारण बिल और यह प्रक्रिया है
4. धन विधेयक पारित करने के लिए प्रक्रिया
5. संशोधन विधेयक और पारित करने के लिए प्रक्रिया
2. विधेयक का वर्गीकरण :- संसद मे प्रस्तुत विधेयको
को निम्न चार श्रेणियो मे वर्गीकृत
किया जा सकता है।
1. साधारण विधेयक
2. धन विधेयक
3. वित्त विधेयक
4. संविधान
संशोधन विधेयक
1. साधारण
विधेयक :- वित्तीय विषयो के अलावा
अन्य सभी विशयो से सम्बन्ध विधेयक साधारण विधेयक कहलाते है।
2. धन विधेयक :- ये विधेयक वित्तीय विषयो तथा कररोपण
लोक व्यय आदि से सम्बन्धित होते है
3. वित्त विधेयक :- ये विधेयक भी वित्तीय विषयो से सम्बन्धित होते है परन्तु धन विधेयक
से विभिन्न होते है
4. संविधान संशोधन विधेयक :- ये विधेयक संविधन
के उपबन्धो में संविधान से सम्बन्धित होते है ।
संविधान मे सभी चारो
प्राकार के विधेयको के सम्बन्ध में
अलग – अलग प्रकार की प्रक्रिया विहित की
गयी है।
·
साधारण विधेयक :- भारतीय
संविधान के अनुच्छेद 107 के अनुसार साधारण विधेयक संसद के किसी भी सदन में पेश
किया जा सकता है जब कोई विधेयक किसी क्रेन्दीय मंत्री द्वारा पेश किया जाता है तब वह
सरकारी विधेयक कहलाता है अन्य संसद सदस्यो द्वारा प्रस्तुत विधयक व्यक्तिगत कहलाता है
सदन मे प्रस्तुत किया गया है विधेयक संसद
के प्रत्येक सदन मे तीन बार भेजा जाता है जिसे विधेयक का वचन कहते है
प्रत्येक
साधारण विधेयक संसद में निम्न पाँच चरणो
से गुजरता है
1. प्रथम वाचन
2. व्दितीय वाचन
3. तृतीय वाचन
4. दुसरे सदन में विधेयक
5. राष्ट्पति की स्वीकृती
प्रथम वाचन :-
यह विधेयक सदन की अनुमति से मेश किया
जाता है इस चरण में
विधेयक पर किसी प्रकार की चर्चा नही होती।
प्रस्तुतकर्ता
इस विधेयक का शीषर्क एवं इसका उददेश्य
बताता है।
व्दितीय वाचन :- इस चरण में विधेयक की न केवल सामान्य
बल्कि विस्तृत समीक्षा की जाती है इस चरण में विधेयक
को अंतिम रूप प्रदान किया गया है आवश्यक होने
पर उसमे संशोधन भी किये जा सकते है। फिर मतदान होता है वास्तव में इस चरण के तीन उप- चरण होते है जो इस प्रकार है
1) साधारण
बहस की अवस्था
2) समिति अवस्था
3) विचार – विमर्श की अवस्था
तृतीय वाचन :- तृतीय वाचन एक औपचारिक मात्र होता है इसमे विधेयको
पर कोई खास चर्चा अथवा विचार विमर्श नही होता है इस चरण मे केवल विधेयक को स्वीकार या अस्वीकार करने के सम्बन्ध
मे चर्चा होती है
4) दुसरे सदन में विधेयक अनु. 108 :- एक सदन से पारित
होने के बाद दंसरे सदन मे ीाी विधेयक का प्रथम द्वितीय व तृतीय पाठन होता है
इस सम्गन्ध मे दसरे सदन के समक्ष निम्न चार विकल्प होते
है
1) 1; यह विधेयक को उसी रूप मे पारित कर प्रथम सदन को
भेज सकता है
2) 2.यह विधेयक को संशेधन के साथ पारित करके प्रथम सदन
को पुन: विचारार्थ भेज सकता है
3) 3.यह विधेयक को अस्वीकार कर सकता है
4) 4. यह विधेयक पर किसी प्रकार
की कार्यवाहिक न करके उसे लम्बित कर सकती है
यदि दुसरा सदन किसी प्रकार के संशोधनो के साथ विधेयक को पारित कर सकता है या प्रथम सदन उन संशोधनो
को स्वीकार कर लेता है तो विधेयक दोनो सदनो
द्वार पारित समझा जाता है
5) 5. राष्ट्पति
की स्वीकृती:- संसद के दोनो सदनो द्वारा पारित विधेयक राष्ट्पति
की स्वीकृती के लिए भेजा जाता है इस समय राष्टपति
के सक्षम तीन प्रकार के विकल्प होते है
1) 1)वह विधेयक को स्वीकृती दे सकता है
2) 2) वह स्वीकृति देने हेतु विधेयक को रोक सकता है
3) 3) वह पुनर्विचार हेतु विधेयक को सदन को वापस लौटा सकता है
यदि राष्ट्पति विधेयक को स्वीकृती दे देता है
तो यह अधिनियम बन जाता है लेकिन यदि राष्ट्पित इसे अस्वीकार कर देता है तो यह निरस्त
या समाप्त हो जाता है
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धन विधेयक :- अनुच्छेद 110 भारतीय संविधान के अनु. (110(1))
मे धन विधेयक की परिभाषा दी गयी है।
1) किसी कर का अधिरोपण उत्सादन परिवर्तन परिहार
या विनियमन ।
2) क्रेन्दीय सरकार द्वारा उधार लिये गये धन का
विनियमन
3) भारत की संचित निधि पर भारित किसी व्यय की
उदघोषणा या इस प्रकार के किसी व्यय की राशि में वृध्दि ।
4) भारत की संचित निधि राशि से धन का विनियोग ।
5) भारत की संचित निधि में धन या आकस्मिकता निधि
की अभिरक्षा ऐसी किसी में धन जमा करना या उसमे से धन निकालना ।
6) भारत की संचित निधि या लोक लेखे में किसी
प्रकार से धन की प्रप्ति या अभिरक्षा
या इनसेव्यय या इनका केन्द्र या
राज्य की अभिरक्षा या इनसे व्यय या इनका के्न्द्र या राज्य
की निधियो का लेखा परीक्षण या
7) उपरोक्त विनिर्दिष्ट किसी विषय का आनुंषगिक कोई विषय ।
यघपि कोई विधेयक केवल निम्न कारणो से धन
विधेयक नही माना जायेगा कि वह
यघपि कोई विधेयक केवल निम्न कारणो से धन
विधेयक नही माना जायेगा कि वह
1) जुर्माने या अन्य धनीय शास्तियो का अधिरोपण
करता है ।
2) अनुज्ञप्तियो के लिए फीसो या
कि गई सेवाओ के लिए फीसो की मांग करता है ।
3) किसी स्थानीय प्राधिकारी या
निकाय द्वारा स्थानिय प्रयोजनोके लिए किसी कर के
अधिरोपण उन्सादन परिहार परिवर्तन या विनियमनका उपबन्ध करता है
धन विधेयक के सम्बन्ध मे लोकसभा के अध्यक्ष
का निर्णय अंतिम निर्णय होता है उसके निर्णय को किसी न्यायालय संसद या राष्ट्पति
द्वाराचुनौती नही दी जा सकती जब कोई धन
विधेयक राष्ट्पति के पास या राज्यसभा के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है तो
लोकसभा अध्यक्ष के हस्ताखर सहित यह
प्रमाण अंकित रहेगा की वह धन विधेयक है
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धन विधेयको को
पारित करने की विशेष प्रक्रिया :-
अनुच्छेद 109
संविधान मे संसद द्वारा धन विधेयक पारित करने के सम्बन्ध एक विशेश प्रक्रिया
विहित है
अनु. 109 धन विधेयक को पारित करने की विशेष प्रकिया विहित है धन विधेयक केवल लोकसभा मे ही
पेश किया जा सकता है वह राज्यसभा मे पेश नही किया जा सकता है कोई धन विधेयक राष्ट्पति
की सिफारिश के बिना लोकसभा में प्रस्तावित नही किया जा सकता इस प्रकार से विधायक
को सरकारी विधेयक माना जाता है तथा इसे केवल मंत्री ही प्रस्तुत कर सकते है
धन विधेयक लोकसभा द्वारा पारित किये जाने के पश्चात राज्यसभा की उसकी सिफारिश कर
सकती है राज्यसभा को अपनी सिफारिश के लिए भेजा जाता है राज्यसभा के पास धन
विधेयक के सम्बन्ध में प्रतिबन्धित शाक्तियॉ है।
राज्यसभा धन
विधेयक को अधिकतम 14 दिन तक रोक सकती है – अनु.- 109(2)
यह धन विधेयक को अस्वीकृती या संशोधित कर नही सकती है यह केवल सिफारिश
कर सकती है राज्यसभा को अपनी सिफारिश के
साथ धन विधेयक को 14 दिनो के अन्दर लोकसभा को वापस करना होता है
अनु .
(109) के खण्ड (3 ओर 4) के अनुसार –
यदि लोकसभा राज्यसभा कि किसी
सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तब इस संशोधित विधेयक को दोनो सदनो द्वारा पारित
समझा जाता है
लेकिन
यदि लोकसभा किसी प्रकार की सिफारिश को नही मानती है तो फिर इसे मूल रूप से दोनो
सदनो द्वारा पारित समझा जाता है जिसमें वह लोकसभा द्वारा पारित किया गया है
अनुच्छेद
:- (111) के अन्तर्गत प्रक्रिया –
जब कोई
विधेयक संसद के दोनो सदनो द्वारा पारित कर दिया गया है तव वह राष्ट्पति के समक्ष
प्रस्तुत किया जाता है तो वह या तो इस पर
अपनी स्वीकृती दे देता है या फिर इसे रोककर रख सकता है लेकिन वह किसी भी दशा मे
इसे विचार के लिए वापस नही भेज सकता है सामान्यता लोकसभा मे प्रस्तुत करने से
पहले जब राष्ट्पति की सहमति ली जाती है तो यह माना जाता है कि राष्ट्पति की
सहमति ली जाती है तो यह माना जाता है कि
राष्ट्पतिइससे सहमत हे तथा वे इस पर सहमति दे भी देते है।
इससे यह स्पष्ट है कि राष्ट्पति धन विधेयक
पर अनुमति देने के लिए बाध्य है ।
5. वित्त विधेयक और पारित करने के लिए प्रक्रिया :-
साधारणतया वित्त विधेयक उसे कहते है या उस
विधेयक को कहते है जो वित्तीय मामलो जैसे राजस्व या व्यय से सम्बन्धित होता है
उसमें आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नये प्रकार के कर लगाने या कर मे संशोधन आदि
से सम्बन्धित विषय शामिल होते है
- वित्त विधेयक निम्न तीन प्रकार
के होते है ।
1. धन विधेयक – अनुच्छेद (110)
2. वित्त विधेयक -1 - अनुच्छेद
(117(1))
3. वित्त विधेयक – 2 - अनुच्छेद
(117(3))
इस वर्गीकरण के अनुसार सभी धन
विधेयक वित्त विधेयको की श्रेणी मे आते है यघपि सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नही
होते है केवल वे वित्त विधेयक ही धन विधेयक होते है जिनका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद (110) में
किया गया है ।
वित्त विधेयक :- एक वित्त विधेयक (1) वह विधेयक है जिसमें
अनुच्छेद (110) मे उल्लेखित सभी मामले होते है इसके अलावा अन्य आय मामले भी
जैसे एक विधेयक समे ऋण सम्बन्धी खण्ड हो लेकिनवह विशिष्ट ऋण से सम्बन्धन हो
वित्त विधेयक – 1 दो रूपो मे धन विधेेेयक के समान है
अ) दोनो लोकसभा में पेश किये जोते है
ब) दोनो राष्ट्पति की सहमति के बाद पेश किए जाते
है ।
अन्य सभी मामाले मे एक वित्त विधेयक (1) वह विधेयक
है जिसे उसी प्रकार व्यवहत किया जाता है । जैसे कि साधारण विधेयक ।
वित्त विधेयक (2) :- एक वित्त विधेयक (2) मे भारत
की संचित निधि पर भारित व्यय सम्बन्धी उपबन्ध
होते है लेकिन इसमे वह कोई इसमे वह कोई मामला
नही होता जिसका अनूच्छेद (110) मे होता है इसे साधारण विधेयक की तरह प्रयोग किया जाता
है तथा इसके लिए भी वह प्रक्रिया अपनायी जाती है जो साधारण विधेयक के लिए अपनायी जाती
है
*प्रक्रिया :- भारतीय संविधान मे यह स्पष्ट किया
गया है कि वित्त विधेयक को केवल लोकसभा मे ही प्रस्तुत किया जा सकता है कोई भी वित्त
विधेयक राष्ट्पति की सिफारिश के बिना लोकसभा
में प्रस्तुत किये जाने के पश्चात वित्त विधेयक के सम्बन्ध मे निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है
1. लोकसभा
द्वारा पारित होने के पश्चात वित्त विधेयक राज्यसभा मे उसकी सिफारिश के लिए भेज
दिया जाता है राज्यसभा को वित्त विधेयक प्राप्त होने के 14 दिनो के अन्दर लोकसभा को वापिस कर देनी चाहिए । लोकसभा
राज्यसभा द्वारा की गई सिफारिशो को स्वीकार
या अस्वीकार करने का अधिकार का अधिकार रखती है
2. यदि लोकसभा राज्यसभा की सिफारिसो मे से किसी को स्वीकार कर लेती है तो वह वित्त
विधेयक दोनो सदनो से पारित समझा जाता है यदि
लाकसभा राज्य सभा की सिफारिशो मे से किसी भी सिफारिशो को स्वीकार नही करे तो वित्त
विधेयक उसी रूप दोनो सदनो द्वारा पारित समझा जाएगा
3. यदि राज्यसभा 14 दिन के भीतर वित्त विधेयक को
वापस नही करती है तो उक्त अवधि की समाप्ति पर वह दोनेा सदनो द्वारा उसी रूप मे पारित समझा
जायेगा जिसमे कि लोकसभा ने उसको पारित किया था इस प्रकार राज्यसभा वित्त विधेयक को
अधिक से 14 दिनो तक रोक सकती है ।
4. दोनो सदनो मे पारित होने के पश्चात वित्त विधेयक
राष्ट्पति के समक्ष उसकी अनुमति के लिए पेश किया जाता है क्योकि कोई भी विधेयक राष्ट्पति
की अनुमति के बिना अधिनियम नही बनता है
5. राष्ट्पति वित्त विधेयक को सदनो को पुनर्विचार
के लिए नही लौटा सकता है वह वित्त विधेयक पर वह अपनी अनुमति देने के लिए बाध्य है।
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