लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधनियम, 2020 ( Protection of Children from Sexual Offences Rules, 2020 )
-:लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधनियम, 2012:-
(2012 का 32) की धारा 45 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित नियम बनाती है,
1.(1) संक्षिप्त नाम और प्रारंभ -
इन नियमों का संक्षिप्त नाम लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम, 2020 है।
(2) ये नियम राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2. परिभाषाएं- (1) इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो,
(क) "अधिनियम" से लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (2012 का 32) अभिप्रेत है;
(ख) "जिला बालक संरक्षण एकक" (डीसीपीयू) से किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 (2016 का 2) की धारा 106 के अधीन राज्य सरकार द्वारा स्थापित जिला बालक संरक्षण एकक अभिप्रेत है।
(ग) "विशेषज्ञ" से अभिप्रेत मानसिक स्वास्थ्य, चिकित्सा, बाल विकास या अन्य सुसंगत विषय में प्रशिक्षित व्यक्ति, जिसकी संप्रेषण क्षमता अभिघात, नि:शक्त्ता या किसी अन्य भेद्यता से प्रभावित ऐसे बालकों के साथ संप्रेषण को सुकर बनाने की आवश्यकता है।
(घ) "विशेष शिक्षक" से सीखने और संवाद की चुनौतियों, भावनात्मक और व्यावहारिक मुद्दों, शारीरिक नि:शक्तताओं और विकासपरक मुद्दों सहित तरीकों से बालक की व्यक्तिगत योग्यताओं और आवश्यकताओं का समाधान करके नि:शक्त बालकों से संप्रेषण करने में प्रशिक्षित व्यक्ति अभिप्रेत है।
स्पष्टीकरण- इस खंड के प्रयोजनों के लिए नि:शक्तता पद का वही अर्थ होगा जैसा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (2016 का 49) की धारा 2 के खंड
(ध) में परिभाषित किया गया है;
(ङ) "बालक के संप्रेषण के तरीके से परिचित व्यक्ति" का अर्थ है बालक के माता-पिता या परिवार का सदस्य या बालक के साझा परिवार का सदस्य या कोई भी व्यक्ति जिसमें बालक विश्वास और भरोसा रखता है, जो उस बालक के संप्रेषण के विशिष्ट तरीके से परिचित है, और जिनकी उपस्थिति बालक के साथ अधिक प्रभावी संप्रेषण के लिए आवश्यक होती है या हो सकती है;
(च) "सहायक व्यक्ति" से नियम 4 के उप-नियम (7) के अनुसार बालक कल्याण समिति द्वारा जांच और परीक्षण की प्रक्रिया के माध्यम से बालक को सहायता प्रदान करने के लिए नियत व्यक्ति, या अधिनियम के अधीन अपराध के संबंध में पूर्व-परीक्षण या परीक्षण प्रक्रिया में बालक की सहायता करने वाला कोई अन्य व्यक्ति अभिप्रेत है;
(2) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और इन नियमों में परिभाषित नहीं हैं, किंतु अधिनियम में परिभाषित हैं, वहीं अर्थ होंगे जो अधिनियम में है।
3. जानकारी का सृजन और क्षमता निर्माण -
(1) केंद्रीय सरकार, या जैसा भी मामला हो, राज्य सरकार बालकों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए आयु-अनुकूल शैक्षिक सामग्री और पाठ्यक्रम तैयार करेगी, जिसमें निम्नलिखित शामिल है
(i) उनकी शारीरिक और आभासी पहचान की सुरक्षा; और उनकी भावनात्मक तथा मानसिक भलाई की रक्षा करने के लिए उपाय;
(ii) लैंगिक अपराधों से निवारण और संरक्षण;
(iii) चाइल्ड हेल्पलाइन -1098 सेवाओं सहित रिपोर्टिंग तंत्र;
(iv) अधिनियम के अधीन अपराधों की प्रभावी निवारण के लिए लैंगिक संवेदनशीलता, लैंगिक समानता और लैंगिक साम्या को अंतरनिविष्ट करना।
(2) सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे पंचायत भवनों, सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और महाविद्यालयों, बस टर्मिनलों, रेलवे स्टेशनों, सभा स्थलों, हवाई अड्डों, टैक्सी स्टैंडों, सिनेमा हॉलों और ऐसे अन्य प्रमुख स्थानों पर संबंधित सरकारों द्वारा उपयुक्त सामग्री और सूचना प्रसारित की जा सकेगी तथा इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसे आभासी स्थानों में उपयुक्त रूप में भी प्रसारित की जा सकेगी।
(3) केंद्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार संभावित जोखिम और भेद्यताओं, दुर्व्यवहार के संकेतों, अधिनियम के अधीन बालकों के अधिकारों के बारे में जानकारी के साथ ही बालकों के लिए उपलब्ध सेवाओं के उपयोग के बारे में जानकारी फैलाने के लिए सभी उपयुक्त उपाय करेगी।
(4) बालकों के आवास वाली या स्कूलों, क्रेचों, खेल अकादमियों या बालकों के लिए किसी अन्य सुविधा सहित बालकों के नियमित संपर्क में आने वाली किसी भी संस्था को बालकों के संपर्क में आने वाले प्रत्येक कर्मचारी, शिक्षण या गैर-शिक्षण, नियमित या संविदात्मक, या ऐसे संस्थान का कर्मचारी होने के नाते किसी अन्य व्यक्ति की समयसमय पर पुलिस सत्यापन और पृष्ठभूमि की जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। ऐसे संस्थान यह भी सुनिश्चित करेंगे कि बालक सुरक्षा और संरक्षण पर उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए आवधिक प्रशिक्षण आयोजित किया जाए।
(5) संबंधित सरकारें बालकों के विरूद्ध हिंसा के प्रति शून्य-सहिष्णुता के सिद्धांत के आधार पर एक बालक संरक्षण नीति तैयार करेंगी, जिसका बालकों के लिए कार्य करने वाले या संपर्क में आने वाले सभी संस्थानों, संगठनों या किसी अन्य एजेंसी द्वारा पालन किया जाएगा।
(6) केंद्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार बालकों के संपर्क में आने वाले सभी व्यक्तियों को चाहे वे नियमित हों या संविदात्मक, समय-समय पर बालक सुरक्षा और संरक्षण के बारे में जागरूक करने और अधिनियम के अधीन उनकी जिम्मेदारी के बारे में शिक्षित करने के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम, संवेदीकरण कार्यशालाएं और पुनश्चर्या पाठ्यक्रम सहित प्रशिक्षण प्रदान करेगी। पुलिस कार्मिकों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की संबंधित भूमिकाओं में उनकी क्षमता के निर्माण हेतु नियमित आधार पर अभिविन्यास कार्यक्रम और गहन पाठ्यक्रम भी आयोजित किए जा सकेंगे।
4. बालक की देखभाल और संरक्षण के बारे में प्रक्रिया -
(1) जहां किसी विशेष किशोर पुलिस एकक (इसे इसमें इसके पश्चात् "एसजेपीयू" कहा गया है) या स्थानीय पुलिस को अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (1) के अधीन बालक सहित किसी भी व्यक्ति से सूचना प्राप्त होती है, ऐसी सूचना की रिपोर्ट प्राप्त करने वाली एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस, रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति को तुरंत निम्नलिखित ब्यौरा प्रकटित करेगी:
(i) अपना नाम और पदनाम;
(ii) पता और टेलीफोन नंबर;
(iii) सूचना प्राप्त करने वाले अधिकारी के पर्यवेक्षक अधिकारी का नाम, पदनाम और संपर्क का ब्यौरा।
(2) यदि अधिनियम के उपबंधों के अधीन अपराध होने के बारे में ऐसी कोई सूचना चाइल्ड हेल्पलाइन-1098 को प्राप्त होती है, तो चाइल्ड हेल्पलाइन ऐसी सूचना की तुरंत एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करेगी।
(3) जब किसी एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस, जैसा भी मामला हो, को अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (1) के अधीन अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार कोई अपराध जो किया गया हो या करने का प्रयत्न किया गया हो या किए जाने की संभावना हो, के संबंध में सूचना प्राप्त होती है, तो संबंधित प्राधिकारी करेगा, जहां लागू हो :
(क) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 154 के उपबंधों के अनुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट रिकॉर्ड और दर्ज करने की कार्यवाही, और ऐसी रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति को उक्त संहिता की धारा 154 की उप-धारा (2) के अनुसार उसकी एक प्रति नि:शुल्क प्रतिलिपि देना;
(ख) जहां बालक को अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (5) या इन नियमों के अधीन आपातकालीन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो, तो नियम 6 के अनुसार, बालक की ऐसी देखभाल की पहुंच की व्यवस्था करना;
(ग) अधिनियम की धारा 27 के अनुसार बालक को चिकित्सीय परीक्षा हेतु अस्पताल ले जाना;
(घ) यह सुनिश्चित करना कि फोरेंसिक परीक्षणों के प्रयोजनों के लिए एकत्र किए गए नमूनों को तुरंत फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा जाए;
(ङ) बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है को परामर्श सहित सहायक सेवाओं की उपलब्धता की सूचना देना और इन सेवाओं और अनुतोष प्रदान करने वाले लोगों से संपर्क करने में उनकी सहायता करना;
(च) बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है को अधिनियम की धारा 40 के अनुसार बालक के विधिक सलाह और वकील के अधिकार तथा वकील द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने के अधिकार के बारे में सूचित करना।
(4) जहां एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (1) के अधीन सूचना प्राप्त होती है और उसे यह युक्तियुक्त आशंका है कि अपराध बालक के या उसके साझे घर में रहने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया या प्रयत्न किया गया या किए जाने की संभावना है, या बालक किसी बाल देखरेख संस्थान में और माता-पिता के बिना रह रहा है, या बालक बेघर या माता-पिता के बिना पाया जाता है, तो संबंधित एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस ऐसी रिपोर्ट प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर बालक को संबंधित बालक कल्याण समिति (इसे इसमें इसके पश्चात "सीडब्ल्यूसी" कहा गया है) के समक्ष लिखित कारणों में कि क्या बालक को अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा
(5) के अधीन देखभाल और सुरक्षा की अपेक्षा है और सीडब्ल्यूसी द्वारा विस्तृत आकलन के अनुरोध सहित प्रस्तुत करेगी। (5) उप-नियम (3) के अधीन कोई रिपोर्ट प्राप्त होने पर, संबंधित सीडब्ल्यूसी किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (2016 का 2) की धारा 31 की उप-धारा (1) के अधीन अपनी शक्तियों के अनुसार, तीन दिनों के भीतर, या तो स्वयं या किसी सामाजिक कार्यकर्ता की सहायता से, यह निर्धारित करेगा, कि क्या बालक को बालक के परिवार या साझा घर की अभिरक्षा से बाहर निकालना और बालक गृह या आश्रय गृह में रखा जाना आवश्यक है।
(6) उप-नियम (4) के अधीन निर्धारण करते समय, सीडब्ल्यूसी निम्नलिखित विचारों के संबंध में बालक के सर्वोत्तम हितों के साथ मामले पर बालक द्वारा व्यक्त की गई किसी प्राथमिकता या राय पर को ध्यान में रखेगा, अर्थात्: -
(i) माता-पिता, या दोनों में से एक, या कोई अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है, की बालक को चिकित्सा जरूरतों और परामर्श सहित तत्काल देखभाल और संरक्षण आवश्यकता को प्रदान करने की क्षमता;
(ii) बालक के माता-पिता, परिवार और विस्तारित परिवार की देखभाल में रहने और उनके साथ संबंध बनाए रखने की आवश्यकता;
(iii) बालक की उम्र और परिपक्वता का स्तर, लिंग और सामाजिक तथा आर्थिक पृष्ठभूमि;
(iv) बालक की नि:शक्तता, यदि कोई हो;
(v) कोई पुरानी बीमारी, जिससे बालक पीड़ित हो सकता है;
(vi) बालक या बालक के परिवार के सदस्य सहित पारिवारिक हिंसा का कोई इतिहास; और,
(vii) कोई अन्य सुसंगत कारक जो बालक के सर्वोत्तम हितों पर असर डाल सकते हैं:
परंतु ऐसा निर्धारण करने से पूर्व, इस तरह से जांच की जाएगी कि बालक को अनावश्यक रूप से चोट या असुविधा न पहुंचे।
(7) बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या कोई अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है और जिसके साथ बालक रह रहा है, जो ऐसे निर्धारण से प्रभावित होता है, को सूचित किया जाएगा कि ऐसे निर्धारण पर विचार किया जा रहा है।
(8) सीडब्ल्यूसी, अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (6) के अधीन रिपोर्ट प्राप्त करने पर या उप-नियम (5) के अधीन किए गए उसके निर्धारण के आधार पर, बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या वह व्यक्ति जिस पर बालक का भरोसा और विश्वास है की सहमति से जांच और परीक्षण की प्रक्रिया के दौरान बालक को हरसंभव तरीके से सहायता प्रदान करने के लिए एक सहायक व्यक्ति उपलब्ध करा सकता है, और बालक को एक सहायक व्यक्ति उपलब्ध कराने के बारे में एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को तुरंत सूचित करेगा।
(9) सहायक व्यक्ति हर समय उस बालक से संबंधित सभी सूचनाओं, जिन तक उसकी पहुंच है की गोपनीयता बनाए रखेगा और वह बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है, को उपलब्ध सहायता, न्यायिक प्रक्रियाओं और संभावित परिणामों सहित मामले की कार्यवाही के बारे में सूचित करेगा। सहायक व्यक्ति बालक को न्यायिक प्रक्रिया में सहायक व्यक्ति की भूमिका के बारे में भी सूचित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि अभियुक्त के संबंध में बालक की सुरक्षा के बारे में बालक को होने वाली किसी भी चिंता और सहायक व्यक्ति द्वारा बालक की गवाही देने के तरीके से संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जाए।
(10) जहां बालक को कोई सहायक व्यक्ति उपलब्ध कराया जाता है, तो एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस ऐसा दायित्व सौंपने के 24 घंटे के भीतर विशेष अदालत को लिखित में सूचित करेगी।
(11) बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या वह व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है, के अनुरोध पर सीडब्ल्यूसी द्वारा सहायक व्यक्ति की सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं, और समाप्ति का अनुरोध करने वाले बालक को ऐसे अनुरोध का कोई कारण बताना आवश्यक नहीं होगा। विशेष अदालत को ऐसी सूचना लिखित में दी जाएगी।
(12) सीडब्ल्यूसी जांच के पूरा होने तक सहायक व्यक्ति से शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित पारिवारिक स्थिति और आघात से बचाव की दिशा में प्रगति सहित बालक की स्थिति और देखभाल के संबंध में मासिक रिपोर्ट मांगेगा; मनोवैज्ञानिक देखभाल और परामर्श सहित बालक को आवश्यकता-आधारित निरंतर चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए, सहायक व्यक्ति के समन्वय से, चिकित्सा देखभाल सुविधाओं के साथ संलग्न करेगा; और बालक की शिक्षा को पुन: चालू करना, या जारी रखना, या अपेक्षित होने पर बालक को नए स्कूल में शिफ्ट करना सुनिश्चित करेगा।
(13) बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिसमें बालक को भरोसा और विश्वास है, और सहायक व्यक्ति नियुक्त किए जाने पर ऐसे व्यक्ति को, अभियुक्त की गिरफ्तारी, फाईल आवेदनों और न्यायालय की अन्य कार्यवाहियों सहित, घटनाक्रम के बारे में सूचित करना एसजेपीयू, या स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी होगी।
(14) एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस भी बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है को अधिनियम या तत्समय लागू किसी अन्य विधि के अधीन उपलब्ध उनकी हकदारियों और सेवाओं के बारे में प्ररूप-क के अनुसार सूचित करेगी। यह प्रथम सूचना रिपोर्ट रजिस्ट्रीकृत करने के 24 घंटों के भीतर प्ररूप-ख में प्रारंभिक निर्धारण रिपोर्ट को पूरा करेगा और इसे सीडब्ल्यूसी को प्रस्तुत करेगी।
(15) बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है. को एसजेपीयू, स्थानीय पुलिस, या सहायक व्यक्ति द्वारा प्रदान की जाने वाली सूचना सम्मिलित है, किंतु निम्नलिखित तक सीमित नहीं है :
(i) सार्वजनिक और निजी आपातकालीन और संकटकालीन सेवाओं की उपलब्धता;
(ii) आपराधिक अभियोजन में शामिल प्रक्रियात्मक कदम;
(iii) पीड़ित के प्रतिकर लाभों की उपलब्धता;
(iv) पीड़ित को सूचित करने के औचित्य और अंवेषण में हस्तक्षेप नहीं करेगा, के विस्तार तक अपराध के अंवेषण की प्रास्थिति;
(v) संदिग्ध अपराधी की गिरफ्तारी;
(vi) संदिग्ध अपराधी के विरूद्ध आरोप फाईल करना;
(vii) न्यायालय की कार्यवाहियों की अनुसूची जिसमें बालक का या तो उपस्थित होना अपेक्षित है या तो वह भाग लेने का हकदार है;
(viii) अपराधी या संदिग्ध अपराधी की जमानत, निर्मुक्ति या निरोध की प्रास्थिति;
(ix) परीक्षण के पश्चात अधिमत का प्रतिपादन; और
(x) अपराधी को अधिरोपित दंडादेश।
5. दुभाषिया, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ और सहायक व्यक्ति-
(1) प्रत्येक जिले में, डीसीपीयू अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, दुभाषियों, अनुवादकों, विशेषज्ञों, विशेष शिक्षकों और सहायक व्यक्तियों के नाम, पते और अन्य संपर्क विवरणों का एक रजिस्टर रखेगा और एसजेपीयू, स्थानीय पुलिस, मजिस्ट्रेट या विशेष न्यायालय को, आवश्यक होने पर, यह रजिस्टर उपलब्ध कराया जाएगा
(2) अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (4) और धारा 26 की उप-धारा (3) और उप-धारा (4) तथा धारा 38 और नियम 4 के प्रयोजनों के लिए नियुक्त दुभाषियों, अनुवादकों, विशेष शिक्षकों, विशेषज्ञों और सहायक व्यक्तियों की योग्यता और अनुभव क्रमश: इन नियमों में इंगित किए जाएंगे।
(3) जहां एक दुभाषिया, अनुवादक, या विशेष शिक्षक डीसीपीयू द्वारा नियम (1) के अधीन रखी गई सूची से अन्यथा नियुक्त हैं, इस नियम के उप-नियम (4) और उप-नियम(5) के अधीन निर्धारित अपेक्षाओं में डीसीपीयू, विशेष न्यायालय या अन्य संबंधित प्राधिकरण की संतुष्टि के अधीन, प्रासंगिक अनुभव या औपचारिक शिक्षा या प्रशिक्षण या दुभाषिए, अनुवादक, या विशेष शिक्षक द्वारा संबंधित भाषाओं में धाराप्रवाह होने के साक्ष्य पर शिथिलता दी जा सकती है।
(4) उप-नियम (1) के अधीन नियुक्त दुभाषियों और अनुवादकों का बालक द्वारा बोली जाने वाली भाषा, बालक की मातृभाषा या स्कूल में कम से कम प्राथमिक स्कूल स्तर तक शिक्षा का माध्यम होने या दुभाषिए या अनुवादक द्वारा बालक के व्यवसाय, वृत्ति, या ऐसी भाषा बोले जाने वाले क्षेत्र में निवास के माध्यम से ऐसी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से, के साथ ही राज्य की आधिकारिक भाषा से कार्यात्मक परिचय होना चाहिए।
(5) उप-नियम (1) के अधीन रजिस्टर में प्रविष्टि किए गए संकेत भाषी दुभाषियों, विशेष शिक्षकों और विशेषज्ञों के पास भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय या मान्यताप्राप्त संस्थान से संकेत भाषा या विशेष शिक्षा में या विशेषज्ञ के मामले में सुसंगत विषय में प्रासंगिक योग्यता होनी चाहिए।
(6) सहायक व्यक्ति बालक अधिकारों या बालक संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति या संगठन, या बालक की अभिरक्षा वाले बालक गृह या आश्रय गृह का अधिकारी या डीसीपीयू द्वारा नियुक्त व्यक्ति हो सकता है:
परंतु इन नियमों की कोई बात बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक या अन्य व्यक्ति जिस पर बालक को भरोसा और विश्वास है को अधिनियम के अधीन कार्यवाही के लिए किसी व्यक्ति या संगठन की सहायता लेने से नहीं रोका जाएगा।
(7) दुभाषिए, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ या सहयोगी व्यक्ति जिसका नाम उप-नियम (1) के अधीन बनाए गए रजिस्टर में या अन्यथा नामांकित है, की सेवाओं के लिए भुगतान राज्य सरकार द्वारा किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (2016 का 2) की धारा 105 के अधीन रखे गए निधियों या डीसीपीयू के पास रखे गए अन्य निधियों से किया जाएगा।
(8) इस अधिनियम के अधीन बालक की सहायता के प्रयोजन से नियुक्त किसी दुभाषिए, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ या सहयोगी व्यक्ति को, राज्य सरकार द्वारा विहित फीस का भुगतान किया जाएगा किंतु जो न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) के अधीन एक कुशल कर्मकार के लिए विहित रकम से कम नहीं होगा।
(9) अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (1) के अधीन सूचना प्राप्त होने के बाद बालक द्वारा किसी भी स्तर पर दुभाषिए, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ या सहायक व्यक्ति के लिंग के बारे में व्यक्त की गई कोई भी प्राथमिकता पर ध्यान रखा जाए, और जहां आवश्यक हो, बालक से संवाद की सुविधा के लिए ऐसे एक से अधिक व्यक्ति नियुक्त किए जा सकते हैं।
(10) दुभाषिया, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ, सहयोगी व्यक्ति या अधिनियम के प्रयोजनों से सेवाएं प्रदान करने के लिए नियुक्त किया गया है बालक के संवाद के तरीके से परिचित व्यक्ति, पूर्वाग्रह रहित और निष्पक्ष होंगे और उनके वास्तविक या कथित हित संघर्ष का खुलासा करेंगे और बिना किसी लाग लपेट के दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 282 के अनुसार पूर्ण और सटीक व्याख्या या अनुवाद प्रस्तुत करेगा।
(11) धारा 38 के अधीन कार्यवाही में, विशेष अदालत यह अभिनिश्चत करेगी कि क्या बालक पर्याप्त रूप से अदालत की भाषा बोलता है, और किसी भी दुभाषिए, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ, सहायक व्यक्ति या बालक के संवाद के तरीके से परिचित अन्य व्यक्ति, जिसे बालक के साथ संवाद को सुविधाजनक बनाने के लिए नियुक्त किया गया है, किसी हित संघर्ष में शामिल नहीं है।
(12) अधिनियम के अधीन नियुक्त कोई भी दुभाषिया, अनुवादक, विशेष शिक्षक, विशेषज्ञ या सहयोगी व्यक्ति गोपनीयता के नियमों से बाध्य होगा, जैसा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की धारा 126 के साथ पठित धारा 127 के अधीन वर्णित है।
6. चिकित्सीय सहायता और देखरेख -
(1) जब भी कोई एसजेपीयू, या स्थानीय पुलिस अधिकारी द्वारा अधिनियम की धारा 19 के अधीन यह सूचना प्राप्त की जाती है कि अधिनियम के अधीन अपराध किया गया है और उसका यह समाधान हो जाता है कि जिस बालक के खिलाफ अपराध किया गया है उसे तत्काल चिकित्सीय देखरेख और सुरक्षा की आवश्यकता है, तो जैसा भी मामला हो, वह अधिकारी या स्थानीय पुलिस, ऐसी सूचना प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर, ऐसे बालक को सबसे निकट के अस्पताल या चिकित्सीय सेवा सुविधा केन्द्र में उसके चिकित्सीय देखभाल के लिए ले जाने का प्रबंध करेगी:
परंतु यदि अधिनियम की धारा 3,5,7, या 9 के अधीन अगर अपराध किया गया हो, तो पीड़ित को आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए भेजा जाएगा।
(2) माता-पिता या संरक्षक या जिस पर बालक को विश्वास हो की उपस्थिति में आपातकालीन चिकित्सीय सेवा इस तरह प्रदान की जाएगी कि बालक की निजता सुरक्षित रहे।
(3) बालक को आपातकालीन सेवा प्रदान करने वाला कोई भी चिकित्सक, अस्पताल या अन्य चिकित्सीय सुविधा केन्द्र ऐसी सेवा प्रदान करने के पूर्व आवश्यक दस्तावेज के रूप में कानूनी या मजिस्ट्रेट की अनुमति या अन्य दस्तावेजों की मांग नहीं करेगा।
(4) सेवा प्रदान करने वाला रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक बालक की जांच करने के साथ निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करेगा:
(क) अन्य जननांग चोटों सहित कटने-फटने और चोटों के लिए उपचार, यदि कोई हो;
(ख) पहचान किए गए एसटीडी के लिए प्रोफिलैक्सिस सहित यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के संपर्क में आने का उपचार;
(ग) संक्रामक रोग विशेषज्ञों से आवश्यक परामर्श के बाद एचआईवी के लिए प्रोफिलैक्सिस सहित ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के संपर्क में आने का उपचार;
(घ) प्यूबर्टल (तरूण अवस्था प्राप्त योग्य ) बालक और उसके माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति के जिसमें बालक को भरोसा और आत्मविश्वास हो के साथ संभावित गर्भावस्था और आपातकालीन गर्भ निरोधकों के बारे में चर्चा की जानी चाहिए; और
(ड.) जब कभी आवश्यक हो, मानसिक या मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं, या अन्य परामर्श, या नशीली दवाओं की लत छुड़ाने की सेवा और कार्यक्रमों के लिए एक रेफरल या परामर्श किया जाना
चाहिए।
(5) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को बालक की स्थिति के बारे में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट दे सकता है।
(6) आपातकालीन चिकित्सीय सेवा प्रदान किए जाने के दौरान संग्रह किए गए कोई भी फॉरेंसिक प्रमाण आवश्यक रूप से अधिनियम की धारा 27 के अधीन संग्रह किए जाने चाहिए।
(7) अगर बच्ची गर्भवती पाई जाती है तो रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक उसकी सहायता करने वाले व्यक्ति को गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 और किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार विभिन्न विधिपूर्ण विकल्पों के बारे में परामर्श देगा।
(8) अगर बच्चा ड्रग्स या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन करने का शिकार पाया गया है तो बालक की नशा मुक्ति कार्यक्रम तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
(9) यदि बालक (विकलांग जन) दिव्यांग है तो दिव्यांगजन का अधिकार अधिनियम, 2016 (2016 का 49) के उपबंधों के अधीन उसकी समुचित उपाय और देखरेख की जाएगी
7. विधिक सहायता और मदद -
(1) विधिक सहायता और मदद के लिए सीडब्ल्यूसी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिसे इसमें इसके पश्चात "डीएलएस" कहा गया है) को सिफारिश करेगा।
(2) बालक को विधिक सहायता और मदद विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 (1987 का 39) के उपबंधों के अधीन प्रदान किया जाएगा।
8. विशेष राहत -
(1) विशेष राहत के लिए, भोजन, कपड़ा, परिवहन और अन्य आकस्किमक आवश्यकता, यदि हो तो, सीडब्ल्यूसी उस स्थिति में अपेक्षित आंकलित रकम के तुरंत भुगतान के लिए निम्नलिखित के अधीन सिफारिश कर सकता है :
(i) धारा 357 के अधीन डीएलएसए; या;
(ii) राज्य द्वारा उनके निपटारे के लिए रखी गई ऐसी निधि में से डीसीपीयू या;
(iii) किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और सरंक्षण) अधिनियम, 2015 (2016 का 2) के अधीन रखी गई निधि
(2) इस तरह की आकस्मिक रकम का भुगतान शीघ्र सीडब्ल्यूसी से प्राप्त सिफारिश की प्राप्ति से एक सप्ताह के भीतर किया जाएगा।
9. मुआवजा-
(1) प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) रजिस्ट्रीकृत होने के बाद किसी भी स्तर पर बालकों के राहत और पुनर्वास के लिए, विशेष न्यायालय, उचित मामलों में, स्वयं या बालकों द्वारा या उसके लिए फाईल किए गए आवेदन पर अंतरिम मुआवजे के लिए आदेश पारित कर सकता है। बालकों को भुगतान किए गए इस अंतरिम मुआवजे को अंतिम मुआवजा, यदि कोई हो तो, के साथ समंजित किया जाएगा।
(2) दोषी ठहराया जाता है, या जब मामले में अभुिक्त निर्दोष करार दिया जाता है या रिहा कर दिया जाता है, या अभियुक्त का पता नहीं चल पाता या उसकी पहचान नहीं हो पाती, और विशेष न्यायालय के विचार में अपराध के कारण बालक को हानि या चोट पहुंचा हो, तो विशेष न्यायालय, स्वयं या बालक द्वारा या उसके लिए दायर आवेदन पर मुआवजा देने की सिफारिश कर सकता है।
(3) जहां विशेष न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) की धारा 357क की उपधारा (2) और उपधारा(3) के साथ पठित, अधिनियम की धारा 33 की उपधारा (8) के अधीन निम्नलिखित सहित पीड़ित पहुंचे नुकसान या चोट से संबंधित सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखकर पीड़ित के लिए मुआवजा देने का निदेश देगा:
(i) दुर्व्यवहार का प्रकार, अपराध की गंभीरता और बालक को हुई मानसिक या शारीरिक हानि या चोट की गंभीरता;
(ii) बालक के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य या दोनों पर हुए खर्च या होने वाले संभावित चिकित्सा उपचार पर व्यय;
(iii) अपराध के परिणाम स्वरूप मानसिक आघात के कारण स्कूल से अनुपस्थिति, शारीरिक चोट, चिकित्सा उपचार, अपराध की जांच और परीक्षण, या किसी अन्य कारण सहित शैक्षिक अवसर की हानि;
(iv) अपराध के परिणाम स्वरूप रोजगार का नुकसान, मानसिक आघात, शारीरिक चोट, चिकित्सा उपचार, अपराध की जांच और परीक्षण, या किसी अन्य कारण सहित रोजगार की हानि;
(v) अपराधी का बालक से संबंध, यदि कोई हो;
(vi) क्या दुर्व्यवहार एक अलग-थलग घटना थी या क्या समय के साथ दुर्व्यवहार हुआ था;
(vii) क्या अपराध के परिणाम स्वरूप बच्ची गर्भवती हो गई;
(viii) क्या अपराध के परिणाम स्वरूप बालक यौन संचारित बीमारी (एसटीडी) के संपर्क में आया;
(ix) क्या अपराध के परिणाम स्वरूप बालक मानव इम्यूनोडिफीसिएन्सीवायरस (एचआईवी) से संपर्क में आया;
(x) अपराध के परिणाम स्वरूप बालक में आई कोई दिव्यांगता;
(xi) पुनर्वास की आवश्यकता अवधारित करने के लिए बालक की वित्तीय दशा जिसके विरूद्ध अपराध किया गया हो;
(xii) अन्य कोई भी कारक जिसे विशेष न्यायालय प्रांसगिक समझ सकता है।
(4) विशेष न्यायालय द्वारा दिए गए मुआवजा का भुगतान राज्य सरकार द्वारा पीड़ितों के लिए क्षतिपूर्ति निधि, या अन्य स्कीम या उसके द्वारा पीड़ितों को मुआवजा देने और पुनर्वास करने हेतु दंड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 357क या जहां इस तरह की स्कीम और निधि नहीं है, वहां तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन इस प्रयोजन के लिए स्थापित राज्य सरकार की निधि या स्कीम से किया जाएगा।
(5) विशेष न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की प्राप्ति के 30 दिन के भीतर राज्य सरकार मुआवजे का भुगतान करेगी।
(6) इन नियमों की कोई बात बालक या बालक के माता-पिता या ऐसा बालक जो किसी अन्य व्यक्ति पर भरोसा करता हो और उसे उस पर आत्म विश्वास है, को केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी अन्य नियमों या स्कीम के अधीन राहत की मांग के लिए आवेदन करने से नहीं रोकेगा
10. जुर्माना अधिरोपण और इसके भुगतान की प्रक्रिया-
(1) विशेष न्यायालय द्वारा अधिनियम के अधीन अधिरोपित जुर्माने का रकम जिसे पीड़ित को भुगतान किया जाना है, वास्तव में बालक को ही भुगतान हो, इसको सुनिश्चित करने के लिए सीडब्ल्यूसी डीएलएसए के साथ समन्वय करेगा।
(2) डीसीपीयू और मददगार व्यक्ति की सहायता से सीडब्ल्यूसी बैंक खाता खुलवाने की किसी भी प्रक्रिया के लिए पहचान की सबूत, आदि की सुविधा प्रदान करेगा।
11. बालक को सम्मिलित करने वाली अश्लील सामग्री की रिपोर्टिंग-
(1) कोई भी व्यक्ति जिसे बालक को सम्मिलित करने वाली कोई अश्लील सामग्री मिली है, या ऐसी किसी भी अश्लील सामग्री के बारे में जानकारी संग्रहित, वितरित, परिचालित, प्रसारित, प्रचार-प्रसार की सुविधा प्रदान करने,या प्रचारित या प्रदर्शित करने, या वितरित होने, सुगम होने या किसी भी तरीके से प्रसारित होने की सूचना मिलती है, वह एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को, या जैसा भी मामला हो, साइबर क्राइम पोर्टल पर सामग्री की रिपोर्ट करेगा और इस तरह की रिपोर्ट प्राप्त होने पर, समय-समय पर जारी किए गए सरकार के निदेशों के अनुसार एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम पोर्टल आवश्यक कार्रवाई करेगा।
(2) यदि उप-नियम (1) में वर्णित "व्यक्ति" एक "मध्यस्थ" है जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उप-धारा (1) के उपबंध (डब्ल्यू) में परिभाषित है, तो ऐसा व्यक्ति साथ में रिपोर्टिंग के अतिरिक्त, जैसा कि उप-नियम (1) में उपबंध किया गया है, ऐसी सामग्री तैयार होने के सृजन स्रोत सहित आवश्यक सामग्री को एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस, या जैसा कि मामला हो, साइबर क्राइम पोर्टल को सौंपेगा और उक्त सामग्री की प्राप्ति पर, एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम पोर्टल समय-समय पर जारी सरकार के निदेशों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेगा।
(3) रिपोर्ट में उस आकृति का विवरण शामिल होगा जिसमें उस प्लेटफॉर्म सहित ऐसी अश्लील सामग्री देखी गई थी और वह संदिग्ध आकृति जिससे सामग्री प्रदर्शित की गई थी और संदिग्ध सामग्री प्राप्त हुई थी।
(4) केन्द्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार समय-समय पर इस तरह की रिपोर्ट बनाने की प्रक्रियाओं के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के सभी प्रयास करेगी।
12. अधिनियम का कार्यान्वयन और निगरानी-
(1) बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2005 (2006 के 4) के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (जिसे इसके पश्चात् "एनसीपीसीआर" कहा गया है) या राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (जिसे इसके पश्चात् "एससीपीसीआर" कहा गया है), जैसा भी मामला हो उन्हें सौंपे गए कार्यों के अतिरिक्त अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन करने के लिए निम्नलिखित कार्य करेंगे :
(क) राज्य सरकारों द्वारा विशेष न्यायालयों की अभिहित की निगरानी;
(ख) राज्य सरकारों द्वारा विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की निगरानी;
(ग) गैर-सरकारी संगठनों, वृत्तिकों और विशेषज्ञों या बालक की सहायता करने के लिए पूर्व परीक्षण और परीक्षण चरण और इन मार्गदर्शक सिद्धांतों के उपयोग की निगरानी के लिए मनोविज्ञान, सामाजिक कार्य, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और बालकों के विकास से जुड़े संबंधित ज्ञान वाले व्यक्तियों के उपयोग के लिए राज्य सरकारों द्वारा अधिनियम की धारा 39 में वर्णित मार्गदर्शक सिद्धांतों के निरूपण की निगरानी;
(घ) अधिनियम के अधीन अपने कार्यों के प्रभावी निर्वहन के लिए केन्द्रीय और राज्य सरकारों के अधिकारियों सहित पुलिस कर्मियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल की डिजाइन तैयार करने और कार्यान्वयन की निगरानी;
(ड.) केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों द्वारा टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया सहित मीडिया के माध्यम से नियमित अंतराल पर अधिनियम के उपबंधों से संबंधित सूचना के प्रसार की निगरानी और समर्थन करना, ताकि आम लोग, बालकों के साथ-साथ उनके माता-पिता और अभिभावक अधिनियम के उपबंधों से अवगत हो सकें।
(च) सीडब्ल्यूसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले बाल यौन शोषण के किसी विशेष मामले की रिपोर्ट मंगाना।
(छ) निम्नलिखित से संबंधित जानकारी सहित अधिनियम के अधीन की प्रक्रियाओं के अधीन यौन दुर्व्यवहार के मामलों और उनके निपटान के बारे में संबंधित एजेंसियों या स्वयं से जानकारी या आंकड़ा संग्रह करना: -
(i) अधिनियम के अधीन रिपोर्ट किए गए अपराधों की संख्या और विवरण;
(ii) क्या प्रक्रियाओं में शामिल टाइमफ्रेम सहित अधिनियम और नियमों के अधीन विहित प्रक्रियाओं का पालन किया गया था;
(iii) इस अधिनियम के अधीन अपराधों के पीड़ितों की देखरेख और आपातकालीन चिकित्सा देखभाल और चिकित्सा परीक्षा की व्यवस्था सहित सुरक्षा की व्यवस्था का विवरण, और,
(iv) किसी भी विशिष्ट मामले में संबंधित सीडब्ल्यूसी द्वारा बालकों की देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता के आकलन के बारे में विवरण;
(ज) अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन का आकलन करने के लिए एकत्रित जानकारी का उपयोग करना। अधिनियम की निगरानी की रिपोर्ट को एनसीपीसीआर या एससीपीसीआर की वार्षिक रिपोर्ट में एक अलग अध्याय में शामिल किया जाएगा।
(2) संबंधित अधिकारियों को अधिनियम के अधीन डेटा एकत्र करने, इस तरह के डेटा को केंद्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार, एनसीपीसीआर और एससीपीसीआर के साथ साझा करने का अधिदेश प्राप्त है।
13. निरसन -
इस निरसन से पहले की गई कोई बात या किए जाने वाले लोप के सिवाय लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम, 2012 इसके द्वारा निरसित किया जाता है।
सूचना और सेवाएं प्राप्त करने के लिए यौन शोषण पीड़ित बालकों का अधिकार
1, एफआईआर की प्रति प्राप्त करना।
2, पुलिस द्वारा पर्याप्त सुरक्षा और संरक्षण प्राप्त करना।
3, सिविल अस्पताल /पीएचसी, आदि से शीघ्र और नि:शुल्क चिकित्सीय परीक्षण प्राप्त करना।
4, मानसिक और मनोवैज्ञानिक कुशलता के लिए परामर्श और सलाह प्राप्त करना।
5, महिला पुलिस अधिकारी द्वारा बालक के बयान की रिकॉर्डिंग के लिए बालक के घर या बालक के लिए सुविधाजनक किसी अन्य स्थान प्राप्त करना।
6, जब अपराध घर या संयुक्त परिवार में हुआ हो जहां बालक का किसी व्यक्ति की निगरानी से भरोसा उठ गया हो , वहां से बाल देखरेख संस्थान में स्थानांतरित होना।
7, सीडब्ल्यूसी की सिफारिश पर तत्काल सहायता और मदद पाना।
8, मुकदमे के दौरान और अन्यथा आरोपियों से दूर रखा जाना।
9, जहां आवश्यक हो, दुभाषिये या अनुवादक प्राप्त करना।
10, अक्षम बालक या अन्य विशिष्ट बालक के लिए विशेष शिक्षक पाना।
11, नि:शुल्क विधिक सहायता पाना।
12, बाल कल्याण समिति द्वारा समर्थन व्यक्ति को नियुक्त किया जाना
13, शिक्षा जारी रखना।
14, निजता और गोपनीयता।
15. जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक सहित महत्वपूर्ण संपर्क नंबरों की सूची पाना
डयूटी अधिकारी तारीख :
(नाम और पद का उल्लिखित किया जाए)
तारीख
मैंने 'प्ररूप-क' की एक प्रति प्राप्त की है।
( पीडित /माता-पिता /संरक्षक का हस्ताक्षर)
(टिप्पण: प्ररूप का अनुवाद स्थानीय सरल और बाल सुलभ भाषा में किया जा सकता है।)
प्रारंभिक आंकलन रिपोर्ट
मापदंड
टिप्पणी
1
पीड़ित की उम्र
2
अपराधी से बालक का संबंध
3
अपराध का प्रकार और उसकी गंभीरता
4
बालक की चोट की गंभीरता, मानसिक और शारीरिक नुकसान का विवरण
5
क्या बच्चा विकलांग (शारीरिक, मानसिक या बौद्धिक) है।
6
पीड़ित के माता-पिता की आर्थिक स्थिति, बालक के परिवार के सदस्यों की कुल संख्या, बालक के माता-पिता का व्यवसाय और परिवार की मासिक आय के बारे में विवरण
7
क्या पीड़ित की मृत्यु हो गई है या वर्तमान मामले की घटना के कारण किसी चिकित्सा उपचार से गुजर रहा है या अपराध के कारण चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है
8
क्या मानसिक आघात, शारीरिक चोट, चिकित्सा उपचार, जांच और परीक्षण या अन्य कारणों से स्कूल से अनुपस्थिति सहित अपराध के परिणामस्वरूप शैक्षिक अवसर का नुकसान हुआ है?
9
क्या दुर्व्यवहार एक अलग-थलग घटना थी या क्या यह दुर्व्यवहार समय के साथ हुआ था?क्या पीड़ित के माता-पिता का किसी प्रकार का इलाज चल रहा है या उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है ?
10
क्या पीड़ित के माता-पिता का किसी प्रकार का इलाज चल रहा है या उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है ?
11
अगर उपलब्ध हो, तो बालक का आधार संख्या
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